शादी तय हो गई?? - 1 mystifying द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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शादी तय हो गई?? - 1

Introduction

तो शादियां तो बहुत देखी होगी आपने, पर क्या एक ऐसी अनोखी शादी देखी है??
जहा लड़का और लड़की, एक दूसरे के लिए तो क्या.., दोनो परिवारों के लिए भी अनजान है। जी हां, दोनो परिवारों के लिए।।।


एक शादी..,
जहां, दो लोग, अपने दोस्तो की love life बचाने के लिए, खुद शादी के मंडप में बैठ जाते हैं। एक दूसरे से बेखबर, घूंघट और सेहरे की आड़ में छिपे दो अनजान लोग, कैसे बचाएंगे अपने दोस्तो को इस अनचाही शादी से??

तो सोचिए, क्या होगा, ऐसी शादी का future? क्या sacrifice में किए हुए इस रिश्ते का कोई अंजाम होगा, या फिर बिना प्यार के अधूरी रह जाएगी ये शादी???



जानने के लिए पढ़िए ये अनोखी सी love story,,,

अगर तुम अजनबी थे,
तो अजनबी लगे क्यू नही...

और अगर मेरे थे,
तो मुझे मिले क्यू नही...

read,,,
"Ajnabi si ye Dil ki dor"
story of two person,, who are completely strangers from each other....


Trailer

trinn trinn..

घर की bell बजी, अहाना गेट खोलने आई.., सामने एक लड़का खड़ा था। गेट खुलते ही उस लड़के ने पहली बार उस लड़की को देखा।

ऊपर से नीचे, सब अच्छी तरह निहार लेने के बाद, ईशान ने पूछा,,, "क्या मेरी शादी... तुमसे हुई है?"

(अजीब सवाल था न, पर जवाब भी आपको अजीब ही लगेगा...)

अभी तक उस अनजान लड़के को देख confused खड़ी अहाना, अब ये सवाल सुन, अपनी आंखो में मजबूरी और surity भरते हुए, उसका जवाब देती हुई बोली, "हमारी शादी दस दिन पहले, एक ऐसे इंसान से हुई, जिसे हमने आज तक नही देखा। आपके इस सवाल से लगता है, की वो आप ही हो।"

दोनो अब एक दूसरे को पहली बार, कुछ देर वही दरवाजे पर खड़े देखने लगे।
किस्मत ने ऐसा खेल रचाया, ना चाहते हुए भी दोनो शादी के एक ऐसे बंधन में बंध गए, जिससे दोनो जल्द से जल्द रिहा होना चाहते हैं।

देखते हैं, अब किस्मत ऐसा क्या खेल खेलती है, और इन्हे मिलाने की क्या साजिश रचती है।

आगे जानने के लिए पढ़िए...
Ajnabi si ye Dil ki dor
(Complete strangers)


Ch 1 -- शादी तय हो गई??

..तो चलो इस दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल देते हैं...

एक ऐसी लाइन, जो घरवाले तो बड़े खुशी से बोल, एक बहुत ही अहम फैसला कर लेते हैं, पर क्या अपने बच्चो के बारे में सोचते हैं??


उम्म, कई case में हा, पर शायद ज्यादातर cases में ना।।

कुछ इसी तरह, राजस्थान के दो अलग अलग शहरों में रह रहे, दो buisness man दोस्तो ने, अपने परिवारों के बीच, अपने बच्चो की शादी की बात चलाई। जयपुर के रहने वाले राजवीर सिंह राठौड़, के इकलौते बेटे, ध्रुव की शादी कोटा में रह रहे, विक्रम चौहान की बड़ी बेटी, संध्या से तय कर दी गई।

लेकिन उनमें से एक ने भी, अपने बच्चो से ये पूछना सही नही समझा, की क्या वो एक दूसरे से शादी करना चाहते भी है या नही।


हा पर, नए जमाने के बच्चे होने का उन्हे एक advantage जरूर मिला, की शादी और साथ साथ शादी के date fix होने के बाद, उन्हे एक बार मिलकर एक दूसरे को थोड़ा बहुत जानने की freedom जरूर मिली।


