साजिश - 4 padma sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साजिश - 4

साजिश 4

घर जाकर दोनों ने मम्मी पापा को तो चुटकियों में पटा लिया और जल्दी ही पूरी कॉलोनी को आमन्त्रित भी कर दिया विशेषकर कोठी के बाई ओर वालों को किसी को भी नहीं छोड़ा। वे दोनों शाम के समय जूतों वाला नाप लेकर जूते की दुकान पर

पहुँचे तो पता चला कि एक आठ नम्बर का नाप है और एक सात नम्बर का। वे उससे लिखित में लिखवा लाए और वह बटर पेपर भी सँभालकर रख लिया जिसमें जूतों का नाप था । और सबसे मजे की बात तो यह थी कि नितिन के पापा को छः नम्बर का जूता बनता था। फिर उन्होंने पार्टी की तैयारी शुरू कर दी।

शाम को सभी लोग पार्टी में आमन्त्रित थे । कैमरे से नितिन और विशाल ने सभी बड़ों के फोटो ले लिए और सभी से एक-एक चुटकुले या गजल कुछ भी सुनाने का आग्रह किया। विशाल अपने मतलब की आवाजों वाले गाने टेप करता गया। दूसरे दिन उन्होंने दुकान पर जल्दी से फोटो धुलवा लिए।

रात में उन्होंने बाजार से लाई

वो रात वाले आदमी को पहचानने की कोशिश में रात्रि के बारह बजा दिए लेकिन वे उसे नहीं पहचान पाए।

तीसरी रात को वे फिर उस समय का इन्तजार करने लगे। अबकी बार विशाल चुपचाप आया था । रात हो गई थी सब गहरी नींद में सो चुके थे। नितिन ने चाय बनाई और पहरेदारों को भी दी उसमें नींद की गोलियाँ मिला दीं। वे दोनों चाय पीने के बाद बैठे-बैठे ही सो गए।

वे दोनों चौकीदारों से थोड़ी ही दूरी पर खड़े हो गए विशाल थैला लटकाए हुए था। थोड़ी देर बाद एक कार आकर रुकी और कार के रुकने के कुछ ही पलों में बाई ओर से एक परछाईं आई और उसके इशारा करने पर कार से दूसरी परछाईं उतरी। कार के उतरने वाली परछाईं चौकीदारों के निकट आई और बोली-अरे दोस्त आज सिगरेट नहीं पियोगे लेकिन जवाब गायब था। फिर दूसरे पहरेदार से कहा -अरे तुम तो कहते हो कि तुम्हारी सिगरेट बहुत अच्छी लगती है। जब उसने उत्तर नहीं पाया तो उन्हें हिलाया। हाथ लगते ही दोनों लुढ़क पड़े। बाईं ओर से आने वाली परछाई तेजी से आगे बढ़ी-लेकिन वही भारी आवाज लेकिन घबराई हुई-जैक ये क्या हुआ। तुमसे पहले ही किसी ने इन्हें बेहोश कर दिया। कौन था? जैक भी घबरा गया और बोला-पता नहीं बॉस किसने ऐसा किया है। बॉस ने कहा-आज अन्दर ठीक नहीं है। तुम आज से छठवें दिन आना क्योंकि सातवें दिन मिस कॉल आ रही हैं । हम उन्हें हीरों के बदले सोने के बिस्कुट देंगे

तभी वहाँ से एक जीप गुजर रही थी। उन दोनों ने अपना चेहरा कोठी की ओर कर लिया और एक-दूसरे का हाथ एक दूसरे के हाथ में ले लिया जैसे कोई एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को विदा करने बाहर आया हो। जैसे ही जीप की हैडलाइट्स उनके पास आई और यही समय विशाल के लिए पर्याप्त था। उसने तुरन्त ही फोटो ले लिया। जीप के प्रकाश के कारण कैमरे की जो लाइट पड़ी थी उसे वे लोग नहीं जान पाए थे। जीप निकल गई तो वे लोग भी चलने को उद्यत हो गए। उन्होंने देखा बाई ओर जाने वाला व्यक्ति चौथे-पाँचवें मकान में घुस गया था ।

शान्ति का वातावरण देख वे दोनों वहाँ से निकलकर अपने कमरे में आ गए। अब उनके पास काफी समय था। तैयारी करने के लिए।