नूर - 3 Priyanka Jangir द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नूर - 3

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नूर
भाग-3






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(आशुतोष अपनी बेटी के साथ मोहन राय के घर जाता है या नहीं?)




दोस्त मोहन राय के जाने के बाद आशुतोष अपनी पत्नी के साथ नूर व रूहान के रिश्तेे के बारे में बात करता हैं तथा वो बातें भी बताता हैं जो उसने मोहन राय के साथ की थी। नूर की माता पराजिता नूर व रूहान के रिश्ते की बात सुनकर बहुत खुश थी और वह चाहतीं थीं कि उन दोनों के रिश्ते की बात आगे बढ़े।

आशुतोष व पराजिता इस रिश्ते के बारे में बात करने के लिए नूर के पास उसके कमरे में जाते हैं। वो दोनों जैसे ही नूर के पास जाते हैं नूर उन्हें अपने पास आते देख खुश हो जाती हैं और दौड़कर खुद ही उनके पास चली जाती है। आशुतोष व पराजिता थोड़े परेशान थे उन्हें नूर से रिश्ते के बारे में किस तरह से बात करनी है समझ नहीं आ रहा था।नूर उन्हें परेशन देखकर पुछती है आप दोनों परेशान क्यों दिखाई दे रहे हैं,क्या बात है? बताईए मुझे!

नूर के सवाल का जवाब देते हुए उसकी माता पराजिता बड़े ही प्यार से कहती है दरअसल बात ये है कि बेटा हम दोनों आपसे कुछ बात करना चाहते है! और वो बात ये है कि दो दिन बाद आपके पिताजी और आप मोहन राय जी के घर जा रहें हो। इतना सुनते ही नूर बहुत खुश हो जाती है क्योंकि नूर को लोगों से मिलना-जुलना और घुमना बहुत पसंद था। नूर अपने माता-पिता से कहती है कि ये भी कोई परेशान होने की बात है मैं तो बहुत खुश हूं ये सुनकर।

लेकिन नूर की सारी की सारी खुशी गायब हो जाती है जब पराजिता उसे मोहन राय के घर जाने की वजह बताती है।‌पराजिता नूर से कहती है कि मोहन राय जी के घर आपके जाने की कोई खास वजह है! नूर पुछती है कि क्या ख़ास वजह है?
पराजिता कहती है कि हमें और आपके पिताजी को मोहन राय जी का बेटा रूहान बहुत पसंद हैं और रूहान के साथ आपकी शादी करना चाहते हैं। इसलिए आप दोनों का एक-दूसरे से मिलकर आपस में जानना बहुत जरूरी है और इसी वजह से आप अपने पिता जी के साथ मोहन राय जी के घर जा रही है।

नूर ये बात सुनकर दुःखी व परेशान हो जाती है। नूर शादी नहीं करना चाहती क्योंकि वह अपने माता-पिता से दुर नहीं जाना चाहती है वह उनके साथ ही रहना चाहती है। वो मन में सोचती है और कहना चाहती है कि मुझे शादी नहीं करनी है और ना ही में पिता जी के दोस्त के घर जाकर उनके बेटे रुहान से मिलना चाहती हुं।लेकिन नूर जैसे ही अपने माता-पिता की तरफ देखती है तो अपने दिल की बात अपने माता-पिता को नहीं बोल पाती है क्योंकि नूर के माता-पिता इस रिश्ते की बात से बहुत खुश थे और नूर उन्हें खुश देखकर कुछ भी नहीं कहना चाहती है ।

नूर बहुत ही समझदार है जो कभी भी ‌अपने‌ माता-पिता का दिल नहीं दुखाना चाहती है और ना ही उनके लिए गये निर्णय की अवहेलना करना चाहती है क्योंकी नूर को पता है कि उसके माता-पिता उसके लिए जो भी सोच रहे हैं वो उसके लिए सही ही होगा।

दो दिन बाद नूर अपने पिता जी के साथ मोहन राय जी के घर जाने के लिए तैयार हो जाती है और आशुतोष भी सुबह जल्दी ही तैयार हो जाता है। पराजिता नूर के पास जाती है ये देखने के लिए कि वो तैयार हुई है या नहीं लेकिन वो जैसे ही नूर को देखती है तो कहती है की आज तो मेरी बेटी बहुत ही सुंदर लग रही है। नूर अपनी मां की बात सुनकर थोड़ा मुस्कुरा देती है लेकिन नूर खुश होने के साथ-साथ थोड़ी घबराई हुई भी थी क्योंकि वह अपनी शादी के रिश्ते के लिए किसी लड़के से पहली बार मिल रही थी।
लेकिन नूर शर्मीले स्वभाव की लड़की नहीं है उसे किसी से भी बातें करने में झिझक नहीं होती है।

दोनों आपस में बातें कर रही होती हैं कि इतनी देर में मोहन राय नूर को आवाज देता है और कहता है। "बेटा जल्दी आओ आप तैयार हो गई तो हमें मोहन राय जी के घर जाने के लिए जल्दी ही निकलना है।" इतना सुनते ही नूर कहती है "आई पिताजी !"और अपने पिता जी के पास आकर खड़ी हो जाती है। नूर कहती है (हंसते हुए) चलिए पिताजी हम तो तैयार है ! दोनों मोहन राय के घर जाने के लिए अपने घर से रवाना हो जाते हैं और थोड़ी देर का सफर तय करने के बाद दोनों मोहन राय के घर पंहुच जाते हैं।

मोहन राय आशुतोष व नूर की प्रतीक्षा में जैसे ही उनके आने का समय होता है दरवाजे के पास आकर खड़ा हो जाता है। उन दोनों के घर पंहुचते ही मोहन राय कहता है ,अरे आशुतोष जी आइये आइये में आपके आने की ही प्रतिक्षा कर रहा था और उन्हें अपने घर के अंदर ले जाता है। नूर घर में जाने के बाद मोहन राय व उसकी पत्नी मीनाक्षी के चरण स्पर्श कर उनसे आशिर्वाद लेती है। दोनों आशीर्वाद देते हुए कहते हैं खुश रहो बेटा!

मीनाक्षी नूर व आशुतोष की आदर भाव के साथ मेहमानवाजी करती है तथा अपने बेटे रुहान को भी नूर से मिलाती है। आशुतोष से रूहान की पहले से जान पहचान थी लेकिन नूर से वो पहली बार मिल रहा था। रुहान भी नूर की तरह थोड़ा परेशान सा दिखाई दे रहा था क्योंकि वो भी किसी लड़की से अपनी शादी के रिश्ते के लिए पहली बार मिल रहा था।

मोहन राय रूहान व नूर से कहता है बेटा आज आप दोनों एक-दूसरे से क्यों मिल रहें हैं उसकी वजह तो आप दोनों को पहले से ही पता है। इसलिए आप दोनों का आपस में बातें करना व एक दूसरे को जानना बहुत जरूरी है। आप दोनों को यदि मंजुर होगा तभी हम आपकी शादी करेंगे, आप दोनों की मर्जी के बिना आपकी शादी नहीं होगी।

तब आशुतोष भी मोहन राय जी की बात से सहमत होकर हा में हा मीलाते हुए कहते हैं कि बेटा आप दोनों पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं है आपको जो भी बातें करनी है बेझिझक होकर करो।









(नूर व रूहान के बीच क्या बातें होती हैं ? क्या वो इस रिश्ते के लिए रजामंद है ?)



To be continued............





धन्यवाद 🙏