Devil's Sundar wife - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

Devil's सुंदर wife - 20 - दोस्ती का हाथ..

एपिसोड 20 ( दोस्ती का हाथ.. )
अभिराज महक को आरव से इन्ट्रोड्यूस करवाता है |
“महक बेटा , ये है मेरे बड़े भी का बेटा आरव” महक हैरनियत से आरव को अपनी आँखें फाड़े बस देखे जा रही थी | उसे तो मानो कुछ समय के लिए होश ही नहीं था, की उसके आस-पास कौन है |
वहीं, आरव एक समिल के साथ शाही अंदाज मे महक के पास जाता है, ओर महक के सामने अपने हाथ बढ़ देता है |
“हैलो , मिस महक | माई सेल्फ आरव कपूर” महक शॉक होकर आरव को देख रही थी | लेकिन आरव ने अपने ईमोशन्स पर बहुत कोन्टरोल रखा था | उसका हाथ कांप रहे थे, लेकिन जब उसे अपने ऊपर सबकी नजरें फ़ील हुईं, तो महक जल्दी से आरव से हाथ मिलाते हुए, अपना सर हिला देती है |
वहीं, जब महक अपना हाथ आरव के हाथों मे रखती है, तो आरव को जो शक हो रहा था, वो शक उसके यकीन मे बदल जाता है | ओर उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है | वहीं, अभि का सारा ध्यान माया पर ही था | वो माया को बहुत ध्यान से ऑब्जर्व कर रहा था |
अभि को माय कहीं देखि देखि सी लग रही थी | लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था, की उसने माया को कहाँ पर देखा है | कुछ देर बाद, सारे एक साथ खाने की टेबल पर बैठे थे | शिवम ने माया ओर अभि को एक साथ बिठाया था | अभि के बगल मे आरव बैठ था | सामने वाली साइड मे रिया, साक्षी ओर महक बैठे थे | टेबल की दाहिने ओर बाएं तरह, शिवम ओर अभिराज बैठे हुए थे |
खान खाते हुए भी आरव का ध्यान महक पर ही था | रिया शिवम ओर अभिराज से खूब गपे लड़ा रही थी | आरव चुपचाप अपना खाना खा रहा था | वहीं, साक्षी जल्दी ही अपना खाना खत्म कर, कल पर बात करने चली गई थी |
कुछ ही देर मे सब अपने अपने कमरों मे चले जाते हैं | शिवम, महक ओर रिया के साथ मल्होत्रा हौसड़े चले जाते हैं | अभिराज ओर आरव अपने कमरों मे चले जाते हैं |
ओर अभि ओर माया , अभि के कमरे मे चले जाते हैं |
लेकिन जैसे ही माया कमरे का डोर ओपन करती है, कमरे के अंदर का नजारा देखकर, माया ओर अभि की आँखें फटीं की फटीं ही रह जाती हैं | पूरे कमरे का हुलिया ही साक्षी, रिया ओर महक ने मिलकर बदल दिया था | अभि को तो अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, की ये उसी का कमरा है |
लेकिन उसे कोई गुस्सा नहीं आया | बल्कि अभि ओर माया की एक साथ हसी निकाल जाती है | उसके बाद दोनों एक दूसरे की ओर देखते हैं, ओर हस्ते हुए अंदर चले जाते हैं | आज दोनों की एक साथ पहली रात थी | ओर अभि की क्यूंकी ये दूसरी शादी थी, तो उसे इस शादी से कोई भी उम्मीद ही नहीं थी |
लेकिन माया ने बहुत सोचा था, ओर उसने खुद से वादा किया था, की वो अब जब एक रिश्ते मे बंध चुकी है, तो वो अपनी तरह से पूरी कोशिश करेगी, इस रिश्ते को निभाने की |
माया अंदर जाते हुए अपने सर से दुपट्टा उतारकर, साइड मे सोफ़े पर रख देती है | ओर फिर अभिकी ओर देखती है | माया कुछ सोचती है, ओर फिर अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए अभि से कहती है |
“चलो अपने रिश्ते की शुरुवात दोस्ती से करते हैं | क्यूंकी मुझे कुछ भी फ़ील नहीं होता, तो तुम्हें अगर मुझसे दोस्ती नहीं भी करनी होगी, तो मुझे बुरा फ़ील नहीं होगा |” अभि ने नोटिस किया, की माया ने बहुत आराम से उससे ये बात कही थी |
ओर उसे माया की बात मे कुछ बुराई भी नजर नहीं आई, तो उसने स्माइल के साथ अपने रिश्ते की शुरुवात करते हुए माया से दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया |
वहीं , पूरी रात आरव ओर महक अपने अपने कमरों मे अपनी बचपन की यादों मे खोए हुए थे |
आरव याद कर रहा था की कैसे बचपन मे जब महक उससे पहली बार मिली थी, तो वो रो रही थी | क्यूंकि उसे भूख लगी थी | ओर महक के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था | उस दिन, नया जाने आरव ने महक मे क्या देखा था, लेकिन महक से मिलने के बाद, उसने तो मानो कसं ही खा ली थी, की दुबारा वो महक की आँखों मे आँसू नहीं आने देगा |
लेकिन फिर अचानक से एक दिन, महक कहीं चली जाती है | ओर आरव भी अपनी फॅमिली के साथ दूसरे शहर चल जाता है |
दोनों को इस बात एहसास हो चुका था, की जिसका इंतजार वो नया जाने कितने सालों से कर रहे थे, वो उन्हे मिल चुका है | बस अब देर थी, तो बात करने ओर इजहार की |
क्या आरव ओर महक अपने दिल की बातें बयान कर पाएंगे ? ओर क्या माया ओर अभि का रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ पाएगा ?
जानने के लिए बना रहिए मेरे साथ |

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