कहानी "जश्न-ए-आज़ादी" में एक गरीब बस्ती के बच्चे सिकंदर की जीवन स्थिति का वर्णन है। वह एक बंजर जमीन पर बसी झोपड़ियों में रहता है, जहाँ जीवन स्तर बेहद निम्न है। लोग उसकी बस्ती को देखकर चिंता करते हैं कि देश की आज़ादी के इतने साल बाद भी वहाँ के लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधरा। सिकंदर की बचपन की यादें कचरे के ढेर से भोजन जुटाने और अपनी माँ के सूखे आँचल के बीच बिताए गए समय से जुड़ी हैं। उसे खेलों में मज़ा नहीं आता, बल्कि वह स्कूल जाते बच्चों को देखकर उनके जीवन को महसूस करता है। एक दिन, वह स्कूल के पास जाकर बच्चों को देखता है और उनकी किलकारियों को सुनता है। वह स्कूल की दीवार से कान लगाकर उनकी आवाज़ सुनने की कोशिश करता है। यह उसकी दिनचर्या बन जाती है, और वह खुशी-खुशी उनके साथ हंसता और गाता है। कहानी इस बात का संकेत देती है कि कैसे समाज में मौजूद असमानताएँ आज भी लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही हैं, और एक बच्चे की मासूमियत और उसकी आकांक्षाएँ इस असमानता के बीच में खड़ी हैं। जश्न-ए-आज़ादी Hanif Madaar द्वारा हिंदी लघुकथा 2.4k 2.4k Downloads 9.8k Views Writen by Hanif Madaar Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण वर्तमान हालातों में आज़ादी के अर्थ समझने की एक कोशिश ........ More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी