मिसमैच_द_चार्जिंग_प्वाइंट - भाग 2 saurabh dixit manas द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मिसमैच_द_चार्जिंग_प्वाइंट - भाग 2

#मिसमैच_द_चार्जिंग_प्वाइंट #भाग_2
#अब_आगे......“अब सबसे पहले उड़ भी लो....” अपने आगे की सीट पर बैठी उसी लड़की को लैपटाॅप पर कुछ टाइप करता देख प्रख्यात मन में बोला।
“ओह! मैडम तो रिजाइन लेटर टाइप कर रही हैं....भाड़ में जाए.....मुझे क्या?” खुद से कहते हुए प्रख्यात ने रुमाल से अपना मुँह ढका और सोने की कोशिश करने लगा।
“अरे? ये क्या हाल बना रखे हैं...? अहमदाबाद में वाटरपूड़ी जैसी आँखें और टोमेटो जैसी नाक भी बनाई जाती है क्या?” दरवाजा खोलते ही अनुराधा ने प्रख्यात के चेहरे को देखकर कहा।
“मतलब?” प्रख्यात घर में घुसते हुए अचकचाकर बोला।
“मिरर में अपनी सूरत तो देखिए...“ कहते हुए वो प्रख्यात को खींचकर वॉश-बेशिन के पास ले गयी। सामने लगे शीशे में प्रख्यात ने अपना चेहरा देखा तो उसकी आँखें सूजी हुईं थीं और नाक बिल्कुल टमाटर की तरह लाल हो गई थी जिसे देखकर वो शरारत से बोला-
“अरे ये कौन है अनु?”
“वही तो....ओह!” तब तक अनुराधा उसकी शरारत समझ गई। उसने प्रख्यात की कमर में जोर से चिकोटी काटी और हँसने लगी।
“जानती तो हो! हवा-पानी बदलते ही जुखाम हो जाता है।” अपने बैग को एक ओर रखते हुए प्रख्यात बोला।
“हाँ, आई को नो है....यू फ्रेश हो जाओ आई एक स्पेशल फॉर्मूला लेकर कमिंग...।” कहते हुए वो किचेन में चली गई।
“इस अंग्रेजन का पता नहीं अब कौन सा फार्मूला झेलना पड़ेगा।” खुद से कहता प्रख्यात मुस्कुराते हुए कमरे में चला गया।
“ये लो स्पेशल मसालेदार काढ़ा, सुबह तक मेरे ओरिजिनल वाले हैंडपंप बन जाओगे।” सोते हुए अंशू के सर पर प्रख्यात को हाथ फिराता देख अनुराधा ने धीरे से कहा।
“मसालेदार काढ़ा??” प्रख्यात चैंककर बोला।
“जी हाँ! इसमें हल्दी, अजवाइन, गुड़, काली मिर्च, लौंग, अदरक और तुलसी पत्ता सब कुछ मिला है, तो हुआ ना मसालेदार?” प्रख्यात को ग्लास थमाते हुए अनुराधा बोली।
“तुम भी बैठ जाती तो और मसालेदार हो जाता...” प्रख्यात ने शरारत भरी निगाहों से उसे देखते हुए कहा।
“क्या????”
“कुछ नहीं, तुलसी पत्ता कहाँ से मिल गया इतनी रात को?”
“पता नहीं क्यों आज दिन में ही तोड़कर रख लिया था, अब समझ आया शायद ये आपके लिए ही था।”
“ओह! तुम्हारी छठी इंद्री बहुत तेज है।” काढ़े का एक सिप लेकर प्रख्यात बोला।
“हैंडपंप जी! मेरे पास साढे छै इंद्रीयां हैं।”
“हाहाहा....साढे छै.....”
“हँसिए मत...सुड़क लीजिए गरमागरम।” अनुराधा ने लेटते हुए कहा।
“हाँ.... और कुछ नया? घर पर बात हुई?”
“मम्मी का फोन आया था।”
“क्या कहा मम्मी ने?”
“बस वही घर-घर की कहानी।”
“अच्छा!”
