यह कहानी "परीक्षा गुरू" के प्रकरण 29 की है, जिसमें मुख्य पात्र मुन्शी चुन्नीलाल और लाला मदनमोहन के बीच बातचीत होती है। मुन्शी चुन्नीलाल ने लाला मदनमोहन से कहा कि उसने एक बड़ी भूल की है, क्योंकि उसने लाला ब्रजकिशोर को बिना कारण दोषी समझकर चिट्ठी भेज दी। वह जानता है कि असली अपराधी हरकिशोर है। चुन्नीलाल का मानना है कि एक निर्दोष को दंडित करने से उसके मन को कितना दुख होगा और इस गलती का सुधार करना चाहिए। लाला मदनमोहन का कहना है कि जो बात हो गई, वह अब वापस नहीं आ सकती, लेकिन उन्हें प्रयास करना चाहिए कि ब्रजकिशोर को मनाया जाए। चुन्नीलाल ने उदाहरण दिया कि महाराज दशरथ ने श्रवण के साथ की गई गलती की माफी मांगी थी। मास्टर शिंभूदयाल ने कहा कि ब्रजकिशोर की पहले की ढिठाई को देखते हुए उसे घर बुलाना उचित नहीं होगा। इसके बावजूद, चुन्नीलाल का तर्क है कि ब्रजकिशोर के साथ संबंध सुधारना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसके पास अदालत में मदद मिल सकती है। अंततः, चुन्नीलाल ने सुझाव दिया कि उन्हें ब्रजकिशोर के पास जाकर उसे उपहार देकर मनाना चाहिए ताकि वह उनके मुकदमे में मदद कर सके। कहानी में कई नैतिक पहलुओं की चर्चा होती है, जैसे कि गलती को स्वीकार करना, निर्दोष का समर्थन करना और उदारता का महत्व। परीक्षा-गुरु - प्रकरण-29 Lala Shrinivas Das द्वारा हिंदी लघुकथा 1 2k Downloads 6.6k Views Writen by Lala Shrinivas Das Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आज तो मुझ से एक बड़ी भूल हुई मुन्शी चुन्नीलाल नें लाला मदनमोहन के पास पहुँचते ही कहा मैं समझा था कि यह सब बखेड़ा लाला ब्रजकिशोर नें उठाया है परन्तु वह तो इस्सै बिल्कुल अलग निकले. यह सब करतूत तो हरकिशोर की थी. क्या आपनें लाला ब्रजकिशोर के नाम चिट्ठी भेज दी ? हां चिट्ठी तो मैं भेज चुका मदनमोहन नें जवाब दिया. यह बड़ी बुरी बात हुई. जब एक निरपराधी को अपराधी समझ कर दण्ड दिया जायगा तो उस्के चित्त को कितना दु:ख होगा मुन्शी चुन्नीलाल नें दया करके कहा (!) फ़िर क्या करें ? जो तीर हाथ सै छुट चुका वह लौटकर नहीं आसक्ता लाला मदनमोहन नें जवाब दिया. Novels परीक्षा-गुरु लाला मदनमोहन एक अंग्रेजी सौदागर की दुकानमैं नई, नई फाशन का अंग्रेजी अस्बाब देख रहे हैं. लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल और मास्टर शिंभूदयाल उन्के... More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी