अनोखा पितृऋण - 2 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनोखा पितृऋण - 2

Part 2     कहानी - अनोखा पितृऋण

नोट - अभी तक आपने पढ़ा कि किस प्रकार एलीना प्रोफ़ेसर के दुष्कर्म की शिकार हुई थी , अब आगे पढ़ें …. 

 


  एलीना और भी फूटफूट कर रोने लगी  . न तो वह कुछ बोल पा रहीं थी और ना ही नंदा कुछ समझ पा रहीं थी .तभी नंदा ने अपनी लड़खड़ाती जुबान से जो कहा उसका मतलब  " देख तुझे मेरी कसम है , जो भी हो साफ साफ बताओ . तुम्हारे मन को भी शान्ति मिलेगी और हम भी तुम्हारा दुःख कम करने का  प्रयत्न  करेँगे .चल ,अब देर न कर और जल्दी बता  .  "

  एलीना ने रात वाली घटना बताई और रोते हुए कहा  " आंटी , मुझे माफ कर देना . इस अनहोनी घटना के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूँ  .  आप विश्वास करें इसमें मेरा कोई कसूर नहीं था पर फिर भी मैं आत्मग्लानि से मरी जा रही हूँ .  मुझे समझ नहीं आ रहा पश्ताचाप करूँ तो कैसे .सोच रही हूँ अब कहीं दूर चली जाऊं "

नंदा तो शरीर से असमर्थ थी , बिस्तर पर पड़ी थी . पर उसके मन की वेदना और क्रोध दोनों उसकी आँखों और चेहरे पर कोई भी पढ़ सकता था . उसने अपने सामर्थ्य से उसे दूर हटाते हुए अपनी शैली में टुकड़ों टुकड़ों में कहा  जिसका अर्थ  "छीः! ये कैसा  घोर पाप कर डाला तूने . जा मेरी नज़रों से दूर जा ".

एलीना नम आँखों से दबे पाँव अपने आउट हाउस में जा कर बिस्तर पर औंधें मुँह तकिया में मुँह छिपा कर सिसक रही थी , पर देखने या सुनने वाला कोई न था .

उधर नंदा अपनी छड़ी को जोर जोर से बार बार  पटक कर अपने गुस्से का इज़हार कर रही थी  जिसे सुन कर प्रोफेसर भी अपने कमरे से बाहर आकर बोले , " नंदा , क्यों शोर मचा रखा है ? "

पर नंदा की आँखों में और चेहरे पर क्रोध साफ दिख रहा था .वह एलीना के कमरे की  ओर  छड़ी से बार बार इशारा कर रही थी और प्रोफेसर की ओर थूके जा रही थी . अब प्रोफेसर को सारा माज़रा समझ में आ गया  .गनीमत था कि उनका बेटा मोहन घर पर नहीं था वरना प्रोफेसर दयानिधि के पैरों के तले से ज़मीन खिसक जाती . मोहन को निकट के दूसरे शहर में ही नौकरी मिल गयी थी और प्रायः प्रत्येक शनिवार को घर आ जाता  और सोमवार प्रातः लौट जाता .

एलीना दो दिनों से आउट हाउस से बाहर नहीं निकली थी  .  इधर नंदा की तबीयत दिन ब दिन बिगड़ने लगी थी . इस शनिवार मोहन जब घर आया तो लड़खड़ाती जुबान और इशारों से उसने एलीना वाली बात बताई पर अपने पति प्रोफेसर साहब का जिक्र नहीं किया .मोहन बस इतना समझ सका कि एलीना किसी की बदसलूकी की शिकार बनी थी .मोहन ने माँ को समझाया और कहा " एलीना की स्नातक की पढ़ाई तो पूरी हो चुकी है ,बस परिणाम आना बाकी है . उसे किसी प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी मिल जाएगी  . हमलोग आपके लिए फुल टाइम नर्स की व्यवस्था कर देंगे  . एलीना शहर में  पी . ज़ी . ( paying guest )  में रह लेगी . वह  छुट्टियों में आया करेगी और आपके पास रहेगी  .  "

" यही ठीक रहेगा .यहाँ अब इसका कौन रहेगा मेरे बाद .मेरी सास तो किसी दिन भी रुक जाएंगी " मोहन की माँ ने  लड़खड़ाते शब्दों में रुक रुक कर कुछ कहा  . मोहन ने माँ और एलीना दोनों से बात की और उन्हें समझाया कि जब तक एलीना यहाँ है वह आपकी देखभाल करेगी  . 

मोहन सोमवार प्रातः चला गया .पर नंदा का स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया .अगली बार  मोहन जब घर आया नंदा ने मोहन और एलीना दोनों को एक साथ बुला कर अपनी शैली में जो कहा उसका मतलब  " अब तो एलीना पास भी कर गयी .तुम  इसे अपने साथ ले जा कर इसकी नौकरी और रहने का प्रबंध करो ."

" हाँ माँ ,मैंने भी दो स्कूलों में बात कर रखी है .बस एक औपचारिक इंटरव्यू देना होगा. भगवान ने चाहा तो सब ठीक होगा ".

अगले दिन सुबह उठ कर सब अपने अपने काम में लगे थे ,पर नंदा ऐसी सोई थी कि फिर दोबारा उठ न सकी  . प्रोफेसर को पहली बार किसी ने रोते देखा था .खैर अंतिम क्रिया संपन्न हुआ तो मोहन बोला " पापा , अब मुझे चलना होगा .एलीना भी मेरे साथ जा रही है .उसे वहाँ नौकरी भी मिल रही है और वह पी . जी .में रह लेगी ."

  अगले दिन  दोनों मोहन और एलीना एक साथ चले गए .प्रोफेसर साहब भी मना न कर सके . अभी तक मोहन को  एलीना के गुनहगार का पता नहीं था .

अब प्रोफेसर दयानिधि  अपने घर में अकेले  रह गए थे . हालांकि  मोहन ने उनके लिए चौबीस घंटे का विश्वासपात्र नौकर और एक रसोइया ठीक कर रखा था .

 इधर एलीना को टीचर की नौकरी मिल गयी थी और वो पी .ज़ी . में रहने लगी थी . मोहन ने स्थानीय अभिवाहक की जगह अपना नाम दे रखा था .

इस बीच लगभग एक  माह और बीत गया  , तभी एलीना को अपने अंदर अजीबोगरीब बदलाव सा लगा .मोहन उसे एक लेडी डॉक्टर के क्लीनिक में छोड़ गया  .डॉक्टर ने चेक अप के बाद जो कहा उसे सुनकर एलीना के होश उड़ गए . डॉक्टर ने कहा “ घबराने की कोई बात नहीं है , तुम  माँ बनने वाली हो  . बधाई हो  . तुम्हारे साथ तुम्हारे पति आये हैं , उन्हें भी बुला लो उन्हें भी बधाई दे दूँ  . “ 

“ नो डॉक्टर , वे मेरे पति नहीं हैं  . बस हम कुलीग हैं   . वे मुझे छोड़ कर  चले गए   . ठीक है , मैं अब जाती हूँ   . “ 

“ हाँ , जा सकती हो पर अपना ख्याल  रखना   . बीच बीच में अपने पति के साथ मिलते रहना   . “

क्लीनिक से निकल कर एलीना  स्कूल न जाकर सीधे पी .  जी . चली गयी . शाम को लौटते समय मोहन जब क्लीनिक पहुँचा तो डॉक्टर ने बधाई देते हुए कहा कि एलीना माँ बनने वाली है .यह सुन कर उसे भी आश्चर्य हुआ फिर अचानक उसे माँ की बात याद आयी जो एलीना के साथ हुए हादसे के बारे में माँ ने कही थी . एक पल के लिए  उसके मन में अपने पिता को ले कर शंका हुई फिर उसने सोचा नहीं नहीं मेरे पापा ऐसा नहीं कर सकते हैं   . 

मोहन ने फोन कर एलीना का हाल पूछा और  शाम को मिलने को कहा . उसने जानबूझ कर डॉक्टर से मिलने वाली बात उसको नहीं बताई .

दोनों शाम को पार्क के बेंच पर बैठ कर बातें करने लगे .पहले तो स्कूल और पी . जी .के बारे में.फिर  असली मुद्दे पर मोहन बोला "  एलीना मैं एक बात पूछूँ ? बुरा न मानना   .  मैं तुम्हारे डॉक्टर से मिल कर आया हूँ ."

मोहन आगे कुछ बोलता उसके पहले मानों एलीना पर बिजली गिर पड़ी हो   . यह सुन कर एलीना पहले तो कुछ सहम  गयी ,फिर खुद को सँभालते हुए पूछा  " हाँ पूछें  .” 

 

क्रमशः