शौकीलाल जी का खत चोर जी के नाम - 3 Krishna manu द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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शौकीलाल जी का खत चोर जी के नाम - 3

हे चोर महाराज, पत्र-पत्रिकाओं में पढकर, अखबारों में बांचकर, दूरदर्शन में झाँककर मैं ज्यों-ज्यों आप के कारनामो, करिश्मों का अवलोकन करता गया, मेरे सामने आप की महानता का 'पर्दाफाश' होता गया। और अब मैं आप के चरणों में नतमस्तक हूँ।

आप केेेवल महान ही नहीं, धनवान भी हैं। 'एक तूू हीं धनवान चोर जी, बाकी सब कंगाल ।' आप के रहमों-करम पर आज दुनिया का हर शख्स जिंदा है। नेेेता, अभिनेेता, मंत्री, संत्री, तंंतरीसेेब के सब आप के चरणों के दास हैैं।आप का प्रसाद ग्रहण कर फल- फूल रहेें हैं। इसलिए हे कृपानिधान, दया के खान, चोर जी महाराज, मुझे अपनी शरण मेें ले लीजिए ताकि मैं भी फलफूल सकूँ।

हे अनाथों के नाथ , आप 'म' से मालामाल हैं। आपके पास माल(सम्पत्ति), मसल(शक्ति), मकान, मातहत(नौकर चाकर), मर्सिडीज(कार) है। अर्थात, इस युग के आप बेताज बादशाह हैं। इसलिए हे 'म' मंडित चोर जी , मुझ मसले, कुचले की फरियाद सुनिये। मुझे अपनी सेवा में चाकर रखिये। मुझे चाकर राखो राम!

खद्दर और खाकी में समभाव रखने वाले है समदर्शी, आप एक हैं लेकिन आप का नाम अनंत है।
हरि एक हरिनाम अनंता।

चोर के अलावा आप घोटालेबाज, हवालावज, ठग, लूटेरा, डाकू, गिरहकट, शूटर, माफिया, डॉन, दादा आदि कई नामों से कुख्यात हैं। आप विभिन्न नाम धारणकर इस धराधाम पर निर्भय विचरते हैं। और समय-समय पर प्राणियों का 'उद्धार' भी करते हैं। जो प्राणी मायामोह में फंसकर परलोक भूल जाते हैं, उन्हें आप माया मुक्त कर(लूटकर) परलोक स्मरण दिलाने का पुण्य कर्म करते हैं। इतना ही नहीं, जो प्राणी मायामुक्ति के कर्म का विरोध करता है उसका इहलीला समाप्त कर उनके लिये मोक्षप्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।
इसलिए, हे जन उद्धारक, महमान्यवार, मुझ शौकीलाल का 'उद्धार ' कर इस लायक बना दें कि मैं भी आप के नक्शेकदम पर चलकर लोगों को 'माया से मुक्ति' दिला सकूँ।


हे घुटे हुए घोटालेवाज जी, आप का नाम ही अनेक नहीं, आप के रूप भी अनेक है। कभी आप खाकी वर्दी धारण कर पब्लिक से मुद्रा मोचन में व्यस्त दिखते हैं तो कभी खादी वस्त्र पहन कर करोड़ों रुपये का घोटाला कर जेल भवन में विश्राम करते नजर आते हैं। कहीं कोट पैंट टाई में जेंटलमैन बने विकास फण्ड के पैसे हड़प कर गरीब जनता को चुना लगाते हैं तो कहीं तोंद बढ़ाए, सिल्क का कुर्ता-बंडी धारण कर तस्करी और कालाबाजारी में व्यस्त नजर आते हैं। इतना ही नहीं, आप भगवा वस्त्रधारी बनकर आश्रम का संचालन भी करते हैं और बड़ी-बड़ी हस्तियों के मुंडन संस्कार कर सत्ता-स्वर्ग का रास्ता दिखाते हैं।

मेरा तो यह मानना है कि आप निराकार हैं। आप तरल पदार्थ हैं, जिस पात्र में प्रवेश करते हैं उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैं। डॉक्टर, मास्टर, अफसर, लायर, इंजीनियर से लेकर बाबू और पियून तक में आप समाये बैठे हैं।

आज सड़क पर चलते प्रत्येक शख्स में आप का अक्स नजर आता है। 'इस दुनिया में सब चोर- चोर' लिखनेवाले ने यूँ ही थोड़े लिखा है। इसलिये हे चोराधिपति, आप से बिनती है। इस शौकीलाल की जर-जर काया में प्रवेश कर इसे काँच से कंचन बनाइए। मुझे चोर की उपाधि से विभूषित कर मुंझे भी सर्वव्यापी बनाइए।

हे चोरों के चोर महाचोर जी, आप को अंडरवर्ल्ड का बादशाह कहा जाता है लेकिन आप आउटवर्ल्ड के भी किंग हैं। आप घट-घट वासी हैं। यहां वहां , जहाँ-तहाँ मत पूछो कहाँ- कहाँ , आप सर्वत्र विराजमान हैं। कण-कण में आपका निवास है। झोपड़ी से टावर तक आप के पावर का जलवा है। मुझमें, उसमें, सबमें आप ही आप हैं। पीएलजी(प्यारेलाल की गुमटी) से लेकर पीएमओ तक आप की पहुँच है। आप सर्वत्र देखे जाते हैं। एनी टाइम, एवेरीव्हेयर। सड़क से संसद तक आप की कलावाजियां दूरदर्शन पर दूर से दर्शन कर भारतवासी काँप-काँप उठाते हैं।

आप करुणा और क्रूरता के संगम हैं। आप जब भिखारी बने पब्लिक के आगे वोट की भीख मांग रहें होते हैं तो आप करुणा की मूर्ति दिखते हैं और जब आप रौद्र रूप धारण कर संसद भवन में कुर्सी तोड़ने हुए तांडव नृत्य कर रहे होते हैं तो आप क्रूरता का पहाड़-सा नजर आते हैं।

हे चोर भगवन, आप रंक और राजा का प्रतीक हैं। थाने में उल्टा लटका कर जब पुलिस आप पर चमरौंधा जुता बरसाती है तो आपकी स्थिति बेगर से भी बदतर होती है और जब आप पुलिस को चाँदी का जूता मार रहे होते हैं, आप धनवानों के धनवान नजर जाते हैं।

इसलिए हे सर्वप्रिय, समदर्शी, सर्वव्यापी, सर्वपालक चोर जी, यह शौकीलाल अपने खून से आप को खत लिख रहा है। 'लिखता हूँ खत खून से स्याही न समझना।' मुझे अपनी शरण में ले लो राम।

अब तो मेरे राम आप हैं, रहीम भी आप हैं। बिन शरण तेरी, क्या गति मेरी। थोड़ा लिखा बहुत समझना। खत मिलते ही बुलावा जरूर भेजना।

आपका
अदना-सा एक सेवक शौकीलाल।

मैं खत बाँचने में मशगुल था कि 'खट्ट' की आवाज हुई। में चौकन्ना हो गया। फुर्ती से तकिया के नीचे खत रखकर शौकीलाल जी के आने का इन्तजार करने लगा।#(समाप्त)

@ कृष्ण मनु
9939315925