चरणनंदन का अभिनंदन - 2 Tripti Singh द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

चरणनंदन का अभिनंदन - 2

चचा ने अपना वही जूता जो उन्होंने चरणनंदन को फेंक के मारा था, उसे जल्दी से लपक के ले आए ! और फिर क्या हुआ ?

फिर उन्होंने ना आव देखा न ताव लगे चरणनंदन पर बरसाने वह इतने ज्यादा गुस्से में थे ! इस वक्त उन्हें अपने गुस्से के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था ! इसीलिए उन्हें जो समझ आ रहा था उसी से वह चरणनंदन को मारे जा रहे थे! लात, (पैर ) हाथ, जूता इन सभी से !
और वहीं चरणनंदन लगातार दर्द से चिल्लाए जा रहा था ! "अरे चचा आज छोड़ दो हमको आगे से ई सब कबो नाही करेंगे !
चचा छोड़ दो बहुत जोर से लग रहा है ! अरे..... अरे..... अरे... आआआआआआईईई... आई अम्मा रे मार डाला रे....... आआआईईईईई.........चचा पिलीज.... पिलीज ( प्लीज).... छोड़ दो हमका आआआआआआईईईईईईईईईईईईईई........इसी तरह से चरणनंदन चिल्लाता रहा लेकिन चचा के कान में जूं तक न रेंगी !

आखिर वो सुनते भी कैसे उनका अपना स्पीकर जो चालू था ! मतलब वो चरणनंदन को खुद में ही कोस रहे थे!
"ससुरा का सोच के हम तुमको येतना लाड पियार (प्यार) दिए कि एक दिन तुम हमरे साथ साथ अपने माई बाबु को भी सम्मानित महसूस कराओगे लेकिन नाही तुमको तो लोफडई करनी है !

इसी तरह उनका चरणनंदन को कोसने, पीटने का कार्यक्रम चल रहा था !


तभी चरणनंदन ने जोर से चीखते चिल्लाते हुए पर एक करूण पुकार दी "अरे चचा छोड़ दो आज के बाद अईसन गलती काबहूं नाही करब, ई आखिरी गलती समझ के माफ कई दो आगे से तुमको एक्को शिकायत का मौका नाही ना देंगे हम ई बार बस ई बार छोड़ दो !
इतना सुनने के बाद चचा रुक गए, वह भी थक गए थे उसे मारते मारते ! उन्होंने एक गहरी सांस ली और वही उसके पास ही बैठ गए ! फिर उन्होंने कहना शुरू किया "नंदनवा तुम हर बार ईहे तो कहिते हो लेकिन कबहुं ऊ बात पर अमल किए हो..... किए हो का.. ( चरण नंदन ने ना मे सिर हिला दिया ) नाहीं न फिर हम कईसे मान ले तुम्हरी बात बोलों..... बताओ हमको....!

इस बीच चरणनंदन बिल्कुल शांत था, सिर्फ हां या ना में सिर हिला रहा था ! और चचा की आखिरी बात सुनकर उसने अपना सर झुका लिया इस वक्त उसकी आंखों में आंसू थे ! अब यह नहीं कह सकते थे कि यह आंसू पछतावे के थे या मार पड़ने के दर्द से.....?? जिसे चचा भी देख रहे थे !

कुछ देर ऐसे ही चरणनंदन को देखते रहने के बाद चचा ने कहा " ठीक है नंदनवा हम तुमको एक अउर चानस (चांस) दिए देते हैं, लेकिन ई बार हमको निराश नाहीं करना तुम, नाही त फिर तुम हमरा मरा हुआ मुह देखने के लिए तईयार (तैयार) रहिना..... अभी चचा ने इतना ही कहा था, कि उनकी बात सुन रहे चरणनंदन ने अचानक से उनकी आखिरी बात सुनकर रोते हुए कहने लगा "नाही न चचा तुम अइसे ना कहो, अगर तुमको कुच्छो हो गया ना तो हम जी ना पाएंगे ( इतना बोलने के साथ ही उसकी आँखों से आंसुओ का सैलाब उमड़ आया था )..... उसने फिर खुद को संयमित किया और फिर से बोलना शुरू किया ! " ई बार हम तुमसे वादा करते हैं, ई बार हम फेल नाही होंगे, अउर अच्छे नम्बरों से पास होकर दिखाएंगे, तुम्हरी कसम हैं हमको" उसकी पूरी बात सुनने के बाद चचा ने भी स्वीकृति में सिर हिला दिया !