इस कहानी में 'साहब' और उनके अधीनस्थ 'बड़े-बाबू' और 'नाज़िर भाई' के बीच एक संवाद और तनाव का माहौल है। 'साहब' ने गाँवों के दौरे के दौरान एक तालाब के निर्माण के बारे में बातचीत की, लेकिन 'बड़े-बाबू' और 'नाज़िर भाई' को यह समझ में नहीं आया कि वह तालाब कहाँ गया। जब पता चला कि उन्होंने गलत गाँव का दौरा किया है, तो 'साहब' गुस्से में आ गए और उन्हें अपनी नौकरी का डर सताने लगा। दोनों अधीनस्थ 'साहब' के पैरों पर गिरकर माफी मांगते हैं और बताते हैं कि तालाब वास्तव में बना ही नहीं था। 'साहब' यह जानकर और भी गुस्सा होते हैं कि पैसा कहाँ गया। कहानी में हास्य और व्यंग्य का समावेश है, क्योंकि अंत में 'साहब' कहते हैं कि वह उनकी नौकरी बचाने का उपाय करेंगे और उन्हें थोड़ी देर टहलने का निर्देश देते हैं। कहानी में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और अधिकारियों के बीच संवाद का एक मजेदार चित्रण किया गया है। मगरमच्छ HARI PRAKASH DUBEY द्वारा हिंदी लघुकथा 596 1.4k Downloads 5.7k Views Writen by HARI PRAKASH DUBEY Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण यह मात्र एक कहानी है जिसके माध्यम से वर्तमान सरकारी व्यवस्था में मौजूद भ्रष्ट तंत्र की श्रंखला को उजागर करने का प्रयास किया गया है , यह आज कि परिस्थितियों में भी प्रासंगिक है ! More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी