"गुण्डा" जयशंकर प्रसाद की एक कहानी है जिसमें एक बलशाली और दृढ़ पुरुष का वर्णन किया गया है, जो अपनी उम्र के पचास पार कर चुका है, फिर भी युवाओं से अधिक ताकतवर है। उसका व्यक्तित्व उसकी चढ़ी हुई मूंछों, चमकीले रंग और विशेष पहनावे से झलकता है। कहानी में यह बताया गया है कि कैसे काशी का समाज एक नए सम्प्रदाय का निर्माण कर रहा है, जो वीरता को धर्म मानता है। इस सम्प्रदाय के लोग कायरों से भिक्षा मांगने वालों और घायल प्रतिद्वंद्वियों पर हमला नहीं करने का संकल्प लेते हैं। कहानी में नन्हकू सिंह का भी उल्लेख है, जो एक संगीत प्रेमी है और दुलारी नाम की गायिका को बुलाने की इच्छा रखता है। नन्हकू का मन किसी प्रकार की खुशी की तलाश में है और दुलारी से गाने की इच्छा व्यक्त करता है। दुलारी उसकी भावनाओं को समझती है और दोनों के बीच एक संवेदनशील बातचीत होती है। पूरी कहानी में काशी का बदलता सामाजिक परिदृश्य और नन्हकू सिंह के मन की स्थिति को चित्रित किया गया है, जो गाने के माध्यम से अपने दुःख और भावनाओं को व्यक्त करना चाहता है। गुण्डा Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी लघुकथा 20k 55.3k Downloads 100.6k Views Writen by Jayshankar Prasad Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण गुण्डा जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. गुण्डा वह पचास वर्ष से ऊपर था। तब भी युवकों से अधिक बलिष्ठऔर दृढ़ था। चमड़े पर झुर्रियाँ नहीं पड़ी थीं। वर्षा की झड़ी में, पूसकी रातों की छाया में, कड़कती हुई जेठ की धूप में, नंगे शरीर घूमनेमें वह सुख मानता था। उसकी चढ़ी मूँछें Novels जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी