"कर्मभूमि" के तीसरे अध्याय में लाला समरकान्त की जिंदगी की विफलताओं का वर्णन किया गया है। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम चरण में बेटे को सर्वस्व सौंपकर और बेटी का विवाह कर एकांत में भगवत्-भजन करने की कल्पना की थी, लेकिन यह सपना अधूरा रह गया। उनके बेटे अमर का चरित्र भ्रष्ट हो गया है, जिसके कारण लाला जी का मन निराश है। वे धार्मिकता को सिर्फ आडंबर मानते हैं और अपने व्यापार में धोखाधड़ी को सामान्य समझते हैं। जब अमर की कुसंगति के बारे में शहर में बात फैलती है, तो लाला जी का मन और भी दुखी हो जाता है। वे सुखदा और नैना को डांटते हैं और खुद को कमरे में बंद करके रोने लगते हैं। दिनभर घर में कोई कुछ नहीं खाता है, और लाला जी भोजन के लिए भी अनिच्छुक रहते हैं। इस पूरे घटनाक्रम में लाला जी की मानसिकता और उनके जीवन के मूल्य स्पष्ट होते हैं। वे अपने बेटे के लिए दुखी हैं, लेकिन यह भी समझते हैं कि उन्हें अपने जीवन को आगे बढ़ाना है और परिवार की जिम्मेदारियाँ निभानी हैं। लाला जी का यह संघर्ष उनके भीतर के आंतरिक संघर्ष और पारिवारिक संबंधों की जटिलता को दर्शाता है। कर्मभूमि अध्याय 3 Munshi Premchand द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 3.7k 5.5k Downloads 11.4k Views Writen by Munshi Premchand Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। उधर काशी के मन्दिरों में अछूतों के प्रवेश, गरीबों के लिए मकान बनवाने आदि समस्याओं को लेकर आन्दोलन छिड़ जाता है और सरकार से संघर्ष होता है। इस आन्दोलन का संचालन सुखदा, पठानिन, रेणुकादेवी और यहाँ तक कि समरकांत भी करते हैं। ये सब और डॉक्टर शांतिकुमार जेल-यात्रा करते हैं। नैना भी वहाँ आ जाती है और एक जलूस का नेतृत्व करते हुए चुंगी की ओर जाती है। वहाँ उसका पति मनीराम उसे गोली मार देता है। उसकी मृत्यु से चुंगी के मेम्बरों में भी हृदय - परिर्वतन हो जाता है और वे ग़रीबों के मकानों के लिए ज़मीन दे देते हैं। जो आन्दोलन सुखदा ने प्रारम्भ किया था, उसका अंत नैना की बलि से होता है। लखनऊ के सेण्ट्रल जेल में अमरकांत, मुन्नी, सकीना, सुखदा, पठानिन, रेणुका आदि सब मिल जाते हैं। धनीराम का पुत्र मनीराम मृत्यु को प्राप्त होता है। Novels कर्मभूमि कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। अमरकांत बनारस के रईस समरकांत के पुत्र हैं। वे विद्यार्थी- जीवन से ही... More Likes This DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 द्वारा Anipayadav वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी