यह कहानी "पुलिसिया व्यंगिकाएं" विभिन्न घटनाओं और हास्यपूर्ण स्थितियों के माध्यम से पुलिस और अपराध के विषय में व्यंग्य करती है। 1. **सुपारी**: पुलिस एक व्यक्ति को इसीलिए पकड़ती है क्योंकि उसने सुपारी दी है और उसकी कीमत चुकाई है। 2. **पुलिस**: जब तक इज्जत लुटी नहीं, पुलिस सक्रिय नहीं होती, लेकिन जैसे ही इज्जत चली जाती है, वे जांच में जुट जाते हैं। 3. **बची-खुची**: एक महिला जो पुरुषों से परेशान होकर थाने पहुंचती है, वहां उसकी इज्जत और भी ज्यादा लुट जाती है। 4. **हथियार डालना**: एक चोर को पुलिस पकड़ लेती है क्योंकि उसने सेंध लगाकर खुद अंदर जाने की भूल की थी। 5. **डाका**: डाकू ‘काका’ पुलिस के सभी इंतजामों के बावजूद सफलतापूर्वक भाग जाता है। 6. **तस्कर**: एक जादूगर ने नोटों को टुकड़ों में काटकर तहस-नहस किया, और पुलिस ने उसे तस्कर के रूप में गिरफ्तार किया। 7. **तार**: पुलिस महानिदेशक और उनके अधिकारियों की सतर्कता चूक जाती है, जिससे मीडिया को पटना और मुंबई ब्लास्ट के तारों का पता चलता है। 8. **सरफरोशी**: एक वतनपरस्त को एक दारोगा ने गलतफहमी में गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उसने "सर" शब्द को गलत समझा। 9. **गड्डी**: पंजाब पुलिस को जंगल में एक गड्डी में पैसे मिलते हैं। 10. **गश्त**: पुलिस की गश्त के दौरान पुलिस खुद ही डर जाती है और गिर पड़ती है। 11. **चलकर**: एक हत्यारे से पूछा जाता है कि वह थाने कैसे आया, तो वह जवाब देता है कि वह वाहन से "कुचलकर" आया। 12. **मुचलके**: पुलिस वाले अपनी गाड़ी में मुचलके रखते हैं, यह सोचकर कि कहीं कोई उनके वाहन के नीचे आकर उछल न जाए। कहानी में पुलिस की कार्यप्रणाली, सामाजिक समस्याएं और हास्य का अद्भुत मिश्रण है। हाँ नहीं तो - 1 CHHATRA PAL VERMA द्वारा हिंदी कविता 2 2.1k Downloads 7.7k Views Writen by CHHATRA PAL VERMA Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण प्रतुत पुलिसिया व्यंगिकाएं मेरी पुस्तक हाँ नहीं तो से पुलिस विभाग पर व्यंग करती कुछ रचनाएँ हैं इन तमाम रचनाओं का आशय किसी विशेष राज्य या शहर की पुलिस पर आक्षेप करना नहीं, वरन प्रचलित विश्वासों को अधर बना कर ही इनकी रचना की गई है Novels हाँ नहीं तो प्रतुत पुलिसिया व्यंगिकाएं मेरी पुस्तक हाँ नहीं तो से पुलिस विभाग पर व्यंग करती कुछ रचनाएँ हैं इन तमाम रचनाओं का आशय किसी विशेष राज्य या शहर की पुल... More Likes This मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave मेरे शब्दों का संगम द्वारा DINESH KUMAR KEER हाल ए दिल द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी