अब लौट चले - 2 Deepak Bundela AryMoulik द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अब लौट चले - 2

मेरी तो किस्मत ही ऐसी है पिछली शादी की साल गिरह भी ऐसी ही निकल गई...
जानू तुम अपना दिल छोटा मत करो... अभिषेक को मै सम्हाल लूंगा आज तुम घूम आओ...
मैंने उसे प्रश्न वाचक की नज़रो से देखा था... तो मनु ने अपना पर्श मेरे हाथ पर रखा दिया था मैंने फ़ौरन पर्स को अपने हांथो के कब्जे मे करते हुए उसको हलकी सी स्माइल दी थी... कि तभी बाहर से कार के हॉर्न की आवाज़ ने माहौल को बदल दिया था...
जाओ जानू रवि आ गया है...
इतना सुनते ही मै जल्दी से उठते हुए बाहर की तरफ भागी थी... मेरे दरवाजे तक पहुंचते ही देखा तो रवि अपने हाँथो मै बड़े से गिफ्ट के साथ बुके लें कर खड़ा था...
हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी...
इतना कहते हुए उसने गिफ्ट और बुके मेरे हांथो में थमा दी थी... मै गिफ्ट पाकर बेहद खुश हुई थी...
अच्छा हुआ तुम आ गये रवि... मेरा तो मूढ़ ही खराब है..
नो प्रॉब्लम संध्या भाभी... रवि अभी आपकी खिदमत में हाजिर है हुक्म करो...
तभी मनु की अंदर से आवाज़ आयी तो हम दोनों अंदर ही चले गये..
ओ... मनु हैप्पी एनिवर्सरी.... क्या यार ऐसे ही पड़े रहोगे हमारी प्यारी प्यारी खूबसूरत भाभी को कही घूमने नहीं लें जाओगे...
मनु ने हस्ते हुए कहा था जब तेरे जैसा देवर हों तो मुझें चिंता करने की क्या जरुरत...
तभी मैंने मायूस हों कर कहा था... मेरी ऐसी किस्मत कहा...?
ओह भाभी आप तो बिना बजह मायूस हों रहीं है..
रवि शाम को तुम क्या कर रहें हों...?
कुछ नहीं...
तो आज शाम को तुम शंध्या को कही घुमा लाओ...
इतना सुनते ही मै कितनी चहक उठी थी... पता नहीं मनु की इस बात पर मेरा उसके प्रति कुछ पल के लिए प्यार सा उमड़ पड़ा था मैंने मनु के चेहरे पर प्यार से हाँथ फेरते हुए कहा था..
ओह जानू तुम कितने अच्छे हों...
रवि की मौजूदगी में ये सब हों रहा था, रवि अपना गला साफ करते हुए बोला...
आप लोगों ने विश किया के नहीं मै बाहर चला जाता हूं..
शायद मुझें ऐसा करते देख रवि को नागवार गुजर रहा था... जिससे मै अनभिज्ञ थी कि मेरी ख़ुशी के लिए मनु अपने दिल पर पत्थर रख कर कैसे कहा होगा.... लेकिन मै तो अपनी खुशियों के लिए ज़िद्द मे अंधी थी....

उस रोज़ मुझें और रवि को घर लौटते लौटते काफ़ी रात हों चुकी थी... मनु हमारा इंतज़ार कर रहा था अभिषेक सो रहा था उस दिन मै बेहद खुश थी अपनी शादी की एनीवरशरी की पार्टी और महंगे तोफे पा कर.... लेकिन मै भूल गई थी उस दिन मुझें हर हाल में अपने पति के साथ होना चाहिए था... मै एक -एक गिफ्ट मनु को दिखा रहीं थी.... ऐसा करते मुझें देख उस दिन मनु अपने आपको कितना छोटा समझ रहा होगा जिसके बारे में मै सोच ही नहीं रहीं थी.
अच्छा बाबा ठीक है... अब रवि को घर तो जानें दो... रात काफ़ी हों चुकी है...
ओके... अब मुझे चलना चाहिए....
रवि इतना कह कर बाहर निकल गया था
पार्ट -3