जेंडर डिस्पैरिटी भाग 2 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जेंडर डिस्पैरिटी भाग 2

दो परिवारों की सोच में अंतर के कारण दो प्रेमी एक न हो सके . दोनों अपनी भारत में पढ़ाई कर स्नातकोत्तर के लिए USA जाते हैं . लड़की को स्कॉलरशिप न मिलने के चलते स्ट्रग्ल करना पड़ता है .......


कहानी - जेंडर डिस्पैरिटी भाग 2


शिवानी ने दो साल के लिए लीज पर एक कार ले ली थी . एक रूम किसी अमेरिकन के साथ शेयर कर रही थी . रूम रेंट , कार की EMI और खाने पीने का खर्च जुटाना मुश्किल हो रहा था . उसने इंटरनेट पर जॉब के लिए पोस्ट किया था . जल्द ही उसे एक बेबी सिटिंग का काम मिल गया . एक छोटे बच्चे को दोपहर बाद स्कूल से पिक कर तीन घंटे उसकी देखभाल करनी थी , सोमवार से शुक्रवार तक . इसके लिए उसे 20 डॉलर प्रति घंटे मिलता और इस तरह उसे महीने में 400 डॉलर्स मिल जाते थे .

एक बार शिवानी ने अपने रूममेट जेनी से पूछा “ तुम क्या कैलिफ़ोर्निया निवासी हो या दूसरे स्टेट से आयी हो ? “

“ मैं नेवादा की रहने वाली हूँ . पर यहाँ अच्छे यूनिवर्सिटी हैं और जॉब की संभावनाएं काफी ज्यादा है , इसलिए यहाँ आ गयी . “

“ यू आर लकी . तुम्हारे मम्मी पापा ने पढ़ने के लिए अच्छी जगह भेजा है . “

“ ऐसी कोई बात नहीं है मेरे पेरेंट्स सेपरेटेड हैं और दोनों ने अपनी नयी दुनिया बसा ली है . वैसे भी यहाँ ज्यादातर माँ बाप अपने बच्चों को स्कूल तक तो पढ़ा देते हैं पर आगे की पढ़ाई के लिए अक्सर बच्चों को खुद इंतजाम करना पड़ता है . मैं भी उन्हीं में एक हूँ . “

शिवानी ने महसूस किया कि जेनी वीकेंड में गायब रहती थी . फ्राइडे शाम वह जाती और संडे देर रात या फिर मंडे तड़के सुबह आती थी . उसने एक बार जेनी से एक्स्ट्रा इनकम के लिए नौकरी की बात की . तब उसने कहा “ तुम अगर थोड़ा बोल्डनेस दिखाओ तो तुम हज़ारों डॉलर्स चंद दिनों में कमा सकती हो . “

“ क्या मतलब ? मैं कोई गैरकानूनी काम नहीं कर सकती हूँ . “

“ नहीं , कुछ भी गैरकानूनी नहीं है . किसी भी डेटिंग साइट पर या क्रेगलिस्ट साइट पर रजिस्ट्रेशन करा कर वीकेंड या अन्य समय , जो तुम्हें सूट करे ,में डेटिंग का काम कर सकती हो . मैं वही करती हूँ और यहाँ सैकड़ों यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली लड़कियां अपनी पढ़ाई का खर्च आराम से उठाती हैं , इनमें डॉक्टर्स , इंजिनियर्स , मैनेजमेंट आदि तकरीबन सभी तरह के स्टूडेंट्स होते हैं . “

“ यू मीन अपनी इज्जत का सौदा कर के ? “

“ नॉट एट ऑल . नो वन कैन फोर्स यू हियर . यह तुम्हारी इच्छा पर है . कुछ लोग हैं जिन्हें कुछ घंटों के लिए टाइम पास के लिए लड़की का साथ चाहिए और कुछ नहीं , किसी तरह का कम्प्रोमाईज़ का सवाल नहीं है . इसमें पैसे कुछ कम मिलेंगे पर उतना भी कम नहीं कि तुम अपने खर्चे नहीं उठा सको . “

शिवानी गहरी सोच में पड़ गयी . जेनी ने कहा “ तुमने पूछा इसलिए मैंने एक ऑप्शन बता दिया . बाकी तुम्हारी मर्जी पर निर्भर करता है . “

“ फिलहाल मेरे लिए ऐसी कोई बात नहीं है , काम लायक पैसे मिल रहे हैं . “ कह कर शिवानी ने इस बात को यहीं खत्म कर दिया .

शिवानी का पहला सेमेस्टर खत्म होने को था . उसकी माँ ने फोन कर कहा “ तेरे पापा को बिजनेस में बड़ा घाटा हुआ है जिसके चलते उन्हें दिल का दौरा पड़ा था . समय पर अस्पताल जाने से जान तो बच गयी पर डॉक्टर ने टेंशन नहीं लेने की सलाह दी है . आज अस्पताल से शायद डिस्चार्ज भी हो जाएँ . तुम्हारी परीक्षा चल रही थी इसलिए पापा ने तुम्हें बताने से मना किया था . खैर , फ़िलहाल तबीयत ठीक है पर तुमको ले कर उदास रहते हैं . उन्हें उम्मीद थी कि स्थिति ठीक होने से तुम्हें कुछ मदद करते पर फिलहाल हालात और बिगड़ते दिख रहे हैं . “

“ मम्मा , बस करो . अब हमें बोलने दो . मैं बच्ची नहीं हूँ . मेरी चिंता आप लोग नहीं करें . मैं यहाँ मैनेज कर रही हूँ न और आगे भी कर लूंगी . फिलहाल मैं पार्ट टाइम एक जॉब भी कर रही हूँ . तुम पापा का ख्याल रखना . सेमेस्टर खत्म होने को है , आने की कोशिश करूंगी . “

एक सप्ताह बाद अपने रूममेट और अंशु से लोन ले कर शिवानी इंडिया आयी . उसके पापा घर आ चुके थे पर डॉक्टर ने उन्हें कुछ दिन आराम करने की सलाह दी थी . फिलहाल पत्नी की मदद से घर से ही अपने बिजनेस को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे थे . शिवानी एक सप्ताह बाद ही अमेरिका लौटने वाली है , यह जान कर उसकी माँ ने पूछा “ अभी तो करीब तीन महीने का समर वेकेशन है तो कुछ दिन और रुक जाती . “

“ रुकने को तो मेरा भी जी करता है पर वहां मेरा जॉब है और मैं थोड़े दिनों की छुट्टी ले कर आई हूँ . अब आप लोग मेरी चिंता न करें . मैंने अपनी पढ़ाई के खर्च के लिए इंतजाम कर लिया है . “

एक सप्ताह बाद ही शिवानी अमेरिका लौट गयी . शिवानी ने रूममेट जेनी से कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के उपाय पूछे . तब जेनी ने कहा “ यह तुम्हारे एटीट्यूड और किस हद तक तुम कंप्रोमाइज करती हो उस पर निर्भर करता है . तुम अपनी चॉइस बोलो तब मैं कुछ सुझाव दूंगी . “

“ बिना अपनी अस्मिता और आबरू से समझौता किये मैं कोई भी काम करने को तैयार हूँ . “

“ तब तुम किसी डेटिंग साइट या क्रेगलिस्ट में रजिस्ट्रेशन करो और हाँ अपनी शर्तें भी साफ़ शब्दों में मेंशन करना . तुमको जल्द ही रिस्पांस मिलेगा . यहाँ सभी उम्र के लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें अकेलेपन से कुछ देर के लिए छुटकारा पाने के लिए एक साथी चाहिए . यह मर्यादाओं के अंदर रह कर तुम कर सकती हो , मैं समझ सकती हूँ इंडियन गर्ल्स ज्यादा ही कंजर्वेटिव होती हैं . मुझे पूरा विश्वास है तुम्हें ऑफर भी मिलेगा और डॉलर्स भी . “

“ थैंक्स कोशिश करती हूँ . बात सिर्फ कंजर्वेटिव होने की नहीं है . बचपन से जिन संस्कारों में पली हूँ उसमें हमारी एक लक्ष्मण रेखा है जिसे लांघना बहुत कठिन होता है . “

“ यस , आई अंडरस्टैंड . बेस्ट ऑफ़ लक . “

शिवानी को अपनी पसंद का ऑफर जल्द ही मिल गया . 65 साल के एक धनी दिव्यांग व्यक्ति रिचर्ड को एक ऐसा साथी चाहिए था जो कुछ घंटे उसके साथ बिता कर उसका मनोरंजन करे . एक दुर्घटना में उसका निचला अंग बेकार हो गया था और वह व्हील चेयर पर था . उसे कोई किताबें पढ़ कर सुनाये , उसके साथ कुछ ऑनलाइन गेम्स खेले , कुछ चुटकुले आदि सुनाये . शिवानी को इस काम में कोई परेशानी नहीं थी . उसने रिचर्ड को पहले से ही अपनी शर्तें बता दी थी और साथ में यह भी कि वेकेशन और वीकेंड में तो वह ज्यादा समय दे सकती है पर अन्य दिनों में अपनी सुविधा के मुताबिक ही वह समय दे सकती है . रिचर्ड इसके लिए तैयार था .

इसी बीच एक दिन अंशु उस से मिलने न्यू यॉर्क से कैलिफ़ोर्निया आया . उसने पूछा “ तुम्हारे पापा कैसे हैं अब और इतनी जल्दी तुम वापस क्यों आ गयी ? “

“ पापा तो अब ठीक हैं , थोड़े दिन उन्हें रेस्ट करना होगा . मैं जल्दी लौट आई ताकि इस समर वेकेशन में एक्स्ट्रा जॉब कर कुछ डॉलर्स जमा कर लूँ . कॉलेज खुलने पर उतना ज्यादा टाइम जॉब के लिए नहीं मिलेगा . तुम्हारा और जेनी का भी कर्ज चुकता करना है न . मुझे एक अच्छा ऑफर मिला है और मैंने वहां ज्वाइन कर लिया है . “

“ मेरे क़र्ज़ की तुम बात न करो . मैंने तुम्हें क़र्ज़ समझ कर नहीं दिया था , बस यूँ ही फ्रेंडली गेस्चर था . और मेरे लिए फ्रेंड से आगे की तुमने अभी तक सोचा या नहीं ? “

“ अभी भविष्य अनिश्चित है . डेढ़ साल पढ़ाई और उसके बाद पता नहीं जॉब का क्या होगा . आजकल यहाँ जॉब वीजा मिलना बहुत कठिन हो गया है . “

“ ठीक है , मैं इंतजार कर लूँगा जब तक तुम कोई फैसला नहीं कर लेती . अगर मुझे ले कर तुम्हें कोई रिजर्वेशन है तो तुम फ्रैंकली बोल सकती हो . ना सुन कर भी मुझे दुःख नहीं होगा और हम फ्रेंड बने रहेंगे . “

“नहीं यार , तुम्हें ले कर क्या रिजर्वेशन होगा ? मैं ही अपने भविष्य को ले कर कंफ्यूज्ड हूँ . डोंट टेक इट अदर वाइज . “ शिवानी ने अंशु का हाथ पकड़ कर कहा .

“ पर यह तो बताओ तुम क्या काम कर रही हो आजकल ? “

शिवानी ने अपने और रिचर्ड के बारे में बताया तब अंशु कुछ गंभीर हो कर बोला “ यानि तुम उस बुड्ढे की नैनी हो ? “

“ हाँ भी और ना भी . उसके पर्सनल काम यानि नहलाने धुलाने , साफ़ सफाई , खाने पीने के इंतजाम आदि के काम के लिए रिचर्ड ने एक अलग औरत को रखा है . वह कुछ घंटे रहती है और सारे इंतजाम कर चली जाती है . हाँ , मैं जब रहती हूँ तो उसके लिए कभी कॉफ़ी या अन्य ड्रिंक बना देती हूँ वरना वह खुद भी बना सकता है . उसका व्हील चेयर एक विशेष प्रकार का है जो एक मिनी बैट्री कार की तरह आराम से घर में कहीं भी आ जा सकता है . उसके घर के सारे कंट्रोल wifi द्वारा एक रिमोट से होता है जिसे वह हमेशा अपने साथ रखता है . “

“ तुमने इंडिया में अंकल आंटी को अपने काम के बारे में बताया है . “

“ हां , पर इतने डिटेल में नहीं . “

शिवानी और कुछ अन्य भारतीय मित्रों के साथ एक सप्ताह बिताने के बाद अंशु लौट गया . समर वेकेशन के इन दो महीनों में शिवानी सप्ताह में कम से कम पांच दिन करीब चार घंटे रिचर्ड के साथ बिताती और उसे 200 से 250 डॉलर प्रतिदिन मिलते . रिचर्ड को पैसे की कमी नहीं थी , कभी वह बड़ा बिजनेस मैन रहा था .एक दुर्घटना के बाद शरीर से एक्टिव नहीं रहने के कारण उसने अपना बिजनेस अच्छे दाम में बेच दिया था . इसके अलावा उसने कुछ पूँजी इन्वेस्ट कर रखी थी जिससे उसे अच्छी आमदनी होती थी .दुर्घटना के कुछ महीने पहले उसकी पत्नी की मौत हो गयी थी . उसकी एकमात्र बेटी जर्मन से शादी कर जर्मनी में सैटल थी . उसे कमी थी तो एक साथी की जो उसके अकेलेपन को दूर करे . इस तरह से शिवानी की आर्थिक स्थिति अब मजबूत हो चली थी . शिवानी ने पढ़ाई में भी पूरी जोर लगा दी , अगले दो सेमिस्टर में ज्यादा विषय ले कर दो साल की पढ़ाई डेढ़ साल में पूरी कर ली . शिवानी और अंशु दोनों ने अपनी मास्टर डिग्री ली .


क्रमशः भाग 3