कहानी "10 रुपियो की बेईमानी" में एक ईमानदार महिला है जो अपने रिश्तों को बखूबी निभाती है। हालाँकि, एक कॉस्मेटिक शॉप में 10 रुपये देने से बच रही है। जब उसके इस व्यवहार का कारण पूछा जाता है, तो वह बताती है कि उसे अपने बच्चों के साथ जीना है और वह नहीं चाहती कि भगवान उसे जल्दी बुला लें, जैसे उसकी माँ को बुला लिया। दूसरी कहानी "नमक" में नेहा, आशा और गीता तीन सहेलियाँ हैं। वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी के दौरान, गीता खर्राटे ले रही होती है, जिससे नेहा परेशान हो जाती है। उसने मजाक में गीता के मुँह में नमक डाल दिया ताकि वह खर्राटे लेना बंद करे। इसके बाद, दोनों सहेलियाँ पढ़ाई छोड़कर तालाब पर जाने का निर्णय लेती हैं। दोनों कहानियाँ दोस्ती, परिवार और ईमानदारी के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। जीवन के रंग divya द्वारा हिंदी लघुकथा 6k 2.4k Downloads 12k Views Writen by divya Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण it is all about life experience More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी