जुड़वां बच्चों के तीन पिता ! - 1 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जुड़वां बच्चों के तीन पिता ! - 1

भाग 1


कहानी - जुड़वां बच्चों के तीन पिता !

कोर्ट की सीढ़ियों से उतरते समय अलीशा के चेहरे पर एक तथस्ट भावना थी , उसे न ख़ुशी कहा जा सकता था न गम . ख़ुशी की एक वजह थी , उसका पति अर्नाल्ड से तलाक की अर्जी कोर्ट ने मंजूर कर लिया था . दुःख इस बात का था कि उसे अपने बेटे डेनियल की कस्टडी उसे नहीं मिल सकी , तब डेनियल 5 साल का था . अलीशा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी पिता को दी हालांकि तयशुदा दिन और समय पर उसे बेटे से मिलने की छूट थी . फैसले के अनुसार डेनियल वयस्क होने पर माता पिता में जिसके साथ चाहे वह रह सकता था .


अलीशा केरल के एक गरीब ईसाई परिवार की खूबसूरत लड़की थी जो विधवा माँ के साथ रहती थी . उसके पिता का मछली का कारोबार था . एक बार वह अपने दो साथियों के साथ नौका पर समुद्र में मछली पकड़ने गया पर ख़राब मौसम की चपेट में आने से उसकी नौका और सभी मछुआरों का कोई अता पता नहीं मिला .


अर्नाल्ड उस शहर का अमीर व्यापारी था . उसने अलीशा की माँ को अच्छी रकम देकर अपने से आठ साल छोटी अलीशा से शादी कर ली . अलीशा उस समय कॉलेज सेकंड ईयर में पढ़ रही थी . अर्नाल्ड को विरासत में काफी संपत्ति मिली थी . वह एक सट्टेबाज , जुआरी और अय्याश आदमी था . शादी के दूसरे साल ही आलिशा ने बेटे डेनियल को जन्म दिया .


अर्नाल्ड का एक से ज्यादा औरतों से नाजायज संबंध थे , इस बात का पता जब अलीशा को चला तो दोनों में रोज झगड़े होने लगे . अर्नाल्ड जब नशे में होता तो अलीशा की पिटाई भी करता . अलीशा ने अशोध्य ( इरिकवरेबल ) मतभेदों के चलते कोर्ट में तलाक की अर्जी दी . अलीशा ने जानबूझ कर अर्नाल्ड के दूसरी औरतों के साथ संबंध को तलाक की वजह नहीं बताई थी . व्यभिचार भी वजह हो सकती थी पर उसका साक्ष्य वह नहीं दे पाती और इसे कोर्ट में प्रमाणित करना उसके लिए अत्यंत कठिन था .


कुछ महीने कोर्ट कचहरी उसे काटने पड़े पर उसे अर्नाल्ड से तलाक मिल गया . पर अर्नाल्ड ने कोर्ट से बेटे की कस्टडी का आर्डर ले लिए था . उसने कोर्ट से कहा था कि अलीशा ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण डेनियल की परवरिश करने में सक्षम नहीं है . तलाक के बाद अलीशा अपनी माँ के साथ रहने लगी . वह अपने बेटे डेनियल से मिलने जब भी जाती वह उससे लिपट कर रोने लगता और कहता “ मॉम , मैं तुम्हारे साथ चलूँगा . “ अलीशा उससे कल फिर मिलने और ढेर सारे चॉकलेट और खिलौने देने का वादा कर किसी तरह उसे शांत करती .


इधर अलीशा ने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और उसे पांच साल के अंदर इंग्लिश में एम ए की डिग्री मिल गयी . उसे एक मिशनरी इंटर कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी भी मिल गयी . दूसरी और अर्नाल्ड की अय्याशी बढ़ती जा रही थी . अर्नाल्ड की माँ पोते डेनियल को साथ ले कर गाँव चली गयी . डेनियल शहर से कुछ ही दूर गाँव में अपनी दादी के साथ रहने लगा और वहीँ के स्कूल में पढ़ रहा था . अलीशा वीकेंड में गाँव जा कर बेटे के साथ काफी समय बिताती थी . वह डेनियल को साथ लाना चाहती थी पर न तो कोर्ट न ही अर्नाल्ड या दादी को यह मंजूर था . डेनियल का भी मन गाँव में लग गया था , उसके काफी दोस्त मिल गए थे .


अलीशा के कॉलेज में एक प्रोफेसर थे डॉ अब्राहम . वे भी अंग्रेजी के सीनियर प्रोफ़ेसर थे . वे 38 साल के विधुर थे और उनकी कोई संतान न थी . वे स्वभाव से बहुत अच्छे , हंसमुख और केयरिंग प्रकृति के थे . अब्राहम अलीशा का काफी ख्याल रखते . अलीशा को डिवोर्सी और कमजोर समझ कुछ कलीग उसका फायदा उठाना चाहते थे . डॉ अब्राहम अलीशा के लिए ढाल बन कर खड़े हो जाते . अब वे अलीशा को अपनी कार से कॉलेज ले जाते और कॉलेज के बाद सीधे वापस घर छोड़ जाते . आलिशा के मन में उनके प्रति आदर तो था ही अब साथ में प्यार के बीज भी फूटने लगे थे . पर स्त्री स्वभाववश वह खुद इसका इजहार नहीं कर सकी थी .


एक दिन बरसात के मौसम में डॉ अब्राहम जब अलीशा को घर छोड़ने आये तो अलीशा की माँ ने कहा “ बेटे मैं अब पेड़ पर पके हुआ आम की तरह हूँ , कब टपक जाऊं कोई भरोसा नहीं . अलीशा की उम्र 32 की है और उसके आगे भी पूरी जिंदगी पड़ी है . तुम भी तो अकेले हो , दोनों एक दूसरे का जीवनसाथी बन जाते तो मैं चैन से मर सकती थी . “


“ आंटी , आपकी बात तो सही है . मैं भी यही सोच रहा था पर अलीशा अंतर्मुखी है और उसके व्यवहार से मुझे ऐसा कुछ नहीं लगा . मैंने भी संकोच और डर से इस तरह की कोई बात नहीं की उससे कि कहीं नाराज हो कर मुझसे भी दूरी न बना ले . आप उस से भी एक बार पूछ कर देखें . “


“ पर क्या आप उसके पास्ट के बारे में जानते हैं ? “


“ हाँ , मुझे सब पता है .मुझे उसका पास्ट , प्रेजेंट और मेरे साथ उसका फ्यूचर सब मंजूर है .”


अलीशा भी वहीँ थी . प्रोफ़ेसर को लगा अलीशा की आँखें और चेहरे पर पहली बार शोखी छलक आयी हो और प्रोफ़ेसर से कह रही हो “ अच्छा तो तुम भी मियाँ मजनू हो पर छुपे रुस्तम . “


अलीशा को चुप देख कर उसकी माँ बोली “ क्यों अलीशा , तुम भी कुछ बोलो . अब्राहम तुम्हारी मर्जी जानना चाहता है . “


अलीशा के चेहरे पर एक मुस्कराहट आयी . वह बोली “ मैं चाय बना कर लाती हूँ . “ और उठ कर किचेन में चली गयी .


“ अगर तुम्हें मेरी बात अच्छी लगी हो तो चाय के साथ कुछ मिठाई भी लेती आना . “


अलीशा कुछ देर बाद ट्रे में चाय के साथ कुछ नमकीन और मिठाई भी ले कर आयी . माँ ने कहा “ तब तुमने मेरी बात मान ली है इसीलिए मिठाई भी लायी हो . “


“ ओह , मम्मा . बोर न करो . मिठाई तो मैं वैसे भी लाती . “


“ ठीक है , मैं समझ गयी . अब तुम दोनों की शादी का दिन मैं चर्च के फादर से बात कर तय करती हूँ . “


अलीशा की माँ ने शादी की तारीख तय करने के लिए फादर मूर से बात की तो उन्होंने कहा “ तुम शादी किसी भी दिन अपनी सुविधा से कर सकती हो . वैसे अगर बहुत जरूरी न हो तो दो महीना इंतजार कर लो . नए वर्ष के पहले दिन की शादी को मैं लकीएस्ट मानता हूँ . यह मेरा व्यक्तिगत विचार है , ऐसा कोई नियम नहीं है .”


“ नो फादर , हमें फर्स्ट जनवरी मंजूर है , मुझे भी कुछ समय मिल जायेगा तैयारी के लिए .”


नव वर्ष की संध्या को अलीशा और अब्राहम की शादी तय हुई . प्रोफ़ेसर शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में थे . उधर अर्नाल्ड को जब वह खबर मिली तो वह ईर्ष्या से जल उठा . उसके दोस्तों ने उसे कहा “ देख तेरी एक्स तुम्हें लात मार कर अब एक इज्जतदार प्रोफ़ेसर की पत्नी बनने जा रही है . “


“ मैं उसकी इज्जत ख़ाक में मिला दूंगा .”


इधर अलीशा अपने भावी पति को लेकर वीकेंड में गाँव जाती और डेनियल बेटे से मिला करती . अब्राहम भी उसे प्यार करता और बोलता “ क्यों , बेटे तुम्हें पता है न कि अलीशा और मैं शादी करने वाले हैं . “


“ जी अंकल , मॉम ने मुझे सब बताया है .”


“ तब तुम हमारे साथ रहोगे न .शहर में कॉलेज भी हैं . तुम हमारे ही कॉलेज में पढ़ोगे .”


इसके पहले कि डेनियल कुछ बोलता दादी बोली “ तुम इसको क्यों बरगलाता है . कोर्ट ने कहा है कि 18 साल की उम्र के बाद यह अपना फैसला खुद करेगा . अभी करीब तीन महीने बाकी हैं , तब तक यह कहीं नहीं जायेगा .”


क्रमशः