गुजरात के अहमदाबाद में सृष्टि नाम की एक लड़की रहती है। उसका इस दुनिया में कोई नहीं है। सृष्टि बचपन से ही बहुत होशियार और समझदार थी।
सृष्टि शुरू से ही पढाई में टॉपर थी। और पढाई के साथ ही वो स्पोर्ट्स मैं भी काफी अच्छी थी। और वो बहुत ही खूबसूरत थी। उसकी खूबसुरती के आगे चांद भी कम लगता था।
सृष्टि एक बहुत ही सांत स्वभाव की समझदार लड़की थी। वो बचपन से ही अकेली रही थी इसलिये उसे अकेले रहने की आदत पड छुकी थी। उसकी एक ही बुरी आदत थी और वो थी बात पर गुस्सा करना। दर्शल वो अपने जाने पर कंट्रोल नहीं रख पाती। खास कर जब बात सच या जुठ की हो या किसी के साथ कोई गलत हो रहा हो तो वो सहन नहीं कर पाती थी।
सृष्टि को अपने मां बाप के बारे में कुछ नहीं पता था। Isliye uska उपनाम गांधी था। सृष्टि गांधी। ये उपनाम आश्रम की ओर से मिला था जिसका का प्रयोग करते थे। अब वो कॉलेज में थी तो उसने आश्रम छोड़ दिया और किराये पर रहे लगी। .
सृष्टि हमेंशा अपना काम खुद करती थी। वो हर काम को बहुत ही दिल से और प्यार से करती थी। इस्लिये उसका हर काम परफेक्ट होता था।
आज सृष्टि का कॉलेज मैं पहला दिन था। सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर वो कॉलेज जाने के लिए निकली। सृष्टि एल डी कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था।
सृष्टि के सपने बहुत ही अलग थे। आईएएफ यानी की भारतीय वायु सेना में शामिल हों। अपने देश की सेवा करनी थी। इस्लिये वो बचपन से ही आईएएफ में जाने के लिए तयारी कर रही थी।
कॉलेज मैं पहुंचते ही वो सिधे क्लास में गई। व्याख्याता शूरु होने माई ५ मिनट बाकी। इसिलिए सृष्टि अपनी किताब खोल के पढाई करने लगी।
अचानक प्रोफेसर आए। सारे स्टूडेंट्स ने उन्हे गुड मॉर्निंग विश किया। फिर प्रोफेसर ने अपना परिचय दीया।
फिर प्रोफेसर ने सबसे अपने सपने के बारे में पुछने लगे। अब सृष्टि की बारी थी। सृष्टि ने अपना परिचय दीया। प्रोफेसर ने कहा तुम्हारा सपना क्या है? सृष्टि ने जावब देते हुए कहा, सर मैं आईएएफ मैं जाना चाहती हूं। एयरफोर्स ज्वाइन कर के अपने देश की सेवा करना चाहती हूं।
ये सुनकर सब उसकी और देखने लगे। प्रोफेसर ने कहा बहुत अच्छा। आप क्लास के बाद मेरे पास आना। सृष्टि ने हा मैं जबाब दिया और बैठ गई।
फिर प्रोफेसर ने पुछा की क्या आप मिकेनिक्स के बारे में जानते है? सृष्टि ने उनके सवाल का जबाब दिया। क्लास खतम होने के बाद वो प्रोफेसर के पास गई और कहा की क्या मैं आ सकती हूं सर।?
प्रोफेसर ने कहा, हां। सृष्टि अंदर गई और प्रोफेसर ने कहा, आईएएफ में जाने के लिए वो उसकी मदद करेगा। और उसे सृष्टि के हाथ में एक पत्र दिया और कहा पढो इस्से।
सृष्टि ने लिफाफा खोला और देखा तो हेरान रहे गए। उसे कहा सर... ये क्या है? मुजे एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन मिल गया। लेकिन कैसे?
प्रोफेसर ने कहा, तुम्हारा रिजल्ट देखर में चौक गया था। फिर मैं ने तुम्हारे बारे मैं पता किया और मुझे पता चला की तुम आईएएफ में शामिल होना चाहिए। इसलिये मैंने अपनी दूसरी कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग मैं तुम्हारा प्रवेश करवाया। और हां तुम्हे स्कॉलरशिप भी मिलेगी इस्लीए फीस की टेंशन मत लेना।
सृष्टि थोडी घबराते हुए बोली, "सर, लेकिन एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग में तो ज़्यादातर लड़के ही होते हैं और फील्ड वर्क मैं भी लड़के ही होते हैं।"
प्रोफेसर ने कहा , "देखो बदलव सृष्टि का नियम है। इस्लिये तुम्हें ये करना चाहिए। और तुम तो बहुत ही हिम्मत वाली लड़की हो। और अगर जुड़ने के लिए तुम्हारे इस इंजीनियरिंग से मदद मिलेगी।"
सृष्टि ने थोड़ी उलझन दिखते हुए कहा, "लेकिन सर..." फिर उसे कुछ सोचते हुए कहा ठीक है सर मैं ये करुंगी।
प्रोफेसर ने कहा का उपयोग , "अच्छा किया मुझसे तुमसे यही उम्मीद थी। और हां अब तुम्हे बहुत मेहनत करनी होगी।"
सृष्टि ने हा मैं अपना सर हिलाया। और वो वहां से चली गई।
दूसरे दिन वो अपने सारे दस्तावेज लेकर अपने नए कॉलेज में गई। वहां उसने देखा से पूरी क्लास मैं सिर्फ वो अकेली लड़की थी। लेकिन उसने हिम्मत दीखाते हुए क्लास में एंटर हो गए।
लेकिन कुछ देर बाद ही, 2 और लड़की क्लास मैं आई। फिर उनका व्याख्यान शुरू हुआ। और उन सब से पुछा की आप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करना क्यों चाहते हो? श्सृष्टि आप बतायें पहले।
सृष्टि को कुछ समझ में नहीं आया। क्यों इस शाखा के बारे मैं कुछ नहीं पता था । इस्लिये उसे थोड़ा सोचकर जवाब दिया, "सर, मैं इंजीनियरिंग कर के अपने देश की सेवा करना चाहती हूं।" सर ने उसकी की सराहना करते हुए कहा, "अच्छा "
फिर उनहोने लेक्चरर स्टार्ट किया। और उन्होन एरोनॉटिक्स के बारे मैं बताया। व्याख्यान खतम होते ही सारे छात्र आपस में बात करते हैं।
सृष्टि भी बाकी दो लड़कियों से बात कर रही थी।
सृष्टि ने एएमई में अप्लाई किया। अभी वो कॉलेज मे ही थी। वो कॉलेज के ग्राउंड मैं एक जगह शांति से बैठकर अपना काम कर रही थी।
अचानक 4 लड़के उसके पास आए और उसके साथ बदतमीजी करने लगे। सृष्टि को बहुत गुस्सा आ रहा था। ये देख कर एक लड़के ने कहा, ये तो तीखी मिर्च लग रही है इसे खाने में बड़ा मजा आएगा।
ये सुंकर सृष्टि का गुसा सत्वे आसमान पर चढ गया। फिर उसने लड़कों को जोर से लात मारी और कहा मजा आया?
ये देखो बाकी 3 लड़के भी उस पर हमला करने लगे। लेकिन उसकी फाइटिंग स्किल्स देख कर वो लड़के भी भाग गए। असल मैं सृष्टि ने एक लड़के की बगीचा पर वार कर कर बेहोश कर दिया था और बाकी बचे लड़कों को भी बहुत अच्छे से पिटा था।
सृष्टि की हिम्मत देख पुरा कॉलेज उसी तारिफ करने लगे। एक लड़की ने सृष्टि से पुछा की तुमने ये कैसे किया? इतनी ताकत कहा से आई तुम्हारे पास? वो इतनी कम उमर में।
सृष्टि ने कहा, की हिम्मत हमारे अंदर होती है। जब कोई हमें बुरी निगाहो से देखे और हमारे सम्मान को थेस पहंचने की कोशिश करे तो हिम्मत अपने आप आ जाती है। और मैं एक कराटे चैंपियन हूं। और अब मैं और लड़कियों को भी कराटे सिखाती हूं।
इतना बोलकर वो वहां से अपनी क्लास के लिए निकल गई। क्लास माई पहुंचते ही सारे स्टूडेंट्स ने उसकी हिम्मत की और फाइटिंग स्किल्स की तारिफ की। पर उसमे से एक लडका आरव बोला, "इस लड़की की मर्दानी और हिम्मत कहीं एक दिन ले ना डूबे।"
ये सुनकर सृष्टि ने कहा, "इसकी फ़िकर तुम्हें करने की जरूरत नहीं है। मैं अपनी रक्षा खुद कर सकती हूं।"
आरव ne Kaha, "तुम janti भी हो तुम kisse बात कर रही हो?"
