"पेटू" कहानी में दरबारी प्रसाद एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने बचपन की भूख को कभी नहीं भूलते। उनके लिए अन्न का हर दाना कीमती है और जब वे देखते हैं कि खाना बर्बाद हो रहा है, तो उनकी आत्मा को चोट लगती है। उनके बेटे अक्सर पार्टी करते हैं और खाने की बर्बादी करते हैं, जिससे दरबारी प्रसाद दुखी होते हैं। वह अपने बचपन की यादों में लौटते हैं, जब उनकी माँ अन्न के हर दाने को संभालती थीं। उनके बेटे शहर में रहने के बावजूद देहाती मानसिकता को नहीं छोड़ पाए हैं, और वे फिजूलखर्ची को अपनी आज़ादी मानते हैं। दरबारी प्रसाद चाहते हैं कि धन का उपयोग भूख और बीमारी मिटाने में किया जाए, न कि बर्बादी में। कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे एक व्यक्ति का अतीत और अनुभव उसे जीवन के मूल्यों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं, जबकि नई पीढ़ी भौतिकवाद और बर्बादी की ओर अग्रसर होती है। पेटू Jaynandan द्वारा हिंदी लघुकथा 3 2.4k Downloads 9.9k Views Writen by Jaynandan Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Petu - Jay Nandan More Likes This सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari Chai ki Pyali - 1 द्वारा Mansi गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियां - भाग 1 द्वारा Anarchy Short Story अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी