कुछ ही घंटो मे अंजली और श्रुति अपने पीजी पहुच जाती है । साथ ही शौर्य अवीका को भी उसके घर छोड देता है फिर रोहित को ले कर अपने विला की तरफ कार चला देता है। इस तरफ श्रुति सिधे जा कर बैड पर गिरती है
और बगल मे बैग से सारे कपड़े अनपैक कर रही अंजलि से कहती है-" यार वो आर्मी कैम्प था की कैदखाना ना कभी सोने देते थे और ना ही अच्छे से आराम करने देते थे भला कोई 4 बजे उठ कर जोगिन्ग के लिये जाता है क्या ...हुह्ह।" अंजलि कपड़े को निकालते हुये-" तुम बिल्कुल पागल हो वहा तुम ट्रेनिंग लेने गयी थी या हॉलीडे मनाने।"
श्रुति-" सच बोलू तो मुझे लगा ही रहा था की वहाँ मेरे साथ कैदियो जैसा व्यवहार होगा लेकिन वो तो शौर्य ने बोला था तो मै चली .....। "
इतना कह वो चुप हो गयी और मन में-" अरे बुध्दू श्रुति की बच्ची फ़्लो फ़्लो मे ही बहे जा रही है।" तभी अंजलि मन मे सोचती है-" वाह रे भगवान क्या तेरी माया है तूने तो दोनो तरफ दिल मे आग लगाया है।"
फिर बोलती है-" वोह्ह तो यह बात है शौर्य ने बोला था इसलिये चली गयीं .....वाह बेटा क्या बात है तेरी मम्मी भी बोले कोई काम करने को तो तू नही करती है लेकिन शौर्य ने बोला तो कर दिया क्या चल रहा है।" श्रुति शर्मा जाती है फिर बोलती है-" मेरा सिर दर्द कर रहा है मै सोने जा रही हूं।" और चादर मे मुह छिपा कर सोने की ऐक्टिंग करने लगती है।
इधर अंजलि उसे खुब परेशान कर रही थी और ठहाके लगा के हंस भी रही थी। तभी श्रुति झटके से उठ कर-" ओए अंजू मुझे ना चिढा नही समझी अपना भूल गयी क्या अगर वो होते ना तब मै भी बताती है।"
श्रुति ने आज अचानक ही कुछ ऐसा बोल दिया था जिसे सुन अंजलि के आँखे आशुओं से भर जाती है। श्रुति को अपनी गलती का अहसास होता है वो अंजलि के पास आकर बोलती है-" सॉरी अंजू वो तो गलती से मेरे मुह से निकल गया अब उनकी बात मै कभी नही करूंगी ....... पक्का ।"
अंजलि तो बस कही और ही खोई थी उसे बस एक झलक याद आ रही थी 3 साल पहले ----(कैसे एक लड़की आगरा के आसमान के नीचे किसिके कंधे पर सर रखे हुये यमुना किनारे ताजमहल देख रही ही थी और बोल रही थी-" तुम कभी मुझे छोड के मत जाना।"
वो लड़का-" कभी नही अगर मर गया भी तो तुम्हारे और श्रुति के लिये वापस यमराज से लड़कर आ जाऊँगा।" तभी वो लड़की उसके मुह पर हाथ रख देती है और कहती है -" तुम अगर हमे छोड दोगे तो पता भी नही हम दोनो कैसे रहेंगे तुम्हारे बिना।"
यह लड़की कोई और नही बल्कि अंजलि ही थी । तभी वहा श्रुति दौडते हुये आती है और उन्हे ऐसे देख खासते हुये-" अब रोमांस हो गया हो तो चले भी शाम हो गयी है अगर ऐसे ही आगरा मे यमुना किनारे बैठ ताजमहल देखोगे ना तो अगले शाहजहाँ और मुमताज की उपाधी तुम दोनो को ही मिल जायेगी।"
दोनो जल्दी से खड़े हो श्रुति से नजरे इधर उधर फेरने लगते है। तभी वो लड़का-" वो हम लोग तो ऐसे ही बैठे थे।" श्रुति-" बस बस सब पता है मुझे लगे रहो तुम लोग अपने काम मे लेकिन टाईम से घर चलो नही तो बहुत डांट पड़ेगी।")
तभी फोन बजाने से अंजलि की तंद्रा टूट जाती है। तो उसे मह्सूस होता है की श्रुति उसे कब से कंधे से पकड हिलाए जा रही है। श्रुति देखती है तो उसकी ही मोबाइल पर कॉल था वो अंजलि को छोड कॉल उठाते हुये बालकनी मे चली जाती है । श्रुति -" हेलो कौन है ।"
उधर से शौर्य की दादी-" सोना मै हूं"
श्रुति-" अच्छा दादी आप।" दादी -" हा बेटा मै तुम्हे बहुत मिस कर रही थी तो सोचा की कॉल कर लू वैसे तुम अभी जहा गयी थी वहा से वापस आई की नही ।"
श्रुति-" अभी आई हू दादी।"
दादी-" वैसे मेरा पोता भी आ ही रहा होगा आज।"
श्रुति इस बात पर ध्यान नही देती है फिर आगे बात करने लगती है। दादी अभी बात कर ही रही थी की शौर्य रोहित के साथ विला मे आता है। शौर्य रोहित दादी के कमरे से होते हुये अपने कमरे में जा रहे थे की शौर्य को हल्की आवाज सुनाई देती है उसे लगता है की यह तो श्रुति की अवाज है लेकिन वो देखता है की दादी तो फ़ोन पर किसी से बात कर रही हैं तो उसे लगता है की शायद कोई वहम होगा शायद इसिलिए उसे ऐसा लगा ।
वो सर झटक कर रोहित के साथ आपने कमरे मे चला जाता है। कमरे के कुछ देर तक दोनो फ़ाईल कंप्यूटर मोबाइल लैपटॉप सबका जमावड़ा लगाए कुछ कर रहे थे। लगभग एक घण्टे बाद दोनो मैप उठा के देखने लगतें है। शौर्य रोहित से-" कुछ समझ नही आ रहा की यह अफताब लोग है कौन और इनका कनेक्शन विदेशों मे क्यू है और वो ड्रग्स डीलिंग वाला भी मसला हल नही हो रहा है। " रोहित-" वही तो मुझे भी समझ नही आ रहा है।"
कुछ देर यही सब डिस्कस करने के बाद अन्त मे शौर्य बोलता है-" रोहित तुम पता लगाओ पहले की यह करना क्या चाहते है।" रोहित हाँ मे सर हिलाते हुये-" वो सब ठीक है लेकिन अब मुझे चलना चाहिये नही तो सब घर पर चिल्लाएंगे की अभी आया क्यू नही।" इतना कह वो वहा से निकल जाता है। दुसरी ओर श्रुति जैसे ही दादी का कॉल रखती है उसकी मम्मी का कॉल आ जाता है। वो मम्मी से-" नमस्ते मम्मी कैसी हो आप।" श्रुति की माँ उससे बात करती है लेकिन वो थोड़ा परेशान लग रहीं थी। श्रुति भी यह समझ जाती है फिर श्रुति-" मम्मी सब ठीक तो है ना क्या हुआ आप परेशान क्यू हो इतना।"
मम्मी बनावटी हसी हसते हुये -" अरे नही ऐसी बात नही है।" और मन मे-" श्रुति अब तुम्हे कैसे बताये की सब हमारी प्रॉपर्टी के पीछे पडे है।" श्रुति-" अच्छा ठीक है फिर।" कुछ देर बाद वो कॉल रख वापस बालकनी से कमरे मे आती है ।
आज फिर से अंजलि किसी की फोटो लिये उसे ध्यान से देख रही थी लेकिन श्रुति को देख हमेशा की तरह मुस्कुरा कर उसे वापस बैग मे डाल लेती है।श्रुति भी उसकी हालत समझ रही थी इसिलिए वो भी कुछ नही बोलती है।
धीरे-धीरे ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है और शाम हो जाती है सभी अपने अपने कामो मे लगे थे। सुबह कॉलेज भी जाना था वो भी इतने दिनों बाद तो सब उत्सुक भी थे इसिलिए रात को सभी खाना खाने के सोने चल जाती है।
क्रमश: