The real game - 1 Needhi Patel द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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The real game - 1

Behind the war

मुँह बंदsss रखो अपना !!

तुम अच्छी तरह जानते हो कि ये सब करने का अंजाम क्या हो सकता है फिर भी तुम अपनी गलती को मानने की बजाय मुझसे इस तरह ज़ुबान लडा़ रहे हो ,वो तो शुक्र मनाओ उस अंजान लड़केेका जिसकी वजह से तुम अभी तक जिंदा हो वरना वो लोग तुम्हारे साथ एसा सुलूक करते की तुम्हें अपने पेंदा होने पे अफसोस होता ओफिसर अविरल शमाॅ।


तुम्हें पता है तुम्हारी एक गलती उस वक़्त पूरी टीम पे कितनी भारी पड़ सकती अरेे अपना नहीं तो कम से कम हम सबके बारे में तो सोच लेते अब खड़े खड़े क्या सोच रहे हो दफा हो जाओ यहाँ से जब तक ये केस पूरी तरह से सोल्व ना हो जाए तब तक अपना चेहरा मत दिखाना मुझे।


कमीशनर रघुनंदन तिवारी आज फिर एक बार अविरल को डाँँटते नजर आ रहे थे वो तो शुक्र है कि किसी फोन कॉल में वे व्यस्त हो गए वरना सब लोगों की आज क्लास लग जाती।

इतनी जमके डाँट खाने के बाद जैसे ही अविरल बहार आया सब लोग उसे घूूूूूरने लगे, अविरल सबको नजर अंदाज करके डेस्क पे अपना काम करने लगा।


कमीशनर(कोल पे) -अविरल आज फिर बच गया, पता नहीं वो लड़का कहाँ से आया और सब बिगाड़ दिया।


दूसरी तरफ से कुछ कहाँ गया जिससे तिवारी को शोक लगा, थोडी देर बााद कोल कट हो गया।


Some anknown place

आज फिर हमने सबको अच्छा खासा चकमा दीया हर बार की तरह ईस बार भी बोस ने क्या खेल खेेेेला सब चारो खाने चित्त हो अब बस ईस डील से क्या फायदा होगा वो आगे जाके पता चलेगा।

विकी-बात तो सही है आप की आखिर इतनी महेनत का फायदा मिलना ही चाहिए।

रोनी-अब चलो सोने को कल का दिन बहोत खास है।

Secret place, delhi

एक लड़की ढेर सारी मशीनों के बिच घीरी बेजान सी लेेेटी हुई है, कमरे के बाहर एक लडका गुस्से और परेशानी से चहलकदमी कर रहा है।

लड़का -आज भी उस बोस के बारे में पता नहीं चला, गुस्से में उसने सर के बाल नोंच डाले।

Daily news channel head office, delhi

रिपोर्टर सुरेखा व्यास ने जैसे ही कदम रखा उसके परेशान चेहरे को देख सब के चेहरे पे चिंता की लकीरे उभर आई।

वहाँ की दूसरी रिपोर्टर मायरा गगॅ केस के सिलसिले में उसके पास आकर कुछ बातेे करने लगी।

मायरा-कुछ अपडेट मिली केस में?

सुरेखा-एसा कोई भी सुराग क़ातिल ने नहीं छोड़ा जिससे कुछ पता चल सके।

मायरा-चलो देखते हैं की पोस्टमोटॅम की रिपोर्ट क्या कहती है।

मायरा के जाने के बाद ,

सुरेखा(सोचते हुए) - सुुुराग तो तब मिलेंगे जब में चाहुँगी, चेहरे पेे जहरीलि मुुुस्कान छा जाती है।

एक सुमसान बिल्डिंग, delhi

बहार से सुमसान दिखने वाली बिल्डिंग अंदर से एक आलीशान महेल जैसी है चारो तरफ guards पेहरा दे रहे हैं, एसे शांत माहोल में अंधेरे कमरे में से टक टक की आवाजे आ रही है, अंधेरे की वजह से कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा, तभी बाहर से कोई उस कमरे में जाके बत्ती जलाता है। सामने फटे-कटे कपड़े और कई जगह जख्मों के निशान लिए जंजिरों से बंधी लड़की शून्य में ताक रही है। उस की उंगलियों से लगा खून सुख चुका है बिखरे बालो की वजह से चेहरा आधा ढका हुँआ है और पीछे की दिवार पे हर जगह devil नाम उकेरा हुँआ नजर आ रहा है।


Continue.....