जूलियस लेटर B M द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जूलियस लेटर

बोम्बे का 1960 का दशक, कई लोगो के लिए महत्त्वपुर्ण समय था। बोम्बे जो अभी अभी विकसित शहेरो की कतार मे उभर रहा था। कई लोग यहां रोज अपने सपने पुरे कर ने, या तो खुद के जीवन को सपना बनाने यहां आते थे। 


मुझे एक लेखक के तौर पर इस शहर ने वो सब कुछ दिया.. जिस की मुझे चाह थी। मेरी दो किताबो को इस शहेर के लोगो ने बहुत प्यार दीया.. आज जो मे ये अमीरी की और एक चर्चित लेखक की जींदगी जी रहा हु.. ये बिलकुल न होती अगर वो हादसा मेरे साथ न हुआ होता। 


वो समय आज से पांच साल पहेले का था। जब मे बोम्बे के चर्चगेट मे अपने पुराने दो मंजीला घर मे रहेता था। लेखक बनने की चाह तभी भी थी। उस समय मेरी कोई कहानी चल ही नही रही थी। घर खर्च चलाना भी मुश्केल हो चुका था। इस लिए मैं ने अपना उपरी कमरे को किराये पर देना का सोचा.. 


दिन जा रहे थे। पर कुछ नही हो रहा था। तभी एक दिन दरवाजे पे किसी ने दस्तक दी। मैं ने दरवाजा खोला, दरवाजे पर एक लडकी जो पतली- हलकी पर तंदुरस्त शरीर की, आंखो पर एक काला चश्मा लगाये पीली साडी मे खडी थी। 


आप अपना कमरा किराये पर देना चाहते हो? लडकी ने पुछा। हा! किराये पर देना चाहता हुं, मै ने कहां… 


तो क्यां मै वो कमरा ले सकती हुं?…  हांं क्युं नही.. आप देख लो कमरा.. मैं ने उसे कमरा दिखाया..  कमरा तो अच्छा है… कितना किराया होगा? महिना का 50 रुपिये, मैं ने कहां।  50 रुपिया तो बहुत ज्यादा है, मैं आपको बस 35 रुपिया किराया दे सकती हुं। अचानक पत्ता नही क्युं मेेरे मुंह ने हामी भर दी। 


शुक्रिया.. मैं आज से ही रहेने आ जाउंगी। सॉरी ..मैं ने. आपको अपना नाम तो बताया ही नही। मेरा नाम जूलिया डीसोजा है। मैं भी जब अपना नाम बताने जा ही रहा था,  की उसने मुझे बीच मे ही रोक दीया और बोली, आप मुझे मेरे भाई एडम की याद दीलाते हो। तो क्या मे आपको आज से एडम कह कर बुलाउं? मैं ने कही पठा था, कि नाम मे क्या रखा है। तो मैं ने,  हा कह दीया। 


शाम तक जूलिया अपना सारा सामान लेकर उपर के कमरे मे रहने आ गई। उस के साथ उसकी एक बिल्ली भी थी। मुझे वेसे तो बिल्ली या कुछ ज्यादा पसंद नही है.. पर अब से ये मेरे घर का एक हिस्सा थी।  मैं खुश था घर मे अब एक और इंसान रहेने आ गया था। तो मुझे लगा कि खामोशी का ये माहोल अब हट जायेगे। 


मुझे एक सप्ताह के भीतर पत्ता लगा की जूलिया.. दिन भर तो कमरे मे ही रहेती है, पर शाम होते ही सज सवर कर कही चली जाती है और फिर देर रात या, तो सुबह वापस आती है। मैं जूलिया को ये सब के बारे मे पुछना चाहता था। परंतु मुझे लगा कि किसी के नीजी व्यक्तिगत मामले मे ज्यादा दखल अंदाज करना अच्छी बात नही है। वेसे भी वो हमारी एक किरायेदार है। लेकिन स्त्री का ये रुप मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था। देश अब आझाद था.. लोकतंत्र आ चुका था …व्यक्तिगत निर्णय लेना का हक्क सबको मिल चुका था। तो मेरी कभी जूलिया से कुछ भी पुछने की हिमंत ही नहीं हुई। 