अपनी शादी के बारे में इतना बड़ा फैसला लिए जाने पर, संध्या, बड़ी परेशान सी, अपने कमरे के खिड़की के पास बैठी, आंसू टपकाए जा रही थी।


उसकी दोस्त, अहाना, को जब ये खबर मिली, तो वो भागती हुई, संध्या की हवेली आ गई। वहा वो सीधे, संध्या के कमरे में पहुंच, उस कमरे का दरवाजा बंद करते हुए, वो उसके पास गई।

उसे देख, संध्या के अब तक अकेले बह रहे उन आंसुओ को साथ मिल गया। अहाना, उसकी कॉलेज की दोस्त है, जो बनारस की रहने वाली है, पर फिलहाल कोटा में उसके साथ ही पढ़ाई करती है। वो अच्छे से जानती है, कि संध्या, शौर्य से कितना प्यार करती है। और उसे हर वक्त यही डर सताता रहता था कि कैसे वो अपने घरवालों को उसके बारे में बताएगी। उसके घरवाले बहुत ही सख्त थे। modern और अमीर होने के बावजूद, उन्हे लड़की का घर से बाहर निकलना तक तो ठीक, पर उससे आगे जाकर, अपने लिए लड़का ढूंढ, और शादी ब्याह करने का फैसला लेना बिलकुल मंजूर नहीं था।


विक्रम जी अपनी दोनो बेटियो से जान से ज्यादा प्यार करते हैं, पर इस प्यार में एक हद, और उसे पार करने पर सजा मिलने का डर उन्होंने बेखूबी बनाया हुआ था।


अहाना, संध्या के गले लगी हुई, उसे शांत कराते हुए कहने लगी, "संध्या, हमे साक्षी ने तुम्हारी शादी की बात बताई, दो दिन से इस लिए तुम college नही आ रही थी? एक बार हमें फोन तो कर दिया होता। अब हमारी बात सुनो, ऐसे रोने से कुछ नही होगा, तुम्हे कुछ तो करना होगा, अपने पापा से बात करो, हमे विश्वास है वो जरूर मानेंगे, वो तुमसे बहुत प्यार करते हैं।"

संध्या अभी भी रोते हुए, अहाना के गले लगे हुए कहने लगी, "तुम जानती हो न मेरे पापा को। वो मेरी बात नही सुनेंगे। वो उनके दोस्त का बेटा है, और पापा नही माने तो मां भी उनकी मर्जी के खिलाफ नही जाएंगी।"

अहाना, उसकी पीठ सहलाते हुए, अभी भी उसे समझा रही थी, "हमने देखा है संध्या, की तुम शौर्य से कितना प्यार करती हो, और शौर्य बहुत ही अच्छा लड़का है, एक बार अगर हिम्मत करके बता दिया, तो शायद सब ठीक हो जाएगा।"

संध्या, अभी एक दम से उससे अलग होकर, अपने आंसुओ को पोछ, शांत हो गई, मानो उसने कोई ऐसा फैसला लिया कि अब वो किसी की नही मानने वाली।संध्या कहने लगी, "अहाना, मैने कुछ सोचा है। तुम मेरा साथ दोगी?"

अहाना, उसके भावो को गौर से देखती हुई, किसी भी नतीजे पर आने से पहले उससे पूछने लगी, "फैसला क्या लिया है तुमने?"

संध्या, उसकी आंखो में देखती हुई, कहने लगी, "मैं, शौर्य से भाग कर शादी करूंगी।"

"क्या..?? तुम्हारा दिमाग खराब है? हम तुम्हे ऐसा नही करने देंगे।" संध्या की वैसी बाते सुन, अहाना एक दम से उसे मना करती हुई बोल पड़ी।

आगे संध्या, अहाना को समझाते हुए कुछ बोलने ही जा रही थी, कि किसीने उस कमरे का दरवाजा खटखटाया। वो आवाज सुन, संध्या, अपनी हालत सुधारने लगी, और अहाना गेट खोलने गई। वहा उसने देखा कि संध्या की छोटी बहन, साक्षी आई है। वो अंदर आती हुई, संध्या को छेड़ने के अंदाज से कहने लगी, "दी.., अभी अभी कुछ सुन कर आई हु। मां और बुआ सा बात कर रही थी, वो कह रहे थे की, कल जीजू आ रहे हैं, आप से मिलने।"


साक्षी की इस बात पर, अहाना और संध्या, एक दूसरे को देखने लगे। साक्षी इस खबर पर दोनो में से किसी के चेहरे पर कोई खुशी ना पाकर, अब अपनी बात कहकर वहा से निकल गई। तो अहाना, संध्या के पास जाकर कहने लगी, "संध्या, ये मौका अच्छा है तुम्हारे पास। तुम उसे बताना की तुम उससे शादी नही कर सकती, क्युकी तुम किसी और से प्यार करती हो।"


संध्या, उसकी बात को सोचती हुई कहने लगी, "पर अगर, उसने पापा को ये सब बता दिया तो?"

अहाना, मासूम सी शकल बनाए आगे बोलने लगी, "chance कम है, पर है तो। क्या पता वो लडका शरीफ हो, उसे पहले समझाना, और फिर request करना, की तुम उससे शादी नही कर सकती, और वो खुद ही इस रिश्ते के लिए मना कर दे। और वैसे भी, इन सब मामलो में अगर लड़के कुछ बोले, तो परिवार वाले उनकी सुनते हैं। अब हमें तो यही एक आखिरी रास्ता नजर आ रहा है, उसके बाद तुम शौर्य की बात कर सकती हो अपने पापा से।"

अहाना की बात में दम है, ये सोच संध्या भी अब भाग कर शादी करने की बात साइड में रखते हुए, हल्की smile देकर, अब थोड़ी खुश होती है। और इतना रोने के बाद, अब उसके चेहरे की मुस्कुराहट देख, अहाना के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गई।


........


उधर ध्रुव, फोन पर किसी से बात करता हुआ कहने लगा, "तुम्हे मिली वो लड़की?"

उधर से जवाब सुन, वो अब चिल्लाता हुआ बोला, "एक लड़की.., बस एक लड़की का पता करने को कहा है, ऊपर से college का नाम, हुलिया सब तो बता दिया। लेकिन नही, किसी को वो लड़की नही मिली।"

ध्रुव अभी बात कर ही रहा था कि पीछे से ईशान आता हुआ, उसके कंधे पर हाथ रखे, अपने ही मस्त अंदाज में कहता है, "क्या बात है.., जनाब की शादी तय हो गई, पर अब तक वो उस लड़की के पीछे ही पड़े हैं।"

ईशान को देख, ध्रुव, अब फोन रखता हुआ कहने लगा, "यार, एक बार, बस एक बार तू उस लड़की को देख लेगा न, तो दीवाना हो जाएगा। कभी कभी तो सोचता हुआ की क्यू गया भोपाल, ना वहा जाता और न वो लड़की मिलती, और ना मैं इस तरह उसके पीछे पागल होता। पर फिर लगता है, अच्छा हुआ गया, कम से कम वो लड़की दिखी, और मुझे ये पता चला की वैसी भी लड़कियां होती हैं। वैसे भी उसके college का नाम, शहर, तो सब पता है मुझे, पर फिर भी क्यू नही मिल रही वो। पता नही कहा छिप कर बैठी है मेरी मूनपरी।"

फिर से ध्रुव की दीवानगी भरी बाते सुन, ईशान बोर होकर अपने कान खुजाता हुआ, आगे जाकर कहने लगा, "यार इतनी सारी खूबसूरत लड़कियां है दुनिया में, तुझे उस बेनाम लड़की में ऐसा क्या दिखा?"

ईशान की बात पर, ध्रुव उस लड़की से मिला हुआ इकलौता experiece याद करता हुआ, कही खो सा गया और उसके चेहरे पर बड़ी प्यारी सी एक मुस्कान आ गई। और वो उससे कहने लगा, "काश ईशान, काश उस दिन मैंने उसकी सिर्फ बाहरी खूबसूरती ही देखी होती। पर मैने उस दिन उसकी दिल की खूबसूरती देखी। शायद तू सही है, बहुत सी खूबसूरत लड़कियां हैं इस दुनिया में, पर कोई उस सा नही।"

उसकी इस बात पर, ईशान, उस कमरे में रखे एक टेबल के बास्केट से एक सेब खाता हुआ आगे बोला, "अगर इतना ही प्यार है उससे, तो खुद जाकर ढूंढ न, जिन लोगो को तूने काम पर लगाया हुआ है, उन्होंने उस लड़की को कभी देखा तक नही, और ना ही उसका नाम जानते हैं। तो कैसे मिलेगी वो?"

ध्रुव, अपनी हालत से परेशान, कहने लगा, "मैं खुद चाहता हु, पर पापा को आज कल अपना बेटा बड़ा होता हुआ जो दिख गया। Buisness की भाग दौड़ में लगा दिया, और तो और शादी भी फिक्स कर दी, वो भी पता नही किस से।"

ध्रुव की इस बात पर, ईशान ने हस्ते हुए कहा, "हाहह, और मैने तो सुना है कि तू उससे कल मिलने भी जा रहा है। उस बेनाम लड़की को भूलने का सही तरीका ढूंढा है तूने। शादी कर के, खुद को buisness में busy रख, बढ़िया है।"

ईशान की इस बात पर, ध्रुव अब उसके पास आकर, बेड पर उसके बगल में बैठा, आगे कहने लगा, "ऐसी बात नही है ईशान, मैं कल उस लड़की से मिलने, बात बढ़ाने के लिए नही, बल्कि शादी रुकवाने के लिए जा रहा हु। मैं उसे अपनी condition बताऊंगा, शायद वो समझे, और इस शादी से इंकार कर दे।"

"Nice iddeaa bro, पर फिर कब तक करता रहेगा ये?" ध्रुव के इस प्लान को सोचते हुए ईशान ने जब उससे ये पूछा तो ध्रुव कहने लगा, "अब बस, बहुत हुआ, अब मैं खुद उस लड़की का पता लगाऊंगा। मैं भोपाल जाऊंगा।"

ये बोल, ध्रुव उस लड़की को मिलने की चाह में मुस्कुराने लगता है, और ईशान अपने मन में सोचता हुआ खुद से कहता है, "जिस जमाने में लोगो को प्यार की कदर नही है, उस वक्त ध्रुव एक ऐसी लड़की से प्यार कर बैठा है, जिसे उसने कुछ मिनटों के लिए ही देखा था। उसकी वो हरकते, इसे इतनी भा गई की वो आज अपने पापा की पसंद को ठुकराने निकल पड़ा है। भगवान please इसे इसके प्यार से मिलवा देना। और कितना wait करवाओगे इससे, already एक पूरा साल हो गया। पर इसकी आंखो का प्यार उसी तरह बरकरार है, जैसा एक साल पहले था।"

ये बोल, ईशान अपने दोस्त के प्यार को मिलवाने की request भगवान से करने लगा।

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अब ध्रुव और संध्या, दोनो ही एक दूसरे से शादी नही करना चाहते, और दोनो ही कल मिलकर एक दूसरे से एक ही request करने वाले हैं, कि सामने वाला इस शादी के लिए मना कर दे। क्युकी दोनो में से किसी में भी, अपनी families को directly, इस शादी के लिए इनकार करने की हिम्मत नही थी।

अब देखना ये होगा, की कैसे ये लोग एक दूसरे को मनाते हैं, कैसे ये इस शादी से पीछा छुड़ाएंगे।

जानने के लिए जरूर पढ़िए अगला episode 🙏🏻🙏🏻