Falling for my Heart Criminal - 2 simran द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Falling for my Heart Criminal - 2

अब आगे :

6 महीने कब बीते पता ही नहीं लगा , जिंदगी ने तीन जिंदगियों के साथ खेल खेल दिया ,

जेल में इस वकत पूरी हलचल थी पर किसी की सेल में पूरा अँधेरा था , तभी कोई एक दम से उस सेल का डोर ओपन कर देता है

तो एक लड़की जो कोने में बैठी थी वो अपने घुटनो में सर छुपा लेती है , और कांपती आवाज में कहती है : दूर , दूर र... रहो मुझसे ,

तभी धीरे से उस लड़की के पास एक लड़की अपने कदम बढ़ाने लगती है और उसके पास निचे जाकर बैठते हुए उसके कंधे पर एक दम से हाथ रख देती है : मन्नत ........

मन्नत धीरे से अपना सिर ऊपर करती है और उसका हाथ अपने कंधे से दूर करते हुए : तुम भी गन्दी हो जीवी, दूर दूर रहो मुझसे

जीवी धीरे से : नहीं यार ....ऐसा कुछ नहीं ,,,

मन्नत के 6 महीनो में खराब हो चुके थे उसके चेहरे पर चोटों के निशान साफ देखे जा सकते थे , बालो की एक ब्रैड बना रखी थी जो अच्छे से नहीं बनी हुई थी

वो जैसे ही जीवी को धक्का देने के लिए हाथ बढाती है तभी जीवी गुस्से से मन्नत की ब्रैड को पकड़ लेती है और उसे खड़ा करते हुए उसका दीवार में सिर मार देती है

जीवी गुस्से से उसका सर बार बार दीवार में मारते हुए : सही कहती है साषी तुम एक नंबर की चुड़ैल हो , जिसने हमारी जिंदगियां बर्बाद कर दी ,

मन्नत की आँखों से आंसू गिर रहे थे , तभी जो सेल में एक और लड़की बैठी थी वो मन्नत की हालत पर आह भरते हुए : 6 महीने से ऐसे ही झेल रही है , काश दूर चली जाये ये सबसे। ..

जीवी उसे अगले ही पल छोड़ देती है , वो जैसे ही मन्नत को छोड़ती है मन्नत अपना सर एक दम से पकड़ लेती है और अपने हाथ से खून को साफ करने लगती है।

जीवी वहाँ से जाने लगती है और मन्नत की और देखती है जो दर्द से करहरा रही थी , : हम जा रहे है , साशी और मेरी सजा खतम हो गयी है लेकिन तुम्हारी तो शुरू हुई है , और उस शक्श की , तुम दोनों को तो तड़पा तड़पा कर मारेंगे हम दोनों।

मन्नत बस चुप चाप जीवी को जाते हुए देख रही थी और अगले ही पल वो लड़की मन्नत के पास आकर बैठ जाती है और धीरे से उसकी चोट पर कपडे से साफ करते हुए : बुरा लग रहा है ?

उसकी आँखों से आंसू निकल जाते है और न में सर हिला देती है।

वो लड़की उसकी चोट पर फूंक मारने लगती है , जिससे मन्नत को थोड़ा सा सुकून मिलता है ,

तभी वो लड़की धीरे से मुस्कुराते हुए : कब तक दर्द सहोगी ? क्या गलती की थी तुमने जो इतना दर्द दे रहे ये तुम्हे

मन्नत धीरे से उस सवालों को सुनती है और अपनी निगाहे पुरे सेल में घुमाते हुए : पता है अलिज़ेह। ...... मोहब्ब्बत में एक गलती हो गयी जिसकी सजा मुझे भगवान ने दे दी। .

अलिज़ेह मन्नत के आंसू पोंछते हुए : तुम यही कुछ शब्द बोलकर चुप हो जाती हो , मै चाहती हु प्लीज आज खुद के लिए बोल लो , तुझे ये सब मन से निकालना होगा

मन्नत अपनी आँखों से सिर्फ काली दीवारों को देख रही थी , और अलिज़ेह से कहते हुए : मेरे अंदर रहेगा तो मुझे दर्द होगा और ये एहसास भी कि 6 महीने मेने किसी से मोहब्बत करने की सजा भुगति , अगर मेने इसे निकाल दिया तो शायद फिर से दिल मोहब्बत करने लगेगा ,

अलिज़ेह हा में सर हिला देती है : जैसा तुम्हे ठीक लगे , आज से जिंदगी की नयी शुरुवात करना। . जो करियर शुरू करने जा रही थी उस पर फोकस करना मन्नू

मन्नत धीरे से अपनी पलके झपका देती है

तभी सेल के बहार से एक कांस्टेबल आते हुए : चलो लड़की आज से तुम आजाद हो

मन्नत जैसे ही उस कांस्टेबल की बात सुनती है तो उसकी तरफ देखते हुए धीरे से कहती है : मेरा कोई घर नहीं है , मुझे यही रहने दो

वो कांस्टेबल जैसे ही पंक्ति की बात सुनती है गुस्से से चिल्लाते हुए : ऐ लड़की टाइम मत बर्बाद कर , निकल यहाँ से , तेरा समय अब खतम हो गया है

मन्नत जैसे ही कांस्टेबल की आवाज सुनती है तो अलिज़ेह मुँह बनाते हुए : मै भी दो दिन बाद रिहा हो रही हु , यहाँ जब मै ही नहीं रहूंगी तुम क्या करोगी , इससे अच्छा है बाहर जाओ इस नरक से और मेरा इंतज़ार करना मन्नू

मन्नत के चेहरे पर छोटी सी मुस्कुराहट आ जाती है और अगले ही पल वो खड़ी हो जाती है , वो अपने कदम धीरे धीरे अलिज़ेह को देखते हुए सेल से बहार जाने लगती है

वही अलिज़ेह की आँखे एक दम से नम हो जाती है

मन्नत अपनी प्यारी सी आवाज में कहते हुए : मिलने आओगी न ?

अलिज़ेह बस है में सिर हिला देती है

वो जैसे ही अलिज़ेह के चेहरे पर उदासी देखती है तो मन्नत की आँखे भी नम हो जाती है और वो वहा से चली जाती है। .

कुछ देर बाद ..

मन्नत जैसे ही चेंज करके आती है आज भी उसने वही कपडे डाले थे जो 6 महीने पहले पहन कर वो इस जेल में आई थी ,

वो अपनी आँखे निचे करके ही खड़ी थी की उसके सामने एक लड़की आ जाती है वो गुस्से से मन्नत की बाजु को अपने हाथ में आराम से पकड़ती और अगले ही पल बेहरहमी से मरोड़ते हुए कहती है : बदला !!!

मन्नत दर्द से करहारते हुए : आह छोड़ो मुझे साशी

साषी जिसके चेहरे पर शैतानी मुस्कराहट थी वो जोर से हस्ते हुए कहती है ;: मोहब्बत करती थी न तुम उससे , तभी उससे हर बार मजाक करती थी , तुम्हारी मोहब्बत को तो जहनुम मै दिखाउंगी और तुम्हे मौत के घाट उतारूंगी उसके सामने तो यहाँ से भागने की कोशिश मत करना , क्यूंकि मुझे मन्नत की मन्नत पूरी करनी है , आखिरी बार उसके बाहों में तुम्हे गोली मारूंगी

साषी जैसे ही ये कहती है तो अगले ही पल उसे जमीन पर धक्का दे देती है , जिससे मन्नत का सिर सीधा फ्लोर पर लगता है

क्या करेगी अब मन्नत अब साषी और जीवी की धमकी सुनकर ? क्या सच में साषी बदला ले पायेगी उस शक्श से जिसकी पहचान तक वो नहीं जानती ?

जानने के लिए पढ़ते रहिये falling for my heart criminal