रात की उसे गहरे काले अंधेरे में एक बहुत ही अजीब जगह जो खंडहरनुमा थी जिसे पास से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे उस खंडहर में बहुत समय पहले आग लगी हो वहां पर रोशनी का कोई नामों निशान नहीं था वहां का माहौल बेहद डरावना और भयंकर था। पत्तों की सरसराहट और अजीब से कीड़ों मकोड़ों की लगातार आवाज आ रही थी। और उसी खंडहर में एक बेहद ही डरावना काला साया खड़ा था, उसने खुद को पूरी तरह से काले कपड़ों में ऊपर से नीचे तक ढक रखा था यहां तक की उसका चेहरा भी मास्क के पीछे छुपा हुआ था अब सिर्फ उसकी वह खतरनाक आंखें ही दिखाई दे रही थी जो उसके हाथों पर टिकी थी उसके हाथ में एक खून से सना चाकू मौजूद था। जो देखने में बेहद ही खतरनाक लग रहा था जिसे वह लगातार अपनी गहरी काली डरावनी खतरनाक आंखों से देखे जा रहा था और उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट थी जो मास्क की वजह से दिखाई नहीं दे रही थी, और उसके आसपास बहुत ही बेतरतीबी से जला हुआ समान बिखरा पड़ा था। जो उस माहौल को और भी खतरनाक और डरावना बना रहा था।
दूसरी तरफ
आधी रात के समय एक बहुत छोटे से घर में जो चारों तरफ से बंद था सिर्फ एक दरवाजा मात्र था उसमें तीन लोग मौजूद थे जो कोई और नहीं धर्मेश जी और उसके साथ उनका असिस्टेंट राघव और एसीपी आयुष मौजूद थे।
एसीपी आयुष ही विशाल दिक्षित की हत्या के केस की जांच पड़ताल कर रहे हैं वह तीनों ही उस छोटे से घर में इन पांच सालों में हुई हत्याओं के बारे में डिस्कशन कर रहे थे
अब धर्मेश जी ने भी सोच लिया था कि इस बार वो कुछ ऐसा करेंगे जिससे कुछ तो सबूत उनके हाथ लगे।
धर्मेश जी ने एसीपी आयुष और राघव से कुछ कहा (धर्मेश जी का चेहरा बेहद गंभीर दिखाई दे रहा था जिससे यह जाहिर हो रहा था कि उन्होंने कुछ तो बहुत बड़ा सोच रखा है) दोनों ने ही उनकी बातों को बहुत ही ध्यान से सुना और धर्मेश जी ने जो कुछ भी कहा था इससे वह दोनों संतुष्ट नजर आ रहे थे और थोड़ी खुशी भी थी उनके चेहरे पर।
इसके बाद वे तीनों ही अपने घर के लिए निकल गए इधर जब धर्मेश जी घर आए तो उन्होंने अपने बेटे के कमरे की लाइट को जलते हुए देखा तो वह उसके कमरे की ओर बढ़ गए उन्होंने कमरे का दरवाजा खोला तो पाया कि उनका बेटा अभी तक अपनी स्टडी टेबल पर बैठा पढ़ रहा है उन्होंने पीछे से जाकर अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखा और कहा कि "बेटा इतनी रात तक जागकर पढ़ना ठीक बात नहीं इससे तुम्हारी सेहत पर असर पड़ेगा"
अचानक ही पीछे से किसी के इस तरह कन्धे पर हाथ रखने और बोलने से आकाश थोड़ा घबरा गया था, लेकिन अपने पापा को देखकर वह वापस से नॉर्मल हो गया और " और उसने कहा कि नहीं पापा मैं अभी बस सोने ही जा रहा था वह कल मेरे एग्जाम हैं तो इसीलिए मैंने सोचा थोड़ा ज्यादा देर पढ़ लूं पढ़ते पढ़ते समय का पता ही नहीं चला कब इतना वक्त हो गया"
धर्मेश जी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा " अच्छा ठीक है अब जाओ सो जाओ आगे से इतनी देर रात तक अब कभी नहीं जागना"
आकाश ने भी अपनी स्टडी टेबल से उठते हुए कहा" जी पापा, वैसे आप इतनी रात गए कहाँ से आ रहे हैं "
धर्मेश जी ने हंसते हुए कहा" बेटा तुम तो जानते ही हो मेरे काम को कभी भी किसी भी वक्त मुझे जाना आना पड़ता है लेकिन अब तुम मेरी फिक्र मत करो और सो जाओ सुबह तुम्हें एग्जाम्स के लिए जल्दी उठना भी है"
आकाश ने भी हा कहा और वो भी बिस्तर पर लेट गया जिसके बाद धर्मेश जी ने अच्छे से उसे चादर ओढ़ा दी और वह भी अपने कमरे की ओर सोने के लिए चले गए चले।
( आकाश बेहद ही शांत भोला भाला सीधा समझदार लड़का है वह इस वक्त डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है )
आप सभी हमेशा हँसते खिलखिलाते रहिए 🤗🤗🥰
फिर मिलेंगे अगले भाग में 🙏🥰
Tripti Singh........