कुछ महिने बाद एक रात मैं अपना काम कर के कही से आ रहा था। तभी मैं ने सामने रस्ते पर एक गाडी मे जूलिया को बेठते हुए देखा.. मुझे जानने की बडी इच्छा हुई की, ये आखिर जूलिया जा कहां रही है? मैं ने टेक्सी मे बेठकर उस गाडी का पीछा कीया। गाडी एक जगह जा कर रुकी.. जूलिया और साथ मे एक लडका गाडी से उतरे और मैं ने देखा दोनो क्लब के अंदर चले गए।


मैं ने भी अपनी टेक्सी रोकि और क्लब के अंदर जाने के लिए आगे बठा… अंदर काफि शोर शराबा था। मैं जूलिया को अंदर ढुंढ ने लगा.. मैं ने देखा जूलिया और वो लडका क्लब के अंदर की तरफ जा रहे थे , मैं ने दोनो का, थोडी दुरी से पीछा किया, वो दोनो कब्ल के आखरी छोर से एक दरवाजे के अंदर चले गए.. मैं भी पीछे पीछे उस रुम के अंदर गया.. अंदर जाते ही मैं ने देखा यहां का माहोल,  बहार के माहोल से बिलकुल अलग था। यहां काफि रोशनी थी। शुट बुट मे, काफि लोग सजे धजे खडे थे। औरते भी काफि सलीके से सजी हुई थी। मैं अंदर जाकर एक कोने मे खडे होकर सब देख रहा था। 


तभी वहां जूलिया मेरी तरफ आई। मेरे पास आकर खडी हो गई। हेल्लो एडम तुम्ह यहां?  किसी बडे लेखक को मिलने आए हो? मैं ने कहां नही.. मे तो बस युही यहां चला आया हुं.. मै यहां पे किसी को नही जानता.. 


तुम कुछ पीना चाहोगे? जूलिया ने दो ग्लास विस्की के हाथ मे लिए और एक ग्लास मेरे हाथ मे थमा दिया.. देखो मे तुम्हे सब का परिचय देती हुं। वो जो सफेद शुट मे, जो स्मार्ट इंसान देख रहे हो वो रोहित वर्मा है। यहा के लॉ सेनेटर, वो अब म्युनिसिपल कोर्पोरेशन के इलेक्शन मे खडा हुवा है और वो पीले शुट मे जो है। वो रहेजा कंपनी का CEO विराज रहेजा है। शहेर का जाना माना बिजनेस मेन है। बाकी यहां पर नेवल ओफिसर, आर्मी चीफ, कमिश्नर जेसे शहर के बडे जाने माने लोग है। वेसे एडम तुम लेखक हो ना? तुम्हे राकेश जी से जरुर मिलना चाहिए। वो तुम्हे, तुम्हारी किताब छापने मे जरुर मदद करेंगे। 


जूलिया ने राकेश जी को बुलाया.. मुझसे परिचय करवाया.. राकेश जी जो मध्यम आयु के साधारण से दिखने वाले इंसान थे। जूलिया वहां से चली गई। 


वैसे तुम कोन हो? जूलिया के नये आशिक! वैसे तुम्हे बता दुं ये जो लडकी है ना वो अपने खुबसुरती और जवानी के जोश मे कुछ ज्यादा ही पागल है। तुम्हे पत्ता है आज ये शहेर की बडी मशहुर हिरोईन बन चुकी होती। मेने बडी महेनतो के बाद प्रोड्युसर तारिक से जूलिया को लेकर एक फिल्म बना ने को मना लिया था। पर ये बेवकुफ लडकी उस विराज रहेजा के साथ कही खुम ने नीकल गई और सबकुछ बर्बाद कर दीया.. 


तो तुम्ह भी अपना टाईमपास बंद करो और उसको समझाओ की वो थोडा सा, अपने जीवन मे सिरियस हो जाये। राकेश जी ने अपनी बात पुरी की। 


देखो मैं जूलिया का कोई आशिक नही हुं.. मे उसका मकान मालिक हुं..,  राकेश जी वहां से चले गए.. मे वही कौने मे खडा रहा। तभी जूलिया मेरे पास आयी,  चलो चलते है. जूलियाने कहां। हम दोनो वहां से बहार निकले, रात बराबर से जमी हुई थी. सडके खाली थी.. जूलिया वेर्स्टन ड्रेस, काले चश्मे लगाए काफि अच्छी लग रही थी। वो बहोत शांत थी। 


वैसे एडम तुम्हे ये शहर केसा लगता है? तुम्हे नही लगता ये बडा खामोश शहर है? 


नही मुझे तो एसा नही लगता.. वेसे तुम्ह ने फिल्म क्यो नही की? मैं ने पुछ ही लिया.. ओ तो राकेश जी ने तुम्हे मेरे बारे मे सब बत्ता दीया.. वैसे क्यां कहां की मै पागल और बेवकुफ हुं.. देखो एडम मुझे लगता है फिल्म की जो हिरोईन होती है। वो अपने चहेरे पर अच्छाई का नकाब लेकर खुमती रहेती है। लेकीन मै आझाद किस्म की औरत हुं.. मुझे जो है वो रहेना अच्छा लगता है.. 


उस दिन मुझे जूलिया मे कुछ तो बात लगी.. शायद वो मुझे अब थोडा थोडा पसंद आने लगी थी। हम दोनो अब कभी मिलते तो कई विषय पे बात करते.. मैं उसकी तरफ कुछ ज्यादा ही ढल ने लगा था। 


एक दिन जब मैं बहार से घर की तरफ लौट रहा था। तब मैं ने थोडी दुरी सी देखा, की एक व्यक्ति जो की नाही जवान नाही बुढा था.. वो बार बार जूलिया के रुम की तरफ देखे जा रहा था।  वैसे मेने उस व्यक्ति को पहेले कभी नही देखा था। मैं अपने घर की तरफ आगे बढा.. उस व्यक्ति ने शायद मुझे आते हुए देख लिया… वो भी चलने लगा। मैं ने उसका पीछा किया.. थोडी दुरी पर मैं ने उसको पकड लिया.. 


तुम्ह मेरे घर के सामने क्या कह रहे थे? बार बार जूलिया के कमरे की और क्युं झाक रहे थे? वो शख्स थोडी देर कुछ नही बोला.. उसके बाद उसने अपने कोट मे से एक लिफाफा निकाल कर मेरे हाथो मे रखा दीया। मेने लिफाफा को खोल कर देखा, उसमे दो फोटो थे। मेने दोनो फोटो को देखा, फोटो कुछ ज्यादा साफ नही थी। एक शादी की फोटो थी और दुसरे मे एक लडका लडकी खडे थे। मैं ने पुछा ये कोन है? 


ये मेरी शादी की फोटो है। मै जूलिया का पति हुं! दुसरे फोटो मे जूलिया और उसका भाई एडम है। तुम जूलिया के पति हो, तो जूलिया तुम्हारे साथ क्युं नही रहेती?  मै ने फोटो को दुबारा ध्यान से देखा.. फोटो मे लडकी काफि जवान थी। परंतु ध्यान से देखा तो वो जूलिया ही थी, ये पत्ता चल गया। 


उस शख्स ने बोलना शरु किया.. मे उटी के एक छोटे से कस्बे मे रेहता हुं। मेरा नाम जेम्स डिसोजा है। मेरा उटी मे एक छोटा सा कारोबार है। मे वहां अकेले ही रहेता था। तभी एक दिन जूलिया और उसका भाई एडम मेरे वहां आये और पुछ ने लगे की हमे कही रहेने के लिए जगह मिलेगी? या कुछ काम मिल जाए तो आपकी बडी महेरबानी होगी। मैं ने दोनी की मासुमियत देखकर दोनो को अपने वहां रख लिया। मैं ने शहर मे उनके बारे मे पत्ता करने की कोशिश की पर कुछ पत्ता नही चला। वैसे एडम बडा महेनती लडका था.. वो मेरे घर के आसपास के सारे काम कर लेता था। जूलिया भी बडी अच्छी लडकी थी। जूलिया ने सारा घर अच्छे से संभाल लिया था। वो काफि सुंदर भी थी। तो मैं ने कुछ महिने बाद जूलिया के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया.. जूलिया ने थोडे दिन सोच समझ ने के बाद शादी के लिए हा कह दिया.. हम दोनो ने शादी करली.. 


सब कुछ अच्छा चल रहा था.. पर एक साल के बाद ही मेरा कारोबार ठप्प हो गया और उपर से एडम की तबीयत भी खराब होने लगी। हमने एडम कि कई दवाई करवाई, पर कुछ फर्क नही पडा.. फिर एक बडे सर्जन को दिखाया तब पत्ता चला की एडम का जो हार्ट है वो कमजोर है। तो हार्ट सर्जरी करनी पडेगी.. पर उस वक्त हमारे पास इतने पैसे ही नही थे। कुछ दिनो बाद जूलिया वहां से भाग गई.. मैं ने जूलिया को ढुंढ ने का बडा प्रयास कीया.. पर जूलिया मुझे कही नही मिली.. 


कुछ महिनो बाद हमारे घर मे एक पेकेट आया.. जिसमे पैसे थे। जिसमे जूलिया एक मेसेज भी था। मेसेज मे था, मैं हर महिने तुम्हे एडम की सर्जरी के लिए पैसे भेजती रहुंगी। बस तब से जूलिया एडम के लिए पैसे जुटाने मे लग गई है और तब से मै भी जूलिया की तलाश कर रहा  हुं। थोडे दिन पहेले कुछ लोगो से मुझे पत्ता चला गया की जूलिया यहां ही रहेती है। तो मे ढुंढते हुए यहां आ गया।


मुझे ये सारी बाते सुनकर कुछ भी समझ मे नही, आ रहा था.. कि मै क्यां करु? मैं जेम्स को लेकर जूलिया के पास गया.. जूलिया जेम्स को देखकर खुश हो गई.. दोनो अंदर कमरे गये.. जूलिया ने जेम्स से कुछ कहां,  फिर जेम्स वहां से चला गया।


एक दिन शाम को किचन मे जूलिया और मैं अपने लिए खाना बना रहे थे। जूलिया बडी खुश थी.. वो एक वाईन की बोतल भी लेकर आयी थी। वाईन पीत्ते पीत्ते रेडियो पर गाने सुनकर खाना पक्का रही थी। मैं भी उसकी मदद कर के खुश था। थोडी देर बाद वो एक फिल्मी गाने पर डांस करने लगी.. मेरे पैर भी जूलिया के साथ थीरकने लगे.. वो रात मैं ने जूलिया से काफि खुशनुमा बाते करके, वाईन पीकर बीताई।


उस महिने मे म्युनिसिपल कोर्पोरेशन का इलेक्शन रोहित वर्मा जीत चुका था.. थोडे दिन बाद रोहित वर्मा ने शादी कर ली.. जूलिया को शादी का निमंत्रक आया था, परंतु जूलिया पत्ता नही क्युं पर शादी मे नही गई.. और थोडे दिन से परेशान भी रहेने लगी थी।


मैं ने जूलिया से परेशानी का कारण पुछा ! तब पत्ता चला की विराज ने जूलिया को उसके भाई एडम की सर्जरी के लिए पैसे देने का वादा किया था। परंतु अचानक से विराज को बिजनेस के सिलसिले मे बहार जाना पडा। तो इस बात से जूलिया परेशान थी। क्यों की विराज अब कब वापस आयेगा.. उसे नही पत्ता था..