“और हमारे इस छोटे उस्ताद के क्या हाल हैं? प्रख्यात ने अंशु के माथे को चूमते हुए पूछा।
“आप एक हफ्ते से बाहर थे, इतने दिन तो मैंने समझा बुझाकर मना लिया पर आज आपके आने को लेकर बहुत सेक्ससाइटेड था...”
“क्या था??” प्रख्यात के हाथ से ग्लास छूटते-छूटते बचा।
“जाओ मैं नहीं बोलती...” अनु ने मुँह फुलाते हुए कहा।
“यार मतलब ही तो पूछा?” प्रख्यात अपनी हँसी दबाते हुए बोला।
“मतलब वो बहुत ज्यादा हैप्पी था पर आपको आने में ट्वायलेट हो गया, तो उदास होकर सो गया।”
“किसको ट्वायलेट हो गया?..ओह! समझा, क्या करूँ दार्जिलिंग जी काम ही ऐसा है और ऊपर से मुझे ट्वायलेट नहीं हुआ वो फ्लाइट ट्वायलेट हो गया था। और वैसे ये ट्वायलेट नहीं टू-लेट होता है, हाहाहा.....अच्छा! कल की पूरी छुट्टी नो वर्किंग शर्किंग, ओके ?” प्रख्यात काढ़ा पीकर ग्लास रखते हुए बोला।
“अब मेरी नकल करने लगे आप....गुड शुड है करलो जी मेरा इन्सर्ट।” बोलकर अनु मुँह फेरकर लेट गयी।
“ना जी.... हमारी कहाँ मजाल जो हम अपनी दार्जिलिंग जी का इंसल्ट कर लें।” प्रख्यात अनु को अपनी तरफ घुमाते हुए बोला।
“सोच रहा हूँ अब बाहर के प्रोजेक्ट कम करूँ। अपने ही शहर में काम बढ़ाते हैं और जानती हो अनु.....” प्रख्यात कुछ और कहता इससे पहले अनुराधा के खर्राटे सुनाई देने लगे।
“ये भी गजब है....” कहते हुए प्रख्यात उसे अपनी बाँहों में समेटकर लेट गया।
“हुर्रे!! अंकु आ गए..अंकु आ गए।” सुबह अंशु प्रख्यात को बगल में सोया देखकर खुशी से चिल्लाने लगा जिसे सुनकर प्रख्यात की नींद टूट गई।
“ओये मम्मी के मैराथन! इतनी जोर से नहीं चिल्लाते वरना पड़ोसी आ जाएंगे।” अंशु को लिपटाकर प्रख्यात फिर सोने की कोशिश करने लगा।
“उठो ना अंकु...ढेर सारी बात करनी है तुमसे, फिर तो तुम ऑफिस निकल जाओगे।” अंशु कसमसाते हुए बोला।
“आज कहीं नही जाना, आज हम अंशु के साथ खेलेंगे और सारा दिन मस्ती करेंगे फिर शाम को दोनों मिलकर मम्मा के लिए डिनर भी बनायेंगे।”
“रियली....?” अंशु को विश्वास नहीं हो रहा था।
“यस! प्रॉमिस डिअर!”
“वाओ माई अंकु इज द ग्रेट!” कहता हुआ अंशु प्रख्यात से लिपट गया।
“ट्रिंग-ट्रिंग” तभी प्रख्यात का फोन बजा।
“हाँ भाई! हाँ आ गया यार.....अच्छा किया तुमने फोन कर दिया मैं तुम्हें फोन करने ही वाला था। बातकुछ नही...ओके, शाम को घर आओ फिर बात करते हैं। ओके बाय....” कहकर उसने फोन रखा और अंशु के साथ खेलने लगा।
“तो आज क्या-क्या बनाया जाये अंशु?” शाम को किचेन में कढाई निकालते हुए प्रख्यात ने पूछा।
“चिली पोटैटो के साथ फ्राइड राइस और रायता....”
“कुछ भी बनाना पर मेरा किचेन गंदा मत करना...” अनुराधा किचेन में घुसते हुए बोली।
“आज आपको किचेन के अन्दर आना मना है, क्यों अंकू??” अनुराधा को बाहर ढकेलते हुए अंशू ने कहा तभी-----#क्रमशः
#कविता सिंह-सौरभ दीक्षित ‘#मानस’