हादसा और पहेली - 3 - अंतिम भाग S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हादसा और पहेली - 3 - अंतिम भाग

. अंतिम भाग - 3 :   पिछले भाग में आपने पढ़ा कि उस रात के हादसे के बाद जब पहली बार शुभ्रा और नितिन दोनों मिले तब शुभ्रा की बातें सुन कर नितिन कुछ डर सा गया था , अब आगे पढ़ें   .... 


                                                                       कहानी -   हादसा और पहेली  3 


 


नितिन को खामोश देख कर वह बोली ¨ अगर तुम्हें शक है तो तुम पैटर्निटी टेस्ट करा सकते हो  . फिर तुम्हें शक करने की कोई गुंजाइश न रहेगी  . वैसे ऐसे किसी टेस्ट से मेरा कोई लेना देना नहीं है  . नेहा को पापा का भरपूर प्यार मिला है  . मैंने बस तुम्हारा शक दूर करने के लिए कहा था  .  ¨


¨ नहीं , मैं शक नहीं कर रहा हूँ  .पर  तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ? ¨


¨ तुम्हें क्या बताती , उस समय मुझे खुद पता नहीं था  . वैसे मैंने तुमसे शादी का प्रस्ताव रखा था , तुम्हें याद होगा  . खैर  अब इस  बात का कोई मतलब  नहीं है    . ¨


“ तब बच्ची पर मेरा हक़ बनता है  . अनिल कहाँ है , उस से मांग लूं इसे ? “  हँसते हुए नितिन बोला 


“ अनिल हेयर कट ले रहा है , आता ही होगा  . पर भूल से भी कुछ ऐसी वैसी बात उस से न करना  . तुम्हारी और हम तीनों की जिंदगी का सवाल है  . वैसे भी हमलोग अब गोवा शिफ्ट हो रहे हैं   .  “


“ डरो नहीं , वैसा कुछ नहीं करूँगा  . पर अपनी बेटी की याद आजीवन आएगी और शायद रुलाये भी  . अच्छा अनिल के आने के पहले बेबी के साथ दोनों एक सेल्फी ले लें  .  “


शुभ्रा ने फोन के एक क्लिक के साथ फोटो लेकर नितिन को भेज दिया और साथ ही अपने फोन से डिलीट कर दिया  . नेहा तो इतनी छोटी बेबी थी कि उसे कुछ पता भी नहीं कि क्या हो रहा था   . 


तब तक अनिल आया तो शुभ्रा ने दोनों का परिचय कराया  . फिर वह अपने पति और बच्ची के साथ चली गयी  . दो तीन साल तक नितिन और शुभ्रा फोन से सम्पर्क में रहे  . इसके बाद वर्षों तक वह शुभ्रा से  नहीं मिल सका  और न ही उसके पास शुभ्रा या अनिल का कोई अता पता था  . पर नितिन शुभ्रा और विशेष कर उसकी बेटी के बारे सोच कर अक्सर दुखी हो जाता   .  बेटी के खोने का सोच कर उसका मन अत्यंत  विचलित हो उठता  . उसने शादी नहीं करने का फैसला लिया - शायद यही उसके लिए पश्चाताप था   . 


 इस बीच करीब बीस साल से ज्यादा बीत गए   . नितिन ने सारा ध्यान अपनी कंपनी में लगाया जिसके फलस्वरूप उसकी छोटी सी स्टार्टअप अब मुंबई की एक बड़ी कंपनी हो चुकी थी   . उसकी कंपनी में एक एच आर अफसर की जरूरत थी जिसके लिए पेपर में एड दिया गया था   . 


उस दिन नितिन के दफ्तर में इंटरव्यू होना था   . कुछ आवेदनकर्ताओं के इंटरव्यू के बाद  नेहा नाम की एक लड़की का इंटरव्यू होना था   . नितिन स्वयं  चेयरमैन था और उस समय इंटरव्यू  बोर्ड में मौजूद था   . लड़की का रिज्यूमे देख कर उसे कुछ शक हुआ  कि कहीं यह उसकी बेटी तो नहीं है   . वैसे नेहा के इंटरव्यू से नितिन के साथ बोर्ड 

                                                                                                                                      

के अन्य सदस्य भी पूर्णतः संतुष्ट थे   . नेहा को ऑफर दिया गया   . उसे नितिन ने अगले सप्ताह ज्वाइन करने के लिए खुद अपने चैम्बर में रिपोर्ट करने को कहा   . 


कंपनी के नियमानुसार जोइनिंग के समय उसका पूरा विवरण एक फॉर्म पर भरने को कहा गया   . फिर पूरा फाइल लेकर वह नितिन के चैम्बर में गयी   . नेहा की  फाइल में उसने जब उसके पिता का नाम और माता का नाम दोनों देखा तो कुछ चकित हुआ और मन ही मन खुश भी हुआ  . नेहा की फाइल देखने के बाद उसे जरा भी संदेह नहीं रहा कि नेहा उस की बेटी नहीं  है   . उसने अनिल और शुभ्रा के बारे में पूछा तो नेहा ने कहा “ अब वे दोनों इस दुनिया में नहीं रहे  . “ 


“ आई एम सॉरी , पर क्या मैं जान सकता हूँ यह सब कैसे हुआ ? अगर बुरा न मानो तो मुझे बताओ  . “ 


“  पांच साल पहले  एक कार दुर्घटना में  दोनों की मौत हो गयी  थी   . “ 


फिर नीतिन ने नेहा से पूछा  ¨ तुम आजकल किसके साथ रहती हो ? ¨


¨ अभी तो पी जी में हूँ   . फर्स्ट सैलरी मिलने के बाद किसी फ्लैट में मूव कर जाऊँगी    . ¨


                                                                                                                                   

 मेरे अपार्टमेंट काम्प्लेक्स में एक  वन रूम अपार्टमेंट खाली है   . ऐसा करो , तुम आज शाम को वहीँ शिफ्ट कर जाओ   . ¨


¨  थैंक यू सर , पर इतनी जल्द मैं यह मैनेज नहीं कर सकती और न ही उस  हाइ फाइ काम्प्लेक्स मैं  अफ़्फोर्ड कर सकती हूँ   . ¨


¨ वो फ्लैट तुम्हें कंपनी की ओर से नॉमिनल रेंट पर मिल रहा है   . मैं अभी अपनी सेक्रेट्री को बुला कर सब इंतजाम करा देता हूँ   . और किसी तरह की मदद की आवश्यकता पड़े तो मुझे या सेक्रेट्री को बता देना   . ¨


¨ थैंक यू सर ,  पता नहीं क्यों आपसे मिल कर मुझे मम्मी की एक बात याद आ गयी है  . ¨


¨ क्या तुम मुझे बता सकती हो ? ¨  अनिल ने पूछा 


¨ ऑफ़ कोर्स सर , मेरे पापा का डेथ तो ऑन द स्पॉट  ही हो गया था  . पर मम्मी ने अस्पताल जाते समय मुझे एम्बुलेंस में कहा था कि एक अंकल के बारे में जरूरी बात बताती हूँ  , अगर वे तुम्हें कभी मिले तो तुम्हें अवश्य मदद करेंगे  . वे तुम्हें पापा जैसा ही  प्यार करेंगे  . अनिल से शादी के पहले मैं उन्हीं के यहाँ टेनेंट थी और एक दिन एक हादसा हुआ जिसके लिए वे अकेले ही दोषी नहीं थे और  ..... पर इसके आगे बोलने के पहले ही उसकी सांसें सदा के लिए थम गयीं   . सर आप इतने अच्छे हैं , आज आप से मिल कर मुझे लगा कि कहीं वो अंकल आप ही तो नहीं हैं सर  ? बट मैं श्योर नहीं क्योंकि मुझे खुद उनका नाम पता कुछ भी नहीं मालूम है  . आपके अच्छे व्यवहार से मैं बहुत इमोशनल हो गयी थी इसलिए ऐसा कहा है  मैंने  .  ¨


नितिन कुछ पल उसे देखता रहा , फिर मुस्कुरा कर बोला ¨ तुम्हारी मम्मी जिस अंकल के बारे में बोल रही थी वो अंकल मैं हूँ या नहीं,  मैं कैसे कह सकता हूँ  . पर तुम मुझे  वैसा ही दूसरा अंकल समझ सकती हो , वैसे मैं तुम्हारे पिता तुल्य भी  हूँ  . है कि नहीं ?  ¨


 ¨ थैंक्स ए लॉट सर   . ¨


¨ नेहा , तुम्हें यहाँ जॉब करनी है या नहीं ? ¨

        

¨ ऑफ़ कोर्स करनी है , पर अचानक आप ऐसा क्यों पूछ रहे सर ? मुझसे क्या गलती हुई है , प्लीज बताएं सर  . मैं तुरंत उसे सुधरने का प्रयास करूंगी और माफ़ी माँग लूँगी  .  ¨   नितिन के ऐसा पूछने पर नेहा घबरा गयी थी   . 


¨ तो कान खोल कर सुन लो एक बात   . मैं बार बार वार्न नहीं करूँगा   . मुझे अकेले में सर नहीं अंकल कहना , याद रखना   . पर ऑफिस में सब के सामने सर ही कहना मुझे , याद रखना  ¨

    

¨ यस सर , नो  सर , सॉरी सर   .  ओह यस अंकल   .  “  


नितिन ने हँस कर उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा ¨ गो इन योर चैम्बर एंड अपना चार्ज लो   . ¨


नितिन नेहा को बहुत प्यार करता और  इसके चलते ऑफिस में उसे   स्पेशल ट्रीटमेंट मिलता  . नेहा को चाह कर भी वह सच्चाई नहीं बताना चाहता था , उसे डर था कि कहीं नेहा  अपनी माँ और उसके रिश्ते के बारे में नितिन को दोषी समझ नफरत न करने लगे  . इसी बीच नितिन को हार्ट अटैक हुआ  पर वह जल्द ठीक हो गया  . नेहा ने बिमारी में दिन रात उसकी सेवा की  . इस दौरान उसने कम्पनी के बारे बहुत कुछ नेहा को बताया , कुछ सीक्रेट्स भी  . नेहा ने पूछा “ अंकल , मैं तो अभी बहुत जूनियर हूँ , ये सब बातें मुझे क्यों बता रहे हैं ? “


“ मैं इस कम्पनी का मालिक हूँ  . जिस पर मुझे भरोसा है उसे बताना सही है , इतने दिनों से इस प्रोफेशन में हूँ और मुझे आदमी पहचानने का अनुभव हुआ है  . मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और पूरी उम्मीद है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी  .आने वाले  कुछ दिनों में मैं तुम्हें इस बिजनेस के तौर तरीके अच्छी तरह से समझा दूंगा  . इसके बाद  जल्द ही तुम मैनेजर बनने के काबिल  हो जाओगी  . “


देखते देखते  तीन  साल के अंदर ही नेहा मैनेजर बन गयी  . कुछ दिनों के बाद नितिन ने अपने वकील को बुला कर वसीयत बनवाया और दो  सील्ड लिफाफे  वकील को देते हुए कहा “ मेरे मरने के बाद इन्हें  नेहा को दे देना  .छोटे लिफाफा में एक पत्र और कुछ फोटो हैं , पहले इन्हें देना  .  “


इसके कुछ महीनों के अंदर ही नितिन को दिल का दूसरा और अंतिम दौरा पड़ा  . अस्पताल में ही उसने नेहा और वकील को बुलाया  . नेहा का हाथ अपने हाथ में ले कर उसने कुछ कहना चाहा  . उसने वकील को आँखों से इशारा किया और कुछ कहने के पहले ही नितिन ने आखिरी सांस ली  . नेहा ने वकील का दिया लिफाफा खोला तो उसमें एक चिठ्ठी और शुभ्रा के साथ उसके बचपन वाली सेल्फी देखी   . उसे देख कर नेहा को  कहानी बहुत  कुछ  समझ में आने लगी थी  . नेहा अब जान चुकी थी कि नितिन ही वो अंकल हैं जिसके बारे में मम्मी ने बताया था पर नेहा के मन में हादसे वाली बात अभी भी स्पष्ट नहीं हो पायी थी  . नेहा ने ही नितिन का अंतिम संस्कार किया  . पर उसके मन में इस पश्न का सही उत्तर एक पहेली बन कर रह गया   . मम्मी किस हादसे की बात बताने वाली थी  . कहीं नितिन सिर्फ मेरे अंकल ही थे या कुछ और भी  . 


जो भी हो  वसीयत के अनुसार अब नेहा  नितिन की पूरी सम्पत्ति की एकमात्र उत्तराधिकारी थी  .अब वह  नितिन की कम्पनी की मालकिन बन गयी  , इसलिए अब वह मैनेजर नहीं रही  बल्कि कम्पनी की चेयर पर्सन हो गयी है   . 

 

समाप्त