मास्क - द साइको लवर - 1 Mr Rishi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मास्क - द साइको लवर - 1

मुंबई,,,,

पुलिस स्टेशन:

एक आदमी अपनी पत्नी के साथ पुलिस स्टेशन में खड़ा था। उन दोनो के चेहरे पर चिंता और डर साफ़ साफ़ देखा जा सकता था। उस आदमी की पत्नी के आंखों से आंसू की धार बह जा रहे थे।बाल बिखरे हुए उसे देख कर ऐसा लग रहा था वो बीमार होगी पर ऐसा नही था।

सामने कुर्सी पर एक मोटा सा इंस्पेक्टर अपने वर्दी के सारे बटन खोल कर बेफिक्र बैठा हुआ किसी से फोन पर बात करते हुए मुस्कुरा रहा था।,,,,

"अरे ऐसा नही है!तुम कहो तो उसे छोड़ कर तुमसे शादी रचा लू?"

उसी बीच एक लड़का वहा आकार टेबल पर चाय की को रखता हुआ आगे बढ़ जाता है।

ऐसी बातें सुन कर वो पति पत्नी एक दूसरे के तरफ देखते है।और फिर वो आदमी उस इंस्पेक्टर से कहता है।

"सर हमारी बेटी कल रात से घर नहीं लौटी है।"

ये कहते हुए उस आदमी के होंठ कांप रहे थे,, उसकी पत्नी अपने पल्लू से मुंह ढक कर अपनी आह को रोक कर रखी हुई थी। उस आदमी के कहने पर भी इंस्पेक्टर के कान में एक जु तक नहीं रेंगता है। वो उस आदमी की बातों को अनदेखा कर वापस से बात करने लगता है।

"सर हम सुबह से यहां पुलिस स्टेशन में है पर कोई भी हमारी रिपोर्ट नहीं लिखा रहा है।अगर आप कुछ करे तो बहुत मेहरबानी होगी आपकी।"

वो आदमी अपने दोनो हाथ जोड़ कर आंखों में आंसू लिए बोलता है।उसे ऐसे गिड़गिड़ाते हुए देख वो इंस्पेक्टर फ़ोन पर आसते से बोलता है।

"अच्छा मुन्नी मैं तुमसे थोड़ी देर बाद बात करता हु,, लव यू ,, "

इतना कह कर चिढ़ते हुए अपने जगह पर खड़ा होता है और उस आदमी पर गुस्से में चिल्लाते हुए बोलता है।

"क्यों? समझ नही आता की सामने कोई कितनी जरूरी बात कर रहा है और तुम हो की कब से बीच में बोले ही जा रहे हो?"

सामने खड़े उस आदमी की आवाज जैसे मानो बैठ सी गई हो वो हकलाते हुए फस फस कर बोलता हैं।

"माफ कीजिएगा सर पर हम कब से यहां अपनी बेटी के खो जाने की रिपोर्ट लिखवाने आए है।पर यहां कोई भी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं और आप है की पिछले कई घंटो से किसी से फोन पर बातें ही कर रहे है।"



उस आदमी के इतना कहते ही इंस्पेक्टर गुस्से से लाल होते हुए बोलता है।

"तो अब तू बताएगा मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं? हे,,,ये पुलिस स्टेशन है और यहां का इंचार्ज मैं हू तो मैं किस्से बात करू किस्से कुछ करू तु कौन होता है मुझे बताने वाला?"

"देखिए मैं यह रिपोर्ट लिखवाने आया हु और एक पुलिस वाला होने के नाते आपका फर्ज है हमारी मदद करना।"

उस आदमी को भी अब गुस्सा आ गया था।गुस्से में पुलिस वाले को जवाब दें रहा ही होता है की तभी उसकी पत्नी बीच में ही उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक कर बोलती है।

"नहीं जी ये क्या कर रहे है आप?"

इतना कह कर वो अपने पर्स में से कुछ रूपए निकल कर टेबल पर रख कर उसके सामने हाथ जोड़ कर बोलती है।

"इनके तरफ से मैं आपसे माफी मांगती हु प्लीज सर जल्द से जल्द किसी तरह से आप मेरी बेटी का पता लगा लीजिए।"

आंखों में आंसू लिए रोटी हुए अपने दोनो हाथ जोड़ कर उस पुलिस वाले के सामने गिड़गिड़ाने लगती है। पुलिस वाला टेबल पर पड़े रूपए पर एक नजर डालता है और उस पर एक फाइल उठा कर रख कर मुस्कुराते हुए बोलता है।क्या अंकल आपसे ज्यादा समझदार तो आंटी है।,,, ये लिजिए इस पर कंप्लेंट लिखिए और वहा जमा कर दीजिए चौबीस घंटे के अंदर आपको कॉन्टैक्ट कर लिया जाएगा।"

इंस्पेक्टर के इतना कहते ही वो औरत टेबल पर से वो पेपर उठा लेती है।

"लालन जी इनका कंप्लेंट जमा करा लीजिएगा ।"

इतना कह कर इंस्पेक्टर वापस से कुर्सी पर बैठ कर टेबल से चाय उठा कर पिता है और कहता है।

"उम्मम्म,,, लालन जी एक काम करिए ये सब बाद में भी होता रहेगा मेरी चाय ठंडी हो गई है।पहले एक गर्म चाय बोल कर आईए।"

पुलिस स्टेशन में ऐसा वार्ताओं देख कर उस आदमी को बहुत दुख होता है।और टेबल पर पड़े कंप्लेंट वाले पेज को रोते हुए अपने मुट्ठी में जकड़ लेता है।अपनी आंखों को मिचलता है जिससे आसू उस पेज पर गिरते है।

थोड़ी देर बाद कॉन्स्टेबल लाल वहा आता है और कंप्लेंट और सारी इनफॉर्मेशन लिखवा कर उन्हे जाने को कहता है।

"ठीक है अब आप जाइए जैसे ही कुछ खबर होगी आपको बता दिया जायेगा।"

उसके कहने पर वो दोनों वहा से नम आंखें लेकर वहा से लौट जाते है।

उनके जाते ही इंस्पेक्टर के पास कॉल आता है । कॉल देख कर इंस्पेक्टर झट से कॉल उठा कर जी हुजूरी करते हुए बोलता है।

"सच में मेरा दिन आज अच्छा जायेगा आपके कॉल आ जाने से।"

इंस्पेक्टर चाटुकर्ता की भाती बोलता है।

"हां वो तो जायेगा ही पर याद रहे मेरी बेटी का स्कूटी किसी ने चुरा ली है।उसे सही सलामत खोज कर मेरे घर पहुंचा देना वरना आधा दिन तुम्हारा अच्छा गया होगा आधा खराब न हो जाए!क्या समझे??"

"समझ गया पर आपको एक मामूली सी स्कूटी के लिए इतना क्यों ,,,"

आगे कुछ बोलता उससे पहले फोन से आवाज आता है।

"मामूली स्कूटी नहीं,,,मेरी बेटी की सबसे पसंदीदा और उसके दिल के करीब है वो स्कूटी कैसे भी करके मुझे शाम तक वो मेरे घर के सामने चाहिए।"

इंस्पेक्टर कुछ बोलता उससे पहले कॉल रख देता है। कॉल कटने के बाद इंस्पेक्टर लालन को आवाज देता है।

"लालन जी एक काम करिए अभी ये कंप्लेंट छोड़िए और एक स्कूटी चोरी हुई है पहले उसे खोजिए ।

इतना कहता ही है की तभी चाय लेकर एक लड़का आता है इंस्पेक्टर चाय लेकर पीने लगता है।



To be continued