अपनापन - 1 Asmita Madhesiya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अपनापन - 1

राजू एक 8 वर्ष का लड़का था । जो पढाई में बहुत होशियार था, जो अपने स्कूल में बहुत ही फ़ेमस था । और होता भी भला क्यूं नहीं , पढाई और स्कूल के बाकी सारे ऐक्टिविटीज़ में हमेशा आगे रहता था ।
राजू को किताबो से बहुत लगाव था , वह अक्सर कुछ पढते हुए ही पाया जाता था।

बारिश का मौसम उसे बहुत पसद था होता भी क्यूू ना भला एक 8 वर्ष का छोटा सा मासूम बच्चा ही तो था वह।
कागज के नाव बनाना वह भी अपने कॉपी के पन्नो से । इसमे अलग ही मज़ा आता था उसे ।

उसके साथ उसके कई ऐसे दोस्त भी थे जो उसके घर के आस पास ही रहतेे थें । उनमे से कुछ तो उसके उमर के थे और

कुछ उससे उमर में कम थेें लेकिंन वे आपस में खुश रहते थें जब वे साथ होते थेें तब उन्हे और कीसी की कमी नही महसूस होती थी।

लेकिन वही जब उसके बाकी सारे दोस्त उसके साथ नहीं होते तब राजू काफी अकेला महसूस करता था तो अपनी
पढाई करके अपना मन बहला लेता था।

उसे अपने घर मेें रहने में उतनी खुशी नही होती थी जीतनी
खुशी उसे अपनें दोस्तो और अन्य कामो में होती थी।


लेकिन क्या कर सकता था वह भी आखिर अपनें घर सेे
दूर भला वह कैसे और कब तक रह सकता था ।

जब भी वह अपने घर के बारे में सोचता तो उसे अच्छा नही
लगता था। लेकिंन कभी कभी ऐसा भी होता था की
वह बहुत खुश हो जाता था।

मगर ऐसा क्या था ? और ऐसा क्यू था ? इसका जवाब तो आप लोग भी सोच रहे होगे, बस थोडा सब्र रखिए ।

जब भी राजू का मन बहुत खुश हुआ करता था उस दिंन
उसके चेहरे की रौनक ही कुुुछ अलग हुआ करती थी।

की जो भी उसे देखता उसका मन मोहित हो जाता था।

आखिर होता भी क्यू नही मन मोहित लोगों का , बच्चा ही तो
था राजू वह भी 8 साल का बस ।
बच्चे तो माासूंम होते ही है , यह तो आप अपने आप से भी पूूूछ सकते हैं , या यूं कहें आप अपना बचपन याद कर सकतें है ।

आप भी तो मसूूंम थे कभी राजू की तरह । अपने
आप को याद करिए और थोडा राजू को समझ्ने की कोशिश
करिये।
रोज का दिन जैसे आज का दिंन भी था जब राजू
सुबह उठ गया अपनें रोज के दिनचर्या के लिये।

सुबह के 6 बजे थे राजू अब ओ पूरी तरह से तयार हो चुका था अब स्कूल बस के आने का वक़्त भी हो गया था,
जो की ठीक साढ़े 6 बजे आ जाती है रोज। लेकिन जाने से पहले भी उसे बहुत कांम करना होता था जैसे- अपने घर के मन्दिर में माथा टेक कर भगवान का प्रसाद लेना , और अपने लंच बॉक्स और वॉटर बॉटल लेना ,वह भी अपनी करिश्मा दीदी से । क्युंकि बिना वॉटर बॉटल और लंच बॉक्स के स्कूल कैसे जा सकता था राजू।
अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा की यह करिश्मा कौंन है?
चिंता मत करिये आप को बहुत जल्द पता चलेगा इसके बारे में भी।