Devil's सुंदर wife - 19 - आरव और महक की पहली मुलाकात ... Deeksha Vohra द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

Devil's सुंदर wife - 19 - आरव और महक की पहली मुलाकात ...

एपिसोड 19 (आरव और महक की पहली मुलाकात )
माया ने शादी के बाद अपना नाम नहीं बदला था | यनेकी, उसने अपने नाम के साथ कपूर नहीं लगाया था | जहाँ सभी माया से नाराज़ थे, वहीँ अभि को ख़ुशी थी | ना जाने किस बात की ख़ुशी, लेकिन अभि को ये पसन्द आया था, की माया ने अपना स्टैंड लिया | शादी के बाद, सभी कपूर विला ही जाते हैं |
शिवम् मल्होत्रा पहली बार यहाँ नहीं आये थे | एक बार वो माया के पिता के साथ भी यहाँ पर आये थे, जब माया और अभि बहुत छोटे थे |
वहीँ,अभि का कज़न भाई, आरव कपूर भी आ चूका था | जब उसने सभी घर वालो को आते हुए देखा, तो वो जल्दी से अभिराज के पास जाता है, और उसके पाऊँ छूते हुए आशीर्वाद लेता है | फिर आरव की नज़र साइड में खड़े शिवम् मल्होत्रा पर जाती है, तो आरव उनके भी पैर छूता है | उसके बाद, आरव साक्षी के पास जाकर , साक्षी के गले लगता है और कहता है |
"कैसी है तू ?" साक्षी ख़ुशी होते हुए कहती है |
"अरे भाई आप? वट अ सरप्राइज " आरव साक्षी के माथे पर प्यार से किस करता है | और उसके बाद, उसकी नज़र धोती कुर्ते में खड़े अभि पर जाती है | जिसे पहली नज़र में तो आरव ने पहचाना ही नहीं था | लेकिन फिर आरव अभि के पास जाता है, और अभि से हाथ मिलाते हुए उसके भी गले लगता है | और कहता है |
"मुबारक को दूल्हे राजा " आरव की बात में अभि सारकैज़्म अच्छे से समझ सकता था | इसलिए फेक हसी के साथ वो भी आरव से हाथ मिलता है |
तभी आरव की नज़र, एक लड़की पर जाती है, जिसने लाल रंग का शादी का जोड़ा पहन रखा था | लेकिन उसे देख कोई भी ये कह सकता था, की वो कोई मासूम सी भोली भली लड़की नहीं है | या यूँ कह सकते हैं, की आरव को उस लड़की में अभि की ही झलक दिखाई देती है |
उसे ज़्यादा टाइम नहीं लगता है, ये समझने में , की वही लड़की माया मल्होत्रा है |
आरव बड़े ही प्यार से माया की और देखते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा देता है, और कहता है |
"हेलो माया, मैं आरव , तुम्हरे हस्बैंड का बड़ा भाई " माया आरव के आगे बढ़ते हुए हाथ को देखती है | कुछ देर तो माया खा जाने वाली नज़रों से आरव के हाथ को घूरती है | आरव को मानो महसूस हो गया, की माया क्या सोच रही थी, इसलिए वो मज़ाक करते हुए ,माया से कहता है |
"डोंट वरी माया, मैं सर्जन हूँ, तो मेरे हाथ यहाँ खड़े सब में से सबसे साफ़ हैं |" आरव के मुँह से ये बात सुन , जहाँ सब के कान खड़े हो जाते हैं, वहीँ माया और अभि के चेहरे पर स्माइल आ जाती है | और फिर माया जल्दी से आरव से हाथ मिलाते हुए खुद को अन्रटड्यूस करती है |
"हाय आरव, माया मल्होत्रा " आरव ख़ुशी से माया से बात करता है | तभी वहां पर कुछ बहुत ज़ोर से गिरने की आवाज़ आती है | सबकी नज़र दरवाज़े की और जाती है, जहाँ, महक के हाथों में जो गिफ्ट्स थे, वो गिर चुके थे |
रिया ये देख जल्दी से महक की मद्द्त करने जाती है |
"अरे महक दी, रुकिए मैं आती हूँ " आरव अचानक से हैरान नज़रों से उस लड़की की और देखता है, जिसे अभी अभी किसी ने महक कहा था | ये नाम, सुन आरव की दिल की धड़कनें मानो किसी बात का सबूत दे रहीं थीं | ना जाने किस बात का, लेकिन आरव खुद को उस लड़की और देखने से रोक ही नहीं पाया |
जब रिया और महक सामान उठाकर, वापिस खड़े होते हैं, तब आरव महक को देखता है, और उसकी नज़रें महक पर मानो ठहर सी जाती हैं | उसके चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है | महक ने बहुत प्यारा सा लाइट पिंक क्लर्क लेहंगा पहल रखा था | जिसे उसने, साड़ी की तरह पहना था | महक जब अपने बाल ठीक कर रही थी, तभी आरव की नज़र महक की कमर पर जाती है, जहाँ उसे एक जाना पहचाना निशान दिखाई देता है |
"वही निशान " आरव मन ही मन खुशी से खुद से कहता है " मानो उसे कुछ मिल गया हो |
तभी, महक और आरव की नज़रें आपस में टकराती है | महक थोड़ा हैरान होती है, क्यूंकि उसके सामने खड़ा शख्स उसे कुछ जाना पहचाना लग रहा था, लेकिन फिर महक ज़्यादा ध्यान ना देता हुए, आगे बढ़ जाती है |
"वही चाल" आरव फिर से खुद में ही मन ही मन कहता है | अभिराज और शिवम् मल्होत्रा आरव को बड़े ध्यान से देख रहे थे | मानो उन्होंने कुछ नोटिस किया हो | दोनों फिर एक दुसरे की और देखते हैं , और फिर अभिराज आरव से कहता है |
"आरव, ये हैं, महक मल्होत्रा | माया की बुआ " अभिराज के मुँह से आरव शव्द सुन, महक के कान भी मानो खड़े हो जाते हैं | वो गिफ्ट सोफे पर रखते हुए, जल्दी से शॉक में आरव को देखती है | मानो कुछ ढून्ढ रही हो | मानो उसने किसी अपने को देखा हो | आरव बड़े आराम से महक के पास जाता है, और अपना हाथ आगे बढ़ा देता है |
लेकिन महक तो अपनी ही सोच में गम थी |
क्या महक और आरव एक दुसरे को जानते थे ? और क्या इस शै के बाद, अभि और माया की बेरंग ज़िन्दगी में रंगों की दस्तक होगी ?
जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |