इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 1 Kalpana Sahoo द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 1



      में जो अब लिखने जा रही हुं वो कोई काल्पनीक Story नहीं है । वो एक बास्तबिक घटणा है । जिसे में जब भी याद करती हुं तो मेरी अन्दर एक अजीब सी सबाल पैदा होती है । पता नहीं क्युं ? पर नाजाने लोग यैसा रिस्ता क्युं बनाते
 हैं ? 
     
     चलिये अब काहानी की ओर बढते हैं । पर फिरसे एक बात बोलना चाहती हुं की में किसी रिस्ते के खीलाफ नहीं हुं, नाही कोई रिस्ते को में गलत ठेहरा रही हुं । में सिफ् ये बोलना चाहती हुं की रिस्ता कोई भी हो पर उसमें प्यार, भरोसा और येहेसास् होना चाहिये ।
 
      खेर अब में काहानी लिखती हुं । स्रुती को गाना गाना बेहत पसन्द थी । उसे पढना-लिखना भी पसन्द थी पर वो उसमें कुछ करे यैसा कुछ मन में नहीं थी । उसे नये नये दोस्त बनाना और उनसे बाते करना बेहत पसन्द थी । कभी पढाई से फुरसत् मिलजाये तो वो चित्र बनाने लग जाती थी और कुछ नया करने की सोच हमेशा उसकी मनमें रेहती थी । वो सबसे सायद अलग थी । उसकी बाते करने की तरीका, बातों में वो अपनापन सायद में कीसीसे पायी नहीं । 
   
     उसकी बारेमें तो बहत चर्चा होगेयी अब और कुछ जान लेते हैं । आप सोच रहे होगें में सिधे काहानी ना लिखके ये क्या बोल रही हुं ? वो इसलिए की मेरी खेयाल से अगर हमे किसीके बारे में राय देना हो तो उसके बारे में सब कुछ जानना जरूरी है । क्युंकी में पेहले से इस काहानी का नाम ही एक सबाल रखी हुं । इसलिए पुरा समझा रही हुं । ये काहानी कितना part होगा पता नहीं पर मुझे आपलोग ये पुरे काहानी पढ कर ही review देना please.
 
                Read the story..... 
 
     स्रुती दिखने में बहत सुन्दर थी और सान्त सरल स्वाभाब की लेडकी थी । इसलिए बहत सारे दोस्त हुआ करते थे उसकी । वो जब 10th class में पढ रही थी तब उसे एक लेडका से प्यार हो गेयी थी । लेडका उसकी उमर से 7-8 years बडा होगा । क्युंकी प्यार में कुछ उमर नहीं देखा जाता है । वो तो बस् हो जाता है । ठीक उसी तरह स्रुती को भी प्यार हो गयी थी उस लेडके से । लेडका देखने में हट्टाकट्टा गोरे रगं का था । बहत अच्छा था, बेहत प्यार करता था स्रुती से । येसे ही उनका प्यार ढाई़ साल तक चला । फिर कुछ हुआ सायद इसलिए वो दोनो अलग होगये । पर कभी एक दुसरे को दोस नहीं दिये । हाँ उसके बाद भी बात करते थे वो दोनों, पर यैसा लगता था जैसे कोई मजबूरी रही हो । जीसकी बजह से वो दोनो जूदा हो गये । 
 
             अब स्रुती बिलकुल अकेली थी । हाँ उसकी दोस्त बहत थे पर वो अपना दुःख किसीसे share नहीं करती थी । मगर हर किसीका गममें और सुख में बराबर की साथ देती थी । लगभग तीन साल तक वो एकदम अकेला रही ।
 
                3years later........ 
 
        फिर एकदिन उसको दुबारा प्यार हुआ । स्रुती तब एक teacher थी । बो 2 खतम करने के बाद एक computer course कर रही थी । पढाई होने के बाद वो वहीं नौकरी में join करली । पैसा ज्यादा नहीं थी फिर भी एक खुसी थी उसकी चेहरे पर । उसकी अकेलापन दुर 
होगेयी । वो अकेला वहां काम नहीं कर रही थी । उसके साथ और staff भी थे । वही काम करते करते पता नहीं वो कब उसकी साथ काम करनेबाला एक लेडके को प्यार कर बैठी । पेहले की तरहा इसबार भी लेडका ही उसको propose 
किया था । 
 
            To be continue............