Murder @night - 4 - अंतिम भाग Abhishek Hada द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Murder @night - 4 - अंतिम भाग

Murder @night

4th part

हां, क्योंकि उसी समय मम्मी का कॉल आया था कि भैया को घर पर ही रूक जाने के लिए कहा था। उस समय मैंने टाइम देखा था। - दीक्षा ने सोच कर बताते हुए कहा।

तो आपने उस समय कुछ ऐसा देखा जिसे देखकर कुछ अजीब लगा हो। - नागेश ने कहा।

हां, दो-तीन चीजें अजीब लगी। कार आने जाने के लिए इस बंगले का जो बड़ा सा दरवाजा है वो गार्ड ही खोलता है। और अगर वो नही होता है तो भी गेट लगा ही रहता है। पर उस दिन मैन गेट का दरवाजा पूरा खुला पड़ा था। कार को जल्दी से बंगले में अंदर लाने के बाद मैं भाग कर घर के अंदर जाने लगी तो देखा कि वो दरवाजा बंद था। तब मेरी सांस में सांस आई। उसी समय भैया को ऐसा लगा कि कोई गार्डन में झाड़ियों की तरफ कुछ हलचल हुई। लेकिन रात के अंधेरे में कुछ नजर नही आया। मैंने भैया को आवाज लगाई। और भैया अंदर आ गए। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें झाड़ियों की तरफ किसी के होने का आभास हुआ। मैंने कहा कि हो सकता है कि शायद कोई जानवर हो। मेरे पास घर की डुप्लीकेट चाबी है। मैंने उनसे दरवाजा खोला। और जल्दी से अनिरूद्ध के कमरे की तरफ गई। लेकिन वहां ताला लगा हुआ था। उसके कुछ देर बाद अचानक लाइट चली गई। कुछ देर बार जब लाइट आई तो मैंने देखा कि अनिरूद्ध के कमरे का दरवाजा खुला है और उनके कमरे में पैसे बिखरे पड़े है। और उसके कुछ देर बाद ही अचानक हमारा पुराना नौकर राजू वहां से अनिरूद्ध की लाश के साथ अलमारी से बाहर आकर गिर पड़ा। - दीक्षा उस पल को याद कर के रोने लग गई।

नागेश सब बातें सुनकर चुप हो गया था। कुछ देर चुप रहने के बाद नागेश ने कहा - मतलब आपने राजू को मर्डर करते नही देखा। मेरा मतलब मारते हुए, गला दबाते हुए ..

नही, पर ये देखने की कहां बात थी ? राजू ही उनको मार कर वहां छुप गया था। - दीक्षा ने कहा।

कभी कभी सब कुछ हमारे सामने होता है लेकिन हम देख नही पाते है। क्या आज शाम मैं फिर से आपके घर आ सकता हूं। मुझे और पूछताछ करना है पर अभी मुझे बहुत जरूरी काम याद आ गया है। - नागेश ने कहा।

जी जरूर। - दीक्षा ने कहा।

०००

3 जनवरी 2020 रात 8 बजे

नमस्ते दीक्षा जी। माफी चाहता हूं आने में देर हो गई। मुझे एक दो बातें पूछना था आपसे ? बहुत जल्द ही हम असली कातिल तक पहुंच जाएंगे। - नागेश ने कहा।

जी , बताइए। क्या जानना है आपको। - दीक्षा ने कहा।

बुरा न माने तो क्या एक कप चाय मिल सकती है ? - नागेश ने कहा।

संजय इतनी बेशर्मी से नागेश को चाय मांगते देखकर चौक गया। पर वो चुप रहा।

दीक्षा को भी ये थोड़ा अजीब लगा पर उसने अपने नौकर का आवाज दी। और कहा - राकेश दो कप अच्छी चाय बना कर लाओ।

जी - उधर से आवाज आई।

अच्छा, आप ये बताइए कि उस रात जब आप घर में आए तो क्या आपको ऐसा नही लगा कि घर में कोई और भी है ? - नागेश ने पूछा।

जी, लगा तो था। पर मेरा सारा ध्यान अनिरूद्ध को ढूंढने में लगा था। - दीक्षा ने कहा।

जब आप घर में आए तो आपके भैया कहां थे ? - नागेश ने पूछा।

वो पूरा समय मेरे साथ ही थे। मैं उनके रूकने का इंतजाम करने के लिए दूसरे कमरे में उनके साथ आई थी। - दीक्षा ने कहा।

जो छत की सीढ़ियों के पास बना हुआ है। - नागेश ने पूछा।

जी, हां लेकिन आपको कैसे पता ? - दीक्षा ने पूछा।

तभी नौकर उन्हे रसोई से चाय लाते दिखा।

अरे वाह मेरी चाय भी आ रही है - नागेश ने खुश होते हुए कहा।

तभी अचानक लाइट चली गई।

ओह नो। मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता है। प्लीज जल्दी से कुछ करो - नागेश ने लगभग चिल्लाते हुए कहा।

अरे साब कुछ नही होगा। - नौकर राकेश ने उनके पास आकर उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

उसी समय अचानक से लाइट आ गई।

अरे वाह राकेश। तुम तो अंधेरे में भी इतनी दूर से यहां से आ गए। - नागेश ने कहा।

हां, साब। वो इतने साल से काम करते है तो अंदाजा हो जाता है अंधेरे में भी जगह का - राकेश ने कहा।

यही तो बात है। - कहते हुए नागेश जोर जोर से हंसने लगा।

०००

4 जनवरी 2020 दोपहर 2 बजे

साब मैं आपका अहसान कैसे चुकाऊंगा ? आपने इतनी जल्दी असली कातिल का पता लगा लिया और मुझे रिहाई मिल गई। - राजू ने कहा।

ये सब तुम्हारे सच बोलने की वजह से हुआ है। - नागेश ने कहा।

पर साब आपको कैसे पता लगा कि राकेश ही कातिल है। घर में तो बाकी 2 नौकर और थे। - राजू ने पूछा।

क्योंकि इंसान कभी कभी चतुर बनने के चक्कर में मूर्खता कर जाता है। जब तुमने मुझे बताया था कि उस रात पानी पीने के लिए कोई रसोई में आया था तो वो अनिरूद्ध तो होने से रहा। साथ ही दीक्षा का भाई ऐसे रात के अंधेरे में रसोई में आकर पानी तो पी नही सकता। तुमने कहा था कि काम करते करते अंधेरे अंधेरे में भी अंदाजा हो जाता है। बस यही बात जांचने के लिए मैंने चाय मंगवाई और वो पकड़ा गया।

और तुमने तो तिजोरी में से 50 हजार ही चुराए। वो पहले ही 10 लाख रूप्ये चुरा चुका था जिसे अनिरूद्ध ने देख लिया और हाथापाई के बाद राकेश ने उसका गला दबा दिया और फिर चतुराई से तुम्हे फंसा दिया। क्योकि तुम्हे यहां आने और चोरी करने का संदेशा राकेश ने ही भिजवाया था।

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