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रहस्य - १

अजय जो बहोत ही आलसी था! लोग भी उसे अजय आलसी के नामसे ही जानते थे! उस के शरीर मे इतनी आलस थी के वह उठके पानी भी अपने हाथों से नही पिता था!  और पुर दिन मोबाइल पे तीन पती खेलना ही उसका काम था!  उसका खास दोस्त था, विजय जो उसका ही एक ज़ेरोक्ष कॉपी था! और इस ग्रुप में एक ओर महान व्यक्ति था कल्पेश ,  पूरे गाँव मे इन तीनो की बदमाशियों के हजारों किस्से थे!  मार पीट, सैतानिया शरारत मानो इन के लिए बहोत आम था! तीनो  मित्र कच्छ के ऐतिहासिक शहर भुजमें इतिहास विषय पर बी.ए की पढ़ाई कर रहे थे!


भुज के कुछ ही पास में एक गाँव था, शिवगढ़, इस का अर्थ होता है शिव की भूमि, यहाँ पर एक बहोत ही पूराना एक शिव मंदिर है! गाव के पास एक छोड़ी सी पर्वत माला के उपर यह शिव मंदिर स्थित है!  पुरातत्वीय विभाग ने यहां के शिव मंदिर की बनावट के बारे में खूब अध्यन किया, बहोत से, देश विदेश के पुरातत्वियोने पर्यटन किया, आजतक लोथल, हड़पा, ओर सरस्वती सभ्यताओ ले बारे में कुछ न कुछ अवशेष भारत एवम पाकिस्तान के  के अलग अलग क्षेत्रों से मिले थे, कई लिपिओ के नमूने हमे पयार्प्त हुवे थे लेकिन शिव मंदिर के घुमट पर कुछ और ही था। यह मंदिर किसने बनवाया कब बनवाया आजतक किसी को नही पता, लेकिन गाँव मे कुछ लोक कथा हमने अवश्य सुनी है! कुछ लोग कहते है, की यह मंदिर एक ही रात में बना है, ओर यह मंदिर किसी भूत ने बनवाया है! तो कोई तो केहता है, यहाँ रात कोई पूजा करने आता है, बहोत बार शिवलिंग के उपर पुष्प ओर दूध मिला है! खुद यहाँ के पुजारी संध्या आरती करके जल्दी निकल जाते है!  इस धरती पर आठ लोग अमर है, उसमे से अश्वथामा भी एक है! लोग यह भी कहते है यहाँ हर रात अश्वथामा आते है, कुछ लोगोने तो उसे देखने का भी दावा किया है!



अजय, विजय, ओर कल्पेश गाँव के यह शिव मंदिर की पहाड़ी पर टहल रहे थे, तभी अजय का ध्यान मंदिर के आसपास कुछ लोको पर गया, वे लोको के कपड़े कुछ अलग प्रकार के लग रहे थे!


"रुको, मंदिर में कोई है!" कहते ही अजयने तीनों को छपने का इशारा किया।


"यह लोग कोन है, यहाँ क्या कर रहे है?"  कल्पेशने कहा


"हमे इन लोगो पर नजर रखनी चाहिए कही यह लॉग हमारे गाँव के लोगो को नुकसान न पोहचाय" विजय ने कहा

" यहाँ के तो नही लगते, उसके कपड़े देखो कितने अलग ओर विचित्र है, इस समय मे एशे कपड़े कोन पहनता है?" कल्पेश ने अजय की ओर देखते हुवे पूछा।


"मुजे लगता है यह समुद्री लुटेरे है!"  अजयने कहा।

"हांन ,मने भी हॉलीवुड की फिल्मों में देखा है, पायरेट्स ऐसे ही कपडे पहनते है" विजयने कहा


पशुओं के चमड़े से बने कपड़े, ओर शिर पे खोपड़ीका निशान, कमर पर लेटकते खजर।


"यह लोग यहाँ क्या कर रहे है?" कल्पेशने आश्चर्य से पूछा!

"यह लोग वही मिलीते है, जहाँ पर कुछ खजाना हो! वैसे भी यह मंदिर के बारे में हमने सुना है कि यहाँ आसपास खजाना छुपा है, तो यह लॉग इसी सिलसिले में आये होंगे! मुजे ऐश प्रतित होता है।" अजयने कहा।

कुछ देर बात वह अचानक से दिखने बंद हो गए

बिलपत्र के इस जंगल के पीछे, एक नदी है, जो बहोत ही गहरी है, वहाँ से जाना अंसभव है, यह शिव मंदिर की रचना इस प्रकार है कि, यहां आने जाने का इकलौता मार्ग है! 


"चलो देखते है, काफी समय हुवा वे लोग दिख नही रहे है।" अजयने कहा।



"उन लोगो के हाथ आये तो, वो लॉग हमे छोड़े के नही, मेने तो सुना है पाइरेट्स नरभक्षी भी हॉते है" कल्पेशने कहा


"बेटा तू डरा हुवा है, मुजे मत डरा, तुजे आना है तो आ वरना में ओर विजय तो मंदिर में जा रहे है।" अजय ने कहा



"ठीक है में भी आता हूं।"




 मंदिर, ओर आसपास का जो विस्तार है, इन तीनोने पूरा छान मार।

"आख़िरकार यह लोग यहाँ क्या करने आये थे? और यहाँ से किस तरह वो गायब हो गए,कुछ भी पता नही चला" अजयने कहा।



तीनो थक कर मंदिर के विशाल प्रागण में आ बैठे। अजय, विजय थकान के मारे वहीं लेट गए!


"मुजे लगता है, यह मंदिर में कुछ तो राज़ अवश्य छुपा है, यह मंदिर कितना पुराना है। उसके घुमट पर देखो, लगता वो कुछ कहेना चाहते हो!" अजयने कहा।


"मुछे भी लगता है, यहाँ कुछ राज़ तो अवश्य छुपा है!" विजयने अजय के सुर में सुर मिलाया


" में क्या केहता हु! हमे आजकी रात यही रुकना चाहिए देखते है, क्या होता है" अजयने कहा

"मुजे तो लगता है, तुम दोनों सठिया गए हो, वे भगा पटेल के लड़के के साथ क्या हुवा नही जानते? मुजे ऐसे पागलोकी मौत नही मरना है, तुम लोग भी गाव चलो, में तो जा रहा हु"



"भाई मरेगे तो तीनों साथ, एजे छोड़ के मत जा।"अजय ने कहा

तब तक वह पहाड़ी उतर चुका था

"जाने दे, चूहा...बहोत डरता है" विजयने कहा

"वैसे उसकी बातों में दम तो है, हमे कुछ हो गया तो ?यह राज़ कोई नही खोल पायेगा, काम करते है, किसी विद्वान के पास जाके इस मंदिर का बारे में  जानकारी लेते है है"अजयने कहा।


"वैसे यह बात भी उचित है।" कहते है दोनों भी पहाड़ी उतर कर गाव की ओर चल दिये



क्रमश।

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