हद से ज्यादा भावुक होना भी व्यक्ति को असफल बनाता है। ऐसे व्यक्ति का सभी फायदा उठा लेते है।
आज मै एक लघु उपन्यास लिख रहा हूँ, जो एक ऐसे ही व्यक्ति के जीवन पर आधारित है जिसे समय समय पर हर रिस्ते ने अपने अपने तरीके से प्रयोग करते हुए सबने अपना स्वार्थ सिध्द किया।
उपन्यास का नायक नवीन एक सीधा साधा व्यक्ति है जो जाति से ब्राह्मण है और मध्यम आय वर्ग के परिवार से सम्बन्ध रखता है और जिसके माता जी का स्वर्गवास उसके बचपन मे ही हो जाता है। पिता (पंडित हरिशंकर भट्ट) जी शान्त स्वभावऔर ईस्वर भक्त व्यक्ति है जो अपने बड़े लड़के (कुणाल) को परिवार का दायित्व सौप कर अपनी दिनचर्या मे व्यस्त रहते है। बड़ा भाई विवाहित और बहुत ही उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति है उसके बिपरीत उसकी पत्नी बहुत कामचोर और घर के काम से अनभिज्ञ द्वैष करने वाली स्त्री है जो पति के सामने घर के काम करने का नाटक करती है किंतु पति के घर से बाहर जाते ही बिस्तर मे पड़ी रहती है, घर का कुछ भी ग्रह कार्य नही करती है। घर की बड़ी बहू होने की वजह से घर के सभी सदस्य उसे मालकिन नाम से संबोधित करते है। नायक का बीच वाला भाई (लखना उर्फ बाबा) अनपढ़ है, किंतु घर की खेती का पूर्ण कार्य वही करता है जो अभी वय किशोरावस्था मे है और अविवाहित है। नायक नवीन का सबसे नजदीकी लगाव लखना से ही रहता है क्योकि कुणाल हमेसा पढ़ाई के सिलसिले मे बाहर रहता था और रानी का विवाह तो नवीन के जन्म के पहले ही हो चुका था इसलिए घर मे नवीन और लखना ही साथ साथ रहते थे।इन दोनों के आपसी लगाव का यह भी कारण हो सकता है। नायक की सबसे बड़ी बहन (रानी) जो दिल्ली मे रहती है,और उसके पति का ट्रांसपोर्ट का व्यापार है जो बहुत ही धुर्त किस्म का आदमी है जो की समाज मे बहुत ही प्रतिष्ठित होने का दावा करता है किंतु उसकी धूर्तता के कारण सभी उसकी बुराई करते है।
नायक नवीन को सबसे ज्यादा लगाव अपनी बड़ी बहन और बीच वाले भाई से है क्योकि उसे लगता है की उसे सबसे ज्यादा प्यार बड़ी बहन करती है। और वास्तव मे बड़ी बहन उसे प्यार करती भी है क्योकि नवीन उसके लिए बेटे जैसा है और रानी के बड़े बेटे और नवीन की उम्र के बीच का अंतर भी मात्र दो वर्ष का ही है तो इस लगाव का यह भी एक कारण हो सकता है।
लेकिन वास्तविकता यह है की नायक को किसी ने भी ना कभी समझा और ना उसे किसी ने दिल से प्यार किया। सभी ने उसे अपने स्वार्थ वश सिर्फ समय समय पर इस्तेमाल किया शिवाय लखना के इस पूरे कथानक मे लखना ही एक ऐसा पात्र है जिसके चरित्र चित्रण से यह पता चलता है की वह नायक को पुत्रवत प्रेम करता रहा जीवन पर्यंत कुछ समय को छोड़कर क्योकि एक समय ऐसा भी आता है जब यह लगता है की लखना भी एक बिगड़ा हुआ इंसान है और नवीन का फायदा उठा रहा है। क्योकि लखना की असामयिक म्रत्यु हो जाती है इसलिए उसका चरित्र इस कथानक मे निर्णायक नही है।
इन पारिवारिक सदस्यो के अलावा भी बहुत से पात्र है इस सम्पुर्ण कथानक मे जो आपको पूरा कथानक पढ़ने के बाद ही सबका चरित्र चित्रण पता चल पाएगा।
क्रमशः......