आठवां वचन ( एक वादा खुद से) - 3 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

आठवां वचन ( एक वादा खुद से) - 3







"अगर मेरी जगह मेघना और मेघना की जगह मै होता तब भी तुम यही कहती माँ। तब क्या तुम मुझे नहीं मनाती नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए फिर मेघना क्यों नहीं? "अभिषेक बोला तो संगीता ने भरी आंखों से उसकी तरफ देखा।

"वह क्यों काटे अपनी जिंदगी दुख के साथ में उसे दुखी नहीं देख सकता और शायद आप भी नहीं देख सकती।" अभिषेक बोला।


संगीता की आंखों में रुके आंसू गालों पर फैल गये।



"सिर्फ इसलिए उसे दुख और दर्द भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दें क्योंकि वह औरत है आपकी बेटी नहीं आपकी बहू है! अभिषेक ने दुखी होकर मां से कहा।

"नहीं नहीं अभिषेक तुम अच्छे से जानते हो मेघना को मैंने हमेशा अपनी बेटी माना है! "संगीता बोली।



"तो फिर मां होने का फर्ज निभाइये! "अभिषेक की आवाज में दर्द था!

"हां बेटा बहुत जिद्दी है तू हमेशा अपनी बात मनवा लेता है।"



"और तुम बहुत अच्छी मां हो, हमेशा मेरा साथ देती हो ।" कहते हुए अभिषेक ने मां को प्यार से गले लगा लिया।



"मेघना...! मेघना बेटा यहां छत पर क्या कर रही हो?" संगीता की आवाज से मेघना का ध्यान टूटा और उसने आंखें उठाकर संगीता की तरफ देखा ।

"कुछ नहीं मैं बस यही सोच रही हूं कि विधाता ने क्या लिखा है मेरी किस्मत में?" मेघना ने बुझी आवाज के साथ कहा।



"बेटा भगवान को अपने सभी बच्चे प्यारे होते हैं वह कभी अपने बच्चों को दुख नहीं देते।"

"पर मुझे तो इतना दर्द दिया है। " मेघना ने सिसकते हुए कहा।

संगीता वही मेघना के पास झूले पर बैठ गई और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया।

"बेटा सुख दुख तो धूप छांव की तरह होते हैं । आते जाते रहते हैं इनके लिए भगवान से नाराज नहीं होते।" संगीता ने मेघना को समझाया।

" पर इंसानों से तो नाराज होते हैं ना, जो भगवान के निर्णय को बदलना चाहते हैं?" मेघना ने मां की तरफ देखते हुए कहा।



"तुम अभिषेक की बात कर रही हो ना? "संगीता बोली।

"जी हां मां और आप लोग भी उनके पागलपन में उनका साथ दे रहे हो।आपने क्यों नहीं समझाती उन्हें वह यह सब जो वह करना चाहते हैं सही नहीं है। माँ समझाइए ना उन्हें।"मेघना बोली।



"मैं तुम्हें समझाना चाहती हूं बेटा अपनी मां की तरह, मान लो अभिषेक की बात।वह ठीक कर रहा है । तुम सौरभ से शादी कर लो!" संगीता ने अपने आंसू छुपाते हुए कहा।

"मां आप मुझे अपने से दूर करना चाहते हो? ऐसा ऐसा भी क्या गुनाह हो गया मुझसे कि सब मुझे बस इस घर से भगाने पर तुले हुए हैं?

पिछले 1 साल में मैंने आपको और पापा जी को हमेशा अपने मम्मी और पापा की तरह प्यार और सम्मान दिया है , अभिषेक की हर इच्छा का मान रखा है और एक अच्छी पत्नी और अच्छी बहू होने के सारे फर्ज निभाएं हैं फिर आप लोग क्यों मेरे साथ ऐसा कर रहे हो?" मेघना फिर से रोना शुरू हो गई।

संगीता खामोश रह गई।

"आप लोग क्यों मुझे खुद से दूर करना चाहते हो ?" मेघना ने रोते हुए कहा,

"नहीं मेरी बच्ची हम तुझे खुद से दूर नहीं करना चाहते बस तुझे दुखों से दूर रखना चाहते हैं। तुम हमारी बेटी थी हो और हमेशा रहेगी। इस घर से तेरा रिश्ता कभी नहीं टूट सकता और ना ही कभी टूटेगा। बस तुझसे इतना ही चाहते हैं कि अभिषेक की बात मान ले। उसने जो कुछ भी सोचा है तेरे भले के लिए ही सोचा है।"संगीता बोली।

"अच्छा तो मां बेटी दोनों मुझसे छुपकर यहां बैठी हैं और मैं कब से ढूंढ रहा हूं!" अभिषेक की आवाज सुनकर दोनों उठ खड़ी हुई और मेघना ने दीवाल की तरफ चेहरा कर लिया और अभिषेक की तरफ से पीठ फेर ली।

"अच्छा बेटा तुम दोनों बैठो बात करो मैं तब तक खाना बनाती हूं नीचे जाकर और हां खाना खाने के लिए जल्दी आ जाना।" संगीता बोली और जाने लगी।



"मैं भी आती हूं माँ आपके साथ! "मेघना बोली और संगीता के पीछे चल दी।

"रुको मेघना! " अभिषेक बोला।

" तुम इससे बात करके आ जाना खाना मैं बना लूंगी!" संगीता बोली और नीचे चली गई।



"कब से तुम्हें ढूंढ रहा था और तुम यहां आकर बैठी हो ऐसी भी क्या नाराजगी है मुझसे? कुछ दिनों तुम्हारे साथ हूँ तब तक मेरे साथ रह सकती हो ना?" अभिषेक ने कहा तो मेघना ने भरी आंखों से उसकी तरफ देखा।

"मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहती हूं सिर्फ आपकी बनकर। अलग तो आप करने पर तुले हुए हो। मुझे खुद दूर क्यों कर रहे हो?" मेघना ने दुखी होकर अभिषेक की तरफ देखा।



"कारण तुम जानती हो मेघना! उसके बाद भी इस तरीके का सवाल कर रही हो? मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम्हें किस तरीके से समझाऊं अगर तुम्हें सच नहीं पता होता तो बात अलग थी। सारा सच जानकर भी तुम् बच्चों की तरह जिद करोगी ऐसी मुझे उम्मीद नहीं थी।" अभिषेक ने कहा तो मेघना ने नजरें झुका ली।



"जो आप चाहते हैं वह मैं नहीं कर सकती प्लीज अभिषेक समझने की कोशिश कीजिए , इससे किसी का भला नहीं होगा और मुझे भी कोई खुशी नहीं मिलेगी सिर्फ और सिर्फ तकलीफ मिलेगी। आप क्यों मुझे खुद से दूर कर रहे हो ? " मेघना ने दुखी होकर कहा।



"हम सब यही चाहते हैं मेघना प्लीज हमारी बात मान जाओ। " अभिषेक बोला।

"मुझे नहीं जाना आपसे दूर प्लीज मुझे आपसे से दूर मत कीजिए। आप जैसे रहोगे मैं रह लुंगी।सब की बातें सुन लूंगी मुझे कोई भी तकलीफ नहीं है। मैं कभी आप से कोई शिकायत नहीं करूंगी। मैं कभी मम्मी पापा से कोई शिकायत नहीं करूंगी प्लीज अभिषेक मेरे साथ ऐसा मत कीजिए। मुझे नहीं जाना इस घर से दूर मुझे नहीं जाना आपसे दूर!" मेघना बोली और उसी के साथ वह बेहोश हो गई।



अभिषेक ने उसे बांहों में उठाया और कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया।

आंखों में आंसू भर आए और अभिषेक ने प्यार से मेघना के सिर पर हाथ फिराया,

काश कि मेरे हाथ में होता तो मैं ऐसा कभी नहीं होने देता अभिषेक बोला और उसने आंखें बंद कर ली।

आंखों के आगे 1 साल पहले का वह समय आ गया जब उसने पहली बार मेघना को देखा था।

©️डॉ. शैलजा श्रीवास्तव ®️