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खाली दिमाग



खाली दिमाग
सब कहते है खाली दिमाग शैतान का घर होता है। सुना तो मैंने भी यही है मगर ये दिमाग कभी खाली होता भी है क्या? वो क्या है न कि विज्ञान कहता है कि दिमाग ही पूरे शरीर को संचालित करता है। तो संचालन करने वाला खाली कैसे हो सकता है!
चलो मान लिया कि खाली हो गया दिमाग, खाली मतलब एकदम खाली तो अब इस खाली दिमाग का इस्तेमाल कैसे किया जाए क्योकि कहते है ईश्वर की बनाई कोई भी वस्तु या प्राणी व्यर्थ नहीं।
कल ही हमारे भाई साहब कह रहे थे कि उनका दिमाग आजकल खाली है । हमें तो सुनकर बहुत खुशी हुई तुरन्त सुझाव दिया कि आफिस से लौटते वक्त इसी खाली दिमाग मे सब्जी भरकर ले आया करो,थैला ले जाने का झंझट नहीं और साथ ही पोलोथिन के विरोध का नारा लगाने वालों के साथ सबसे आगे की लाइन में खड़े हो जाओगे।
अब पता नहीं उनको ये सुझाव कितना पसंद आया मगर हमें याद आया पेपर पिन का अविष्कार भी ऐसे ही खाली बैठे -ठाले कर दिया था, और अपने न्यूटन मियां भी तो ऐसे ही खाली दिमाग के साथ सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे नहीं तो अच्छे भले दिमाग का आदमी पके सेब के पेड़ के नीचे क्यों बैठेगा लेकिन उनका दिमाग उस वक्त खाली था, सोच ही नही पाया और महाशय को पुरुस्कार में गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज का दायित्व मिल गया।
तो भैया, बात समझो, खाली बैठना भी एक कला होती है और दिमाग खाली रखना बहुत बड़ा हुनर।वो लोग क्या समझे इस खालीपन के अहसास को जो हर वक्त भरे रहते हैं।
अब दिमाग खाली रहेगा तभी तो किसी अतिथि विचार के लिए जगह बन सकेगी! मगर आजकल लोगो को अतिथि भारी पड़ने लगे इसलिए दिमाग के अतिथि के स्वागत की बात कौन करे।
खाली दिमाग को खाली कमरे की तरह मनचाहे ढंग से सजा सकते हैं, पसन्द आपकी सलाह लेने के लिए गूगल बाबा है न, दिमाग को परेशानक्यों करना।
और कुछ समझ न आये तो दूसरों के फटे में टांग अड़ाइये, वैसे भी हम भारतीयों का प्रिय शगल है ये तो।
एक बात और , खाली दिमाग मे ख्याली खिचड़ी भी बहुत बढ़िया पकती है और बेहद लज़ीज बनती है, जैसे अभी मैं पका रही हूं ये सोचकर कि इस लेख को खाली दिमाग के साहित्य में सर्वोपरि स्थान पर रखा जाएगा और आने वाली पीढियां प्रेरणा लेंगी।
वैसे खाली दिमाग ने इतिहास में भी बहुत धूम मचाई है, खाली दिमाग होने पर ही बादशाह अकबर ,बीरबल से अजीबो गरीब सवाल कर बैठते थे और बीरबल अपनी बुद्धि के सारे घोड़े दौड़ाकर उनका जबाब लाकर देते देते खुद इतने खाली दिमाग हो गए कि बूढ़े बीरबल के किस्से कभी सुनने में नहीं आये। एक व्यक्ति अपने खाली दिमाग के कारण के कारण ही हजारों सालों से लोकथाओं का नायक बना हुआ है " शेखचिल्ली"। सोचिये अगर शेखचिल्ली खाली दिमाग के न होते तो क्या वह इतने प्रसिद्ध हो सकते थे?खाली दिमाग होना घाटे का सौदा नही जनाब यदि वो आपको प्रसिद्धि दिला दे और दूसरों के तोते उड़वा दे।
वैसे खाली दिमाग करने के लिये भी कोर्स होना चाहिए और इस खाली दिमाग को भी कैसे काबू में रखा जाए, ये भी उसमे सिखाया जाए। आखिर इस भागदौड़ भरी जिंदगी में दिमाग खाली करना आसान काम थोड़े ही है मगर बस उतनी देर ही खाली रखना सिखाया जाए जब तक वहां शैतान अपना घर बनाने न आ सके वरना अंजाम .... बहुत बुरे भी हो सकते हैं
Megha

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