लव ऑफ्टर मैरिज - 1 samiksha Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लव ऑफ्टर मैरिज - 1

एक मध्यमवर्गीय परिवार का मकान; दिल्ली "अरे! कहां हो ‌तुम‌ सब? जल्दी से
उठ जाओ,‌ अभी तक सोए हो क्या बच्चों सुबह के 8:00 बज गए हैं लगभग चिल्लाते
हुए मिसेज शर्मा ने किचन से अपने बच्चों को जगाते हुए आवाज लगाई।" किचन के
बाहर ही डायनिंग टेबल के पास एक चेयर पर उनके पति मिस्टर शर्मा बैठकर
न्यूज़ पेपर पढ़ रहे थे। तभी मिसेज शर्मा किचन से बाहर आए और अपने पति को
उनका नाश्ता सर्व करते हुए बोली - "देखिए ना यह बच्चे अभी तक सो कर नहीं
उठे हैं और; आप भी कुछ नहीं बोल रहे हैं,आज शाइना को देखने लड़के वाले आ
रहे हैं और इतना काम है घर में, लेकिन बच्चे हैं कि सोकर ही नहीं उठ रहे! "
परेशान होती हुई मिसेज शर्मा बोली। अपनी पत्नी को इस तरह से परेशान होता
हुआ देखकर भी, मिस्टर शर्मा काफी सहजता से अपनी पत्नी को समझाते हुए बोले -
"अरे! क्यों परेशान हो रही हो तुम, उन लोगों को आने में अभी काफी टाइम है;
मेरी बात हुई है पंडित जी से दोपहर 2: 00 से 3:00 बजे तक आएंगे, लड़के
वाले!" शर्मा जी अपनी पत्नी को बहुत अच्छी तरह से जानते थे, कि उन्हें जरा
जरा सी बात पर परेशान होने की आदत है, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी को समझाया
देखना फिर भी मिसेज शर्मा के चेहरे पर चिंता की लकीरे साफ दिखाई दे रही थी।
और उनकी पत्नी उसी तरह से चिंतित होते हुए बोली - "बहुत ही बड़े घर से
रिश्ता आया है, सुना है बहुत ही बड़े अमीर और नामी लोग हैं, कहीं आवभगत में
कोई कमी ना रह जाए!" "कोई कमी नहीं रहेगी, तुम चिंता मत करो बस भगवान से
प्रार्थना करो कि हमारी बेटी का रिश्ता जहां भी हो, वह बस हमेशा खुश रहे" -
मिस्टर शर्मा फिर से अपनी पत्नी को समझाने का प्रयास करते हुए बोले अब आते
हैं फैमिली इंट्रोडक्शन पर; एक मध्यम आकार के पुश्तैनी मकान में मिस्टर
शर्मा अपनी फैमिली के साथ रहते हैं, मिस्टर शर्मा यानी कि मिस्टर सुरेश
शर्मा की एक छोटी सी खुशहाल फैमिली है, जिसमें उनकी पत्नी मिसेज रोहिणी
शर्मा और उन दोनों के 3 बच्चे हैं! सबसे बड़ी बेटी शाइना शर्मा,(जिसे देखने
आज लड़के वाले आ रहे हैं) उसके बाद छोटी बेटी राइमा शर्मा‌ और फिर सबसे
छोटा बेटा आरव शर्मा, कुल मिलाकर 5 लोग थे शर्मा फैमिली में:राइमा और आरव
दोनों ही अभी पढ़ रहे थे। पिछले साल ही साइना ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी और
अपने लिए एक जॉब ढूंढ रही थी लेकिन उसे कहीं भी कोई ढंग की और अपनी पसंद की
जॉब अभी तक मिल नहीं रही थी, लेकिन उसके माता-पिता के उसके लिए अलग ही
प्लांस थे, शाइना के माता-पिता , उसके लिए एक अच्छे रिश्ते की तलाश में थे।
और आज बहुत ही अच्छे खानदान से शाइना के लिए, सामने से रिश्ता आया था, आज
से पहले भी शाइना के लिए ‌ 1, 2 रिश्ते आए थे लेकिन बात कुछ बन नहीं पाई और
आगे भी नहीं बढ़ी। शेखावत परिवार ने शाइना की तस्वीर देखकर, खुद ही उसे
पसंद किया था और देखने आने का फैसला भी। शाइना से उसके माता-पिता जब भी
शादी के लिए बात करते थे तो वहां हमेशा ही कुछ ना कुछ बहाना बनाकर अपनी
शादी की बात टालने की कोशिश करती थी, वह हमेशा कहती थी कि इतनी जल्दी भी
क्या है उसे अभी इतनी जल्दी शादी नहीं करनी लेकिन असल वजह तो कुछ और थी और
उस वजह से साइना को अभी तो क्या बाद में भी कभी किसी से भी शादी नहीं करनी
थी लेकिन यह बात वह अपने माता-पिता को नहीं समझा सकती थी क्योंकि फिर उसे
वह वजह भी बतानी पड़ती और शादी ना करने का कारण वह अपने माता पिता को बता
नहीं सकती थी। शादी , ब्याह के मामले में लड़की की तो वैसे भी कहां चलती है
उसके घरवालों और अपने माता-पिता के सामने, उसके मना करने के बाद भी उसके
माता पिता ने उसके लिए रिश्ते देखना शुरू कर दिया था और जिन लोगों को शाइना
की तस्वीर पसंद आई थी वह लोग आज दोपहर 3:00 बजे तक शाइना को देखने आने वाले
थे और यह बात उसकी मां ने उसे कल रात ही बता दी थी। शाइना की मां सारी
तैयारियों में लगी थी और काम करते-करते उन्होंने एक बार फिर से आवाज दिया
शाइना और राइमा को उठाने के लिए, शाइना अब तक जाग चुकी थी और आंखें खोले
हुए अपने बिस्तर पर ही लेटी थी या फिर शायद उसे सारी रात ठीक से नींद ही
नहीं आई थी। राइमा अभी भी सो रही थी। अपनी मां की दोबारा आवाज सुनकर साइना
अपनी जगह से उठी और अपनी तकिया के नीचे रखी डायरी निकाल कर अलमारी में रखने
लगी और राइमा को‌‌ उठने के लिए बोल कर खुद बाथरूम में चली गई और फिर नहा
धोकर वह अपने कमरे से निकलकर‌‌ नीचे किचन में आ गई और बिना कुछ बोले काम
नहीं अपनी मां की मदद करने लगी। उसकी मां उसे देख कर बोली ‌- "अरे उठ गई
तू, लेकिन तेरे भाई बहन कहां हैं? वह नहीं उठे क्या अभी तक!" "राइमा तो सो
रही थी मां, उठा कर आई हूं उसे और आरव का पता नहीं" - शाइना अपनी मां से
बोली और काम में लग गई। थोड़ी देर बाद, राइमा और आरव भी उठ गए‌ और नाश्ता
करने के‌ लिए अपने पिता के साथ ही डाइनिंग टेबल की कुर्सियों पर आकर बैठ
गए, शाइना उन दोनों को नाश्ता सर्व किया और वापस किचन में जाने लगी तभी
उसके पिता उससे बोले - "कहां जा रही है बेटा? तू भी हमारे साथ बैठ कर
नाश्ता कर ले!" "नहीं पापा मेरा मन नहीं है नाश्ता करने का!"- इतना बोल कर
जाना वापस किचन के अंदर जाने लगी तभी राइमा उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती
चेयर पर बिठाते हुए बोली - "अरे कर लो दी नाश्ता, नहीं तो सारा दिन टाइम
नहीं मिलना आज वैसे भी" उन सब की बात सुनकर, उनका मन रखने के लिए शाइना म
उन सब के साथ बैठकर थोड़ा बहुत खा लिया और फिर सबकी प्लेट्स समेट कर वापस
किचन में चली गई। उसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह खुश नहीं है,वह खोई
खोई सी लग रही थी और उसकी आंखों में आंसू भी थे लेकिन उसकी मां ने शायद
उसकी इस बात पर ध्यान नहीं दिया और नाश्ते की प्लेट्स उसके हाथ से लेती हुई
बोली - "यह सब काम छोड़ आज तू, मैं और राइमा कर लेंगे, तुम अपने कमरे में
जाओ और कपड़े बदल कर अच्छी तरह से तैयार हो जाना दोपहर 2:00 बजे तक!"
"कपड़े क्यों बदलने है? क्या खराबी है इन कपड़ों में ठीक तो है ना मां और
तैयार क्या होना" - अपनी मां की बात सुनकर साइना थोड़ा इरिटेट होते हुए
बोली "ठीक नहीं अच्छा होना चाहिए, बहस मत करो और जाकर कोई नया सूट पहनकर
अच्छी तरह से तैयार हो जाओ" - साइना की मां फिर से बोली अपनी मां की बातें
सुनकर साइना समझ गई, की अपनी मां से इस वक्त बहस लड़ाना और कुछ भी बोलना
बेकार है क्योंकि वह नहीं समझेगी और उसे तैयार करवा कर ही मानेगी। इसलिए
साइना बिना कुछ कहे ही वहां से काम छोड़ कर सीधे ही अपने कमरे में आ गई और
उसका मन तैयार होने का तो बिल्कुल भी नहीं था इसलिए उसने अपने कमरे का
दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और घड़ी की तरफ देखा तो दिन के 12:00 बज रहे
थे। टाइम ‌देखकर साइना ने सोचा कि अभी तो काफी टाइम है ,बाद में रेडी हो
जाऊंगी मॉम के हिसाब से... और इतना सोच कर वह अपने बेड पर बैठ गई और ना
जाने किन ख्यालों में खो गई। उसकी बहन मां के साथ घर के कामों और साफ सफाई
में लगी हुई थी और पापा मार्केट से कुछ सामान लेने बाहर गए हुए थे। कुल
मिलाकर मेहमानों के आने की तैयारी काफी जोरों शोरों से चल रही थी। सभी काम
पूरी तरह से खत्म होते-होते दोपहर के 1:45 बज गए। साइना अभी तक अपने कमरे
से बाहर नहीं आई थी इसलिए उसकी मां ने उसे आवाज लगाई - "शाइना बेटा, तैयार
नहीं हुई क्या अभी तक? जल्दी से तैयार हो जा, लड़के वालों के आने का वक्त
हो रहा है।" अपनी मां की आवाज सुनकर साइना जैसे किसी गहरी सोच से बाहर आई
हो और एकदम से अपनी मां की आवाज का जवाब देती हुई बोली - "हां, मां तैयार
हो गई मैं, बस 5 मिनट और" "जरा जल्दी कर बेटा!" मां की आवाज फिर से आई अपनी
मां की आवाज सुनकर शाइना बेड से उठी और उसने अलमारी से कुछ कपड़े निकाले और
फिर चेंज करने वॉशरूम में चली गई ,फिर कपड़े चेंज करके ड्रेसिंग टेबल के
मिरर के सामने बैठ गई। जब 10 मिनट बीत गए और साइना अपने कमरे से नीचे नहीं
आई तो साइना की मां ने राइमा से कहा - "जा जरा जाकर अपनी दीदी को देख कर आ
तैयार हुई या नहीं यह लड़की अभी तक!" "ठीक है मां, मैं देखती हूं"- इतना
बोल कर राइमा साइना को देखने उसके कमरे में चली गई। राइमा जब कमरे में
पहुंची तो उसने देखा कि साइना सिर्फ कपड़े चेंज करके खोई हुई सी मिरर के
सामने बैठी हुई बाल सवार रही थी : तभी राइमा उससे बोली - "अरे दी, आप तैयार
नहीं हुई अभी तक; मैं हेल्प कर दूं मेकअप में?" "अरे नहीं मुझे कोई मेकअप
वेकअप नहीं करवाना, ऐसे ही ठीक है" - साइना उसे मना करती हुई बोली "आई नो
दी! आप विदाउट मेकअप भी ब्यूटीफुल लगते हो, लेकिन मम्मा ने बोला है आज आपको
अच्छी तरह से रेडी होना है" - राइमा, साइना को समझाते हुए बोली "यार यह
मम्मा पापा भी ना; समझते नहीं है, पता नहीं इतनी भी क्या जल्दी पड़ी है
मेरी शादी की" - साइना हल्का गुस्सा करते हुए बोली और फिर कुछ सोच कर उदास
हो गई मुझे पता है कि आप अभी शादी नहीं करना चाहती, आप शायद अभी उस माइंड
सेट में नहीं हो; लेकिन अभी आप यह सोचो कि अभी शादी नहीं हो रही है, अभी तो
सिर्फ देखने वाले आ रहे हैं आज; बाकी आपकी शादी में टाइम है, अब मैं मेकअप
कर दूं आपका?" - राइमा उसे समझाने की पूरी कोशिश करती हुई बोली "हां, ये भी
ठीक कह रही है तू, कल ही तो नहीं है शादी; ठीक है आई मेकअप कर दे तू लेकिन
लाइट करना" - साइना उसकी बात मानते हुए बोली राइमा ने भी शाइना की पसंद के
हिसाब से मेकअप कर दिया और पूरा रेडी होने के बाद साइना बहुत ही ज्यादा
खूबसूरत लग रही थी कि जो देखे तो बस देखता रह जाए लेकिन कमी तो बस उसके
चेहरे पर हंसी की.... हंसी या मुस्कुराहट की जगह उसके चेहरे पर उदासी और
फीखापन था। पूरा रेडी होने के बाद राइमा, अपनी दी को छेड़ते हुए बोली -"अब
तो आपको नहीं बच सकती दी, क्योंकि इतनी ज्यादा सुंदर लग रही हो आप कि होने
वाले जीजू तो बस से देखते ही रह जाएंगे और फिर वह और उनकी फैमिली शादी के
लिए हां बोल कर ही जाएगी!" "चुप कर तु राइमा की बच्ची, बहुत ज्यादा बोलने
लगी है तू और ज्यादा बोलेगी ना तो मम्मी पापा से बोल दूंगी कि तेरी शादी के
लिए भी रिश्ता ढूंढना शुरू कर दें" -‌ साइना उसे हंसते हुए और प्यार से
धमकाते हुए बोली "अरे नहीं दी, सॉरी यार! मैं तो बस मजाक कर रही थी, मेरी
शादी कहां अभी, अभी तो आपकी शादी होनी है मेरी तो अभी स्टडी भी कंप्लीट
नहीं हूं और वैसे भी मैं तो अभी छोटी हूं ना" - राइमा साइना की बात पर डरने
का नाटक करते हुए बोली "अच्छा ठीक है अब तू ज्यादा बातें ना बना, नहीं बोल
रही है मम्मी पापा से कुछ भी, बड़ी छोटी सब दिख रहा है मुझे, बातों में
मेरी तो मेरी भी अम्मा है तू, अब नीचे चलते हैं नहीं तो मम्मा चिल्लाएगी" -
साइना बोली "ठीक है दी, चलते हैं।" - राइमा ने कहा और वह दोनों बहने इसी
तरह आपस में हंसी मजाक और बातें करती हुई साइना के कमरे से निकलकर किचन में
आ गई। क्रमशः