मै ने कहां चिंता मत करो, सबकुछ ठीक हो जाएगा.. विराज जल्द ही वापस लोट आएगा.. और पैसे भी देगा.. 


इन सब के बिच में मुझे पत्ता नही क्यो पर जूलिया कुछ ज्यादा ही अच्छी लग ने लगी थी। लेकिन दिल की बात कभी जूलिया को बताने की हिंमत शायद मेरे मैं थी ही नहीं। मैं अपनी दिली ख्वाहिश दिल मे ही दबाए,  अपना काम किए जा रहा था। अच्छी बात ये थी की अब मेरी छोटी छोटी कहांनिया एक मेगझीन मे छपने लगी थी। लोगो को मेरी कहांनिया पसंद आने लगी थी। कभी कभी जूलिया भी मुझे कहानी लिख ने मे मदद करती थी। कहांनी छपने से पैसो की किलत भी थोडी खत्म हो गई थी। मैं ने अपने पहेले कमाई से, जूलिया को साडी गिफ्ट दी थी। गिफ्ट पाकर जूलिया बडी खुश हुई थी… जब वो साडी पहनकर आई, तो लगा मानो चांद धरती पे आ गया हो। जूलिया आज सुंदरता की मुरत बनी बेठी थी। वो बडी सुंदर लग रही थी। 


तकरीबन दो महिना बाद एक शाम को मैं अपना कुछ काम कर रहा था। घर मे बिल्ली यहां से वहां खेले जा रही थी। मैं ने उस बिल्ली को खाना डाला और तभी जोर जोर से दरवाजा खटखटाने की आहाट सुनाई दी.. मैं ने दरवाजा खोला, सामने जूलिया डरी सहमी सी खडी थी। जूलिया तुरंत अंदर आयी और अपने कमरे मे चली गई.. मुझे कुछ समझ मे नही आया क्यां हो रहा है। 


थोडी देर बाद मैं कॉफी बनाकर, कॉफि कप मे लेकर जूलिया के कमरे की और गया.. दरवाजा खुला था। कमरे की लाईट बंद थी। कमरे मे अंधेरा छाया था, मेने लाईट चालु की, जूलिया डर सहेमी अपने बिस्तर पर बेठी थी.. मै ने कॉफी का कप जूलिया को दिया। उसने कप पकडा और तुरंत कप को बाजु मे रख कर मुझ से लिपट गई। मुझे कुछ पत्ता ही नही चला, हो क्या रहा है!


मैं ने कुछ समय बाद जूलिया से पुछा. क्यां हुआ? तुम इतनी डरी सहमी क्यों हो? क्यां हुआ बताओ मुझे? थोडी देर पुरे कमरे मे खामोशी छा गई…  फिर जूलिया मुझ से दुर होकर बेठ गई,  मैं भी जूलिया के बाजु मे जाकर बेठ गया..

 

तुम्हे पत्ता है ना? उस दिन जो शख्स आया था.. वो जेम्स। हां जो तुम्हारा पति है… क्यां हुआ जेम्स को? मै ने पुछा.. वो मेरा पति नही है! क्यां जेम्स तुम्हारा पति नही है? मै ने आर्श्य से पुछा… 


वो शख्स मेरा पति नही है.. दरसल बात एसी है.. हम जब उटी मे पहोंचे। तो जेम्स के घर रहे, फिर मेरी जेम्स से शादी हुई… सब कुछ अच्छा चल रहा था.. जेम्स काफि अच्छा इंसान था। लेकिन हमारी खुशियो पर किसी का ग्रहण लग गया। 


मेरा भाई एडम मेरी शादी के बाद जेम्स के साथ मिलकर कारोबार कर ने लगा था। अचानक कुछ महिने बाद जेम्स को पत्ता चला की कारोबार के खातो मे, कुछ पैसो की हेरा फेरी होने लगी है। कुछ पैसे कहा से आ रहे है कहा जा रहे है.. जेम्स को पत्ता नही चल रहा था.. जेम्स ने तलाश की, तो पत्ता चला की एडम ड्रग्स का व्यापार कर रहा था और ये सब पैसे एडम के ड्रग्स के कारोबार से आ रहे थे। एडम पकडा गया.. जेम्स कही पुलिस को ना बता दे और उसका खेल ना बिगड जाए। इसलिए उसने जेम्स को रास्ते से हटा दिया.. एडम खुन कर के भाग ना चाहता था पर बदनसीबी से वो पुलिस के हाथो पकडा गया। 


कोर्ट मे केस चला। वो दोषी पाया गया। कुछ सालो बाद उसकी बदली मुंबई के जेल मे हो गई.. मैं ने अपने पति को तो खो दीया था। अब एडम के अलावा मेरा कोई न था। तो भाई के लालच मे, मैं यहां चली आई। मैं एडम से जेल मे मिलने हफ्ते मे एक बार जाने लगी। तभी एडम ने मुझे उसके वकील से मिलवाया। जो उसका सब काम करता था। वो उस दिन जो, यहां आया था वो वही वकील था। दुनिया वालो से और पुलिस से बचने के लिए वो मेरे पति बनने का नाटक कर रहा हैं। 


मतलब, मैं कुछ नही समझा.. मैं ने कहां! वो बात ये है की एडम तो जेल मे है। लेकिन उसने कहां तुम मेरी बहन हो। तुम मेरी इतनी छोटी सी मदद नही कर सकती। तुम्हे बस मेरा एक संदेश हर हफ्ते वकील को बता ना है। बस इतना ही काम करना है। उसने इमोशनली मुझे अपने झाल मे फसा लिया। मै मान गई उसका मेसेज मे वकील को देने लगी। मुझे केसे भी करके एडम को जेल से बहार नीकला ना था। इस लिए मे बडे बडे अमीर लोगो से मिलने लगी। ताकी उन से कुछ मदद लेकर मे अपने भाई एडम को जेल के बहार निकाल सकु।


लेकिन एडम का कुछ और ही प्लान था। वो जेल मे बेठे बेठे मुझे मोहरा बनाकर अपना ड्रग्स का कारोबार बठा रहा था। पुलिस कई दिनो से ड्रग्स के गिरो को ढुंढ रही है। उनकी तलाश मे, ये सामने आया है की, मैं इस गेंग की मुख्य आरोपी हुं… मैं जो भी मेसेज वकील को देती थी। वो कोई साधारण मेसेज नही थे। वो स्मलिंग के प्लान के मेसेज थे। जो मुझे बाद मे पत्ता चला। इस लिए पुलिस अब मुझ तक, कभी भी पहोंच शकती है। मुझे जेल नही जाना है। ये बोलकर जूलिया रो पडी। 


मेरा दिमाग ये सब सुनकर खामोश हो चुका था। मुझे कुछ भी नही सुझ रहा था की, इस अवस्था मे अब क्या करना चाहिए। 


मुझे लगता है, मुझे ये शहर छोडकर कही चले जाना चाहिए। नही तो पुलिस मुझे भी जेल मे डाल देंगी। हा.. मुझे भागना ही होंगा। जूलिया ने एकदम से स्वस्थ होते हुए कहां।


क्यां तुम यहां से भाग जाओगी?  फिर तो पुलिस का शक, सही हो जाएगा.. लोगो के मन मे, तुम्हारे प्रति गलत नजरीयां बन जाएगा। नही मुझे नही लगता, तुम्हारा ये कदम सही है। 


नही.. मेरा ये कदम सही है। वरना मैं जेल मे जाउंगी.. तुम्ह मेरा एक काम करना.. मैं मेरा सारा जरुरत का सामान पेक करती हुं.. लेकिन अगर मैं सामान के साथ निकली तो किसी को शक हो सकता है। इस लिए तुम मेरा सारा सामान एरपोर्ट के बाजु वाले होटल पे लेकर आना। मैं तुम्हारी दो दिन बाद वहां राह देखुंगी.. तुम मेरा इतना काम करोगे ना?  प्लीज ना मत केह ना, मुझे तुम्हारे अलावा इस शहेर मे किसी पे भरोसा नही रहा। एक और बात मेरी बिल्ली का भी, मेरे बाद ख्याल रखना। इस बिचारी का मेरे अलावा कोई नही है।


लेकिन तुम दो दिन तक क्यां करोगी? मैं ने पुछा। देखो मुझे मेरे लिए कुछ पैसो का, एक पासपोर्ट का और विजा  टिकीट का बंदोबस्त करना होगा । ताकी मैं जल्दी से जल्दी यहां से निकल सकु।  तो उन सबके लिए मुझे दो दिन चाहिए।


मैं ने देखा जूलिया एकदम शांत शातिर क्रिमीनल की तरह लग रही थी। वो जल्दी से अपना बेग पेक करने लगी फिर रात के 12 बजे वो घर से निकल गई। चलो मिलती हुं, दो दिन बाद होटेल में।. 


मुझे बडी गभराट होने लगी थी। दो दिन बीत, गये वो वक्त आ गया। आज जूलिया अपने प्लान को अंजाम देने वाली थी। मैं पीछे के रास्ते से जूलिया का सारा सामान लेकर टेक्सी मे बेठकर होटल पहोंचा। होटल पहोंच कर मैं होटल के अंदर गया। वहां अचानक से मेरे पीछे जूलिया आकर खडी हो गई।  उसने अपना थोडा सा हुलिया बदल रखा था। ताकी उसे कोई पहेचान न ले। उसने एक टेक्सी बुलाई। मैं ने सारा सामान रख दीया, मैं औऱ जूलिया टेक्सी के अंदर बेठ गए।


टेक्सी चलने लगी… देखो तुम्हे, एक बार फिर से सोच लेना चाहिए.. हम दोनो मिलकर कुछ ना कुछ दुसरा रास्ता जरुर निकाल लेंगे… मुझे ये सब ठीक नही लग रहा.. मै ने आखरी बार जूलिया को अपने से दुर जाने से रोक ने के लिए ये सब कहां। पर जूलिया शांत रही। वह कुछ न बोली.. मुझे जूलिया की इस शांती पर गुस्सा आ रहा था.. तो मैं ने आखिर कार अपने दिल की बात कह ही दी.. जूलिया मैं तुम्हे बहुत चाहता हुं.. बहुत प्रेम करता हुं तुमसे। तुम मुझे छोडकर मत जाओ। मैं तुम्हे कुछ नही होने दुंगा… तुम्हारे लिए  सारे जमाने से लड जाउंगा.. पर तुम बस मेरे पास रहो.. मैं तुम्ह से बेइंतहा मोहब्बत करता हुं। 


देखो मै भी तुम्ह से प्रेम करती हुं,  पर इस वक्त मेरा जाना जरुरी है। नही तो हम दोनो को ये जहां कभी साथ नही रहेने देंगा। देखो एक बार मैं वहां पहोंच गई, फिर सेटल होकर मैं तुम्हे वहां पर बुला लुंगी। फिर हम दोनो हंमेशा के लिए साथ मे रहेंगे। जूलिया ने आंसु टपकांते हुए कहां.. एरपोर्ट आ चुका था। हम टेक्सी से निचे उतरे।


जूलिया ने सारा सामान लिया औऱ एरपोर्ट की तरफ जाने लगी। थोडी दुर जाकर वो रुक गई और पीछे पलटी दौड कर आई, मुझसे लिपट गई… फिर उसने कहां हम जल्द ही मिलेंगे और वो चली गई।


चार दिन बाद मैं ने अखबार मे एक खबर देखी.. जिस मे लिखा था। ड्रग्स गेंग हुई फरार.. पुलिस तलाश कर रही है… आगे उस मे लिखा था.. एडम, उसका वकील और गेंग की मुख्य आरोपी जूलिया भाग गए है। गेंग को भाग ने मे मदद करने वाले शख्स को पुलिस ढुंढ रही है। ये सब पढ कर मेरे पैरो तले से जमीन ही खीसक गई। जूलिया की मदद तो, मैं ने भी की थी। 


कुछ ही घंटो बाद पुलिस मेरे दरवाजे पर आई… मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। मैं ने पुलिस को सारी सच्चाई बता दी, पर पुलिस को मुझ पर विश्वास ही नही था। मेरे खिलाफ उनके पास सबुत थे।  मुझे एरपोर्ट की वो फोटो भी दिखाई गई जिस मे मैं औऱ जूलिया गले मिले हुए थे। मेरी कुछ समझ नही आ रहा था कि ये तस्वीर पुलिस के पास केसे आई.. मेरे पर मुकदमा चला.. मुझे 10 महिने की सजा हुए।


जेल मे अकेले मे शांति से सारी चीजे सोचने पर, मुझे सब समझ मे आ गया। जूलिया पहेले से एडम और वकील के साथ भाग ने का प्लान बना रही थी। पर जूलिया को सही वक्त की तलाश थी। इस लिए उसने सब्र रखा। जूलिया ने इस के लिए, अपने अमीर दोस्तो से बहोत सारे पैसे जमा कीए.. फिर रोहित की मदद से तीनो के लिए नकली पासपोर्ट औऱ विजा बनाया। उसी वक्त वकील ने एडम को बिमार साबित कर के अस्पताल मे भर्ती करवा दिया। सारा प्लान सही से बिठा कर, उसने एरपोर्ट पर मेरे साथ वकील के जरीए फोटो खींची और फिर फोटो को पुलिस के पास भेज दीया। ताकी पुलिस थोडे समय के लिए मुझ मे व्यस्त रहे.. और वो ये देश से बाहर चली जाई.. 


10 महिने की सजा काट ने के बाद मैं घर वापस लोटा.. मेरे पास कुछ नही बचा था..  मैं ने सोचा मेरे पास बस एक हि हुनर है। मैं ने कलम के जरिए, अपनी कहानी को आवाज दी। मैं ने दो किताबे पब्लिश करवाई.. दोनो लोगो को बहुत पसंद आई, पर मैं ने कभी भी जूलिया के बारे मे नही लिखा। लेकिन आज कई सालो के बाद जूलिया के बारे पहेली बार लिख रहा हुं। 


मैं ने आखरी पन्ना लिख कर किताब बंद कर दी। जेसे ही कुर्सी से उठा कमरे मे बिल्ली बेठी थी। मैं ने उसे उठाया उसे सहेलाने लगा। बिल्ली मेरे हाथो मे आराम कर ने लगी। ये मेरा लिखने का कमरा था। जहां मेरी सारी लिखावट पडी थी। कमरे मे एक बोक्स के अंदर कई सारे जूलिया को लिखे हुए खत थे, जो मैं ने कभी भी जूलिया को नही फेजे थे। उन मे से दो खत जूलिया ने भेजे थे, जो मैं ने अब तक नही पढे थे। मैं ने कमरे की लाईट बंद कर दी. दरवाजा बंद कीया.. बिल्ली को खाना दिया वो बेठकर खाने लगी और मैं किचन की तकफ गया। मेरी पत्नी सुमन वहां खडी थी, मैं सुमन के पास गया और उससे लिपट गया।