सृष्टि ने कहा, "हा, एक बदनामी और घमंडी लड़के से जिसे एक औरत की हिम्मत सहन नहीं हो रही है।"
आरव मस्कुराकर बोला, सही कहा तुमने। अभी अपनी सीट पर बेथ जाओ। और पढाई करो।
सृष्टि ने सख्त लहेज़ मैं कहा, "मैं आप की बात क्यू मानु? आप क्या कॉलेज के ट्रस्टी है? प्रिंसिपल है?"
आरव ने कहा, "नहीं लेकिन पहले तुम पिछे देखो, फिर मुझसे तर्क करना।"
सृष्टि ने पिछे देखा, कॉलेज की ट्रस्टी श्री अपर्णा उनके जगडे को देख रही थी। सृष्टि ने घबरकर कहा, "मैम आप? असल में हम तो बस ऐसे ही बात कर रहे हैं और कुछ नहीं।"
अपर्णा ने कहा, "क्या कोई बात नहीं मैं तो बस यहां से गुजर रही थी तो मैंने तुम्हारी बात सुनी इसलिय रुक गई। सच मैं तुम बहुत बहादुर हो। दोस्तों आप आगे बढ़ें" इतना कह कर वो वहां से चली गई।
हलां की आज सृष्टि का कॉलेज मैं पहले दिन था। लेकिन पहले ही दिन उसे कॉलेज मैं अपना नाम मशहूर कर दिया था। उसके लिए कॉलेज का पहला दिन बहुत एडवेंचर भरा रहा।
कॉलेज खतम होते ही, वो घर जाने के लिए निकल पड़ी। रास्ते में कोई ऑटो या बस नहीं मिल रही थी । तबी वहा आरव अपनी बाइक लेकर आया। और उसे सृष्टि से कहा, की मैं ड्रॉप कर देता हूं। लेकिन सृष्टि ने मना कर दिया।
थोड़ी देर के बाद आरव ने कहा, देखो अभी यहां पर कोई बस या ऑटो नहीं मिलेगी। तो मेरे साथ आ शक्ति हो। मैं तुम्हें ड्रॉप कर दूंगा। और वैसे भी तुम्हें कराटे आते हैं फिर डर किस बात का?
सृष्टि ने कहा, मुझे डर नहीं लग रहा है। ऐसा कहेकर वो उसके पीछे बेठ गई। आरव बहुत ज्यादा स्पीड से बाइक चला रहा था।
सृष्टि ने डांटते हुए कहा, धीरे चलाओ रास्ते में ट्रैफिक है। और तुम्हे मेरे घर का रास्ता भी नहीं मालुम है।
आरव ने इग्नोर कर दिया । और उसे स्पीड बढ़ा दी। आरव ने सिधे सृष्टि के घर के आगे बाइक रोक दी।
सृष्टि ने कहा, तुम्हारे मेरा पता कैसे पता? इतने मैं घर के मालिक मिस्टर गुप्ता बाहर आए और उन्हो ने कहा, बेटा आरव तुम आ गए। आरव ने भी उनके जोड़े छुटे हुए कहा, हा डैड।
ये सुंकर सृष्टि थोड़ी देर के लिए फ्रीज रहे गइ।
फिर वो घर के अंदर गया और ताजा होकर छत पर गया.वाहन पहले से ही आरव बेथा था। सृष्टि ने पुछा का , तुमने मुझे बताया क्यों नहीं की गुप्ता अंकल के बेटे हो?
आरव ने कहा, तुमने मौका ही नहीं दिया।
दोनो बात करने लगे। और आरव उससे दोस्ती करने के लिए पुछा।
सृष्टि ने कहा, देखो मेरे सपने अलग है मुझे iaf मैं जाना है। इसलिये हमारा रिश्ता सिर्फ दोस्ती तक ही रहेगा। और कुछ नहीं।
आरव ने कहा, बहुत बढ़िया। मैं भी आईएएफ की तयारी कर रहा हूं। क्यू ना हम साथ में तैयारी करे?
सृष्टि ने कहा लाइन मारने की कोषिश कर रहे हो?
आरव ने कहा, नहीं।
सृष्टि ने हाथ आगे बढ़ा और कहा, ठीक है हम दोस्त हैं।
आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ|