60 डेज - अंतिम भाग S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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60 डेज - अंतिम भाग

अंतिम भाग 3 पिछले भाग में आपने पढ़ा जब संजय ने पत्नी कमला से तलाक की बात की तब कमला ने शर्तें रखी , अब आगे पढ़िए क्या संजय ने शर्तें मान ली और तलाक हुआ। ...


कहानी - 60 डेज

“ सोच कर बताना फिर मैं इस डिवोर्स पेपर पर साइन कर अपने पास रखूंगी और 60 वें दिन तुम्हें सौंप दूंगी . “


अगले दिन संजय ने दफ्तर में तृषा को शर्त की बात बतायी तब उसने कहा “ इतनी आसान शर्तें आँख मूँद कर मान लो . वैसे दिन भर ऑफिस में साथ रहेंगे ही . फिर हम हनीमून मनाएंगे . “


“ और टोक्यो में क्या मनाया था तुमने ? “


संजय ने शर्त पर अमल करना शुरू किया . रोज ऑफिस से सीधे घर आता और वीकेंड में तीनों का गाना बजाना होता . वर्षा शर्त और डिवोर्स की बात नहीं जानती थी . वह तो पापा को पहले जैसा देख कर बहुत खुश थी . कमला पर दवा का कोई असर नहीं हो रहा था . वह किसी तरह दवा से दर्द बर्दाश्त कर रही थी .


कमला की शर्त की अवधि तो 60 दिनों की थी और अब तक 45 दिन बीत चुके थे . वह डॉक्टर के पास गयी तब चेक अप के बाद उसने कहा “ आई एम डीपली सॉरी , आपको अपने हस्बैंड को बता देना चाहिए था . मुझे अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि अब एनी डे कुछ भी हो सकता है . “


“ माय हस्बैंड इज नो मोर माय हस्बैंड , आप उन्हें बीच में न लाएं . मैं अपनी मौत से नहीं डर रही हूँ , मुझे बस अपनी बेटी की चिंता है . “


“ आपकी बेटी को आपकी बीमारी का पता है ? “


“ वह बस इतना ही जानती है कि कुछ दिनों से मेरी तबीयत ठीक नहीं है . “


“ आपकी बेटी की उम्र क्या है ? “


“ करीब 15 साल . “


“ आजकल 15 साल में बच्चे बहुत कुछ जान लेते हैं , आप उसे साफ़ साफ़ बता दीजिये . उसकी राय जान लीजिये कि वह अपने पापा के साथ रहना चाहती है या नहीं . उसकी मर्जी आप मान लें और शेष दिन बेटी के साथ तनावमुक्त हो कर जियें . मेरी दवा लेती रहें उससे कम से कम दर्द में आराम मिलेगा . :


घर जा कर कमला ने बेटी को सभी बातें बतायीं तो वह फूट फूट कर रोने लगी . उसे समझा बुझा कर वह बोली “ अब तुम्हें एक दो दिनों में फैसला करना है बेटे कि तू तृषा ऑन्टी के साथ रहना चाहती है या नहीं . तृषा अब तुम्हारी नयी मम्मी होगी . “


कमला ने फोन कर अपने भैया को बुलाया और उसे भी सारी बातें विस्तार से बतायी . पहले तो वह बिगड़ा और उसने कहा “ मैं संजय को सबक सिखाऊंगा . वह समझता क्या है , अपने को . “


“ नहीं भैया . एक तो मैं उनके किसी काम की नहीं रही . मैंने उन्हें कैंसर के बारे में बताया ही नहीं है . दूसरे मैं उनसे प्यार की भीख नहीं मांग सकती हूँ , न ही प्यार भीख में या जबरन लिया जाता है . मैं बहुत पहले ही जान गयी थी कि अब ज्यादा दिनों तक उनका साथ नहीं दे पाऊंगी . “


“ वर्षा ने क्या फैसला लिया है ? “

“ वह मेरे साथ रहेगी और मेरे बाद तुमलोगों के साथ , अगर तुम्हें कोई आपत्ति न हो तब . वैसे भी अगले साल से उसे हॉस्टल में ही रहना होगा . पापा ने मेरे लिए जो कुछ दिया है उससे उसकी पढ़ाई लिखाई के बाद भी बहुत कुछ बच जाएगा . तब तक वह अपने फैसले लेने के लायक भी हो जाएगी . “


“ तुमने क्या सोचा है ? “


“ मैंने डिवोर्स पेपर पर साईन कर सील्ड लिफ़ाफ़े में रख दिया है . उसे संजय को दे दूंगी . “


“ नहीं , तुम जीते जी उसे तलाक नहीं दोगी . “


“ तो मरने के बाद तलाक का क्या मतलब होगा ? मैं उसे अहसास दिलाना चाहती हूँ कि मैंने उसे मुक्त कर दिया है . “

अगले दिन संजय जब ऑफिस जा रहा था , कमला ने कहा “ मैं चार पांच दिनों के लिए भैया के पास जा कर आती हूँ . तुमने शर्त निभाई है , उसके लिए शुक्रिया . शर्त के आखिरी वीकेंड में भी तुम्हारे साथ रहूंगी और लौटने के बाद 60 वें दिन मैं तुम्हें डिवोर्स पेपर भी सौंप दूंगी . मैं अपना वादा निभाऊंगी , तुम निश्चिन्त रहना इसके लिए . “ कमला जान रही थी कि अब वह फिर लौट कर नहीं आने वाली है फिर भी संजय से झूठ बोला .


“ ठीक है , तुम हो आओ , मैं इंतजार करूँगा . “


संजय वीकेंड में सुबह नहाने के बाद कुर्ता पैजामा पहना करता था . कमला ने उसके लिए दो सेट कुर्ता पैजामा तैयार कर वार्डरोब में रख दिया था . एक कुर्ते की जेब में डिवोर्स पेपर रख दिया और दूसरे में एक चिठ्ठी . उसने सोचा कि दोनों में कोई भी लिफाफा देख कर संजय सब समझ जायेगा . कमला अपनी बेटी के साथ भाई के यहाँ गयी .


वीकेंड में संजय ने कुर्ते में वह लिफाफा देखा . उसे खोला तो उसमें चिठ्ठी थी . चिठ्ठी में अपनी बीमारी की बात लिखी थी और अंत में लिखा था - ‘ मैं किसी भी दिन दुनिया छोड़ सकती हूँ . तुम्हारे दूसरे कुर्ते में साइंड डिवोर्स पेपर है . अगर मर गयी तो इसकी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी अगर जिन्दा भी रही तो मेरी तरफ से आज़ाद हो . हो सके तो मुझे मुखाग्नि देने आ जाना . वर्षा ने फैसला लिया है कि वह तृषा के साथ नहीं रहेगी . ‘


चिठ्ठी पढ़ने के बाद संजय पश्ताचाप से रो उठा . उसने तृषा को फोन किया “ कमला बीमार है , मैं उससे मिलने जा रहा हूँ . “


कुछ देर बाद वह कार से कमला के भाई के घर निकल पड़ा . करीब आठ घंटे बाद वह कमला के पास था . कमला बिस्तर पर लगभग बेहोश पड़ी थी , उसके बेड के आसपास ही उसके भैया , भाभी और वर्षा खड़े थे . थोड़ी देर में डॉक्टर आया . कुछ चेक अप के बाद वह बोला “ आपलोग इनके सभी रिश्तेदारों को खबर कर दें . बी पी बहुत लो है , पल्स भी बहुत कम है . मैंने इंजेक्शन लगा दी है पर उससे कोई ख़ास उम्मीद नहीं है . “


डॉक्टर के जाने के बाद संजय ने सभी लोगों को कमरे से बाहर जाने को कहा . सभी बाहर जाने लगे तब उसने वर्षा को रोक कर कहा “ तुमको नहीं जाना है , तुम मेरे पास आओ . “


संजय ने कमला के सर को अपनी गोद में रखा और वर्षा को गले लगा कर कहा “ कमला , तुमने ऐसा क्यों किया ? अपनी बीमारी मुझसे क्यों छुपायी ? “


कमला मुस्कुराने की कोशिश करते हुए किसी तरह बोली “ जब तक मुझे पता चला बहुत देर हो चुकी थी और तृषा तुम्हारी जिंदगी में आ चुकी थी . “


“ वर्षा , तुम्हें सब पता था तब तुमने क्यों नहीं बताया ? “ संजय ने बेटी से पूछा


“ मुझे भी मामा के आने पर पता चला . “


कमला बोली “ तुम्हारी गोद में बहुत आराम मिल रहा है , मुझे कोई दर्द नहीं महसूस हो रहा है . अब मैं चैन से मर सकूंगी . “


उसी रात कमला ने दम तोड़ दिया . संजय कमला की अंतिम क्रिया सम्पन्न होने तक वहीँ रहा . अब उसे लौटना था , उसने बेटी से कहा “ चलो बेटे तुम भी अपना सामान ले लो . “


“ नो पापा , मैंने मम्मी से वादा किया था कि मैं तृषा ऑन्टी के साथ नहीं रह सकती हूँ . “


“ मम्मी से किया तुम्हारा वादा मैं नहीं टूटने दूंगा . हमारे बीच अब तृषा नहीं आने वाली है . यह पापा का वादा है . “

तभी तृषा का फोन आया “ अब तो सब काम खत्म हो गया , कब आ रहे हो ? “


“ तुम्हारे पास तो कभी नहीं , तुम मेरी तरफ से आज़ाद हो . “


संजय अपनी बेटी के साथ वापस अपने घर आ गया .

समाप्त


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .