यह कहानी एक बच्चे के दृष्टिकोण से है, जो अपने प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था। उसका स्कूल सड़क के किनारे था, जहाँ सुबह प्रार्थना और व्यायाम किया जाता था। बच्चे स्कूल आने के लिए प्रेरित होते थे, और स्कूल की फीस भी गरीबों के लिए माफ कर दी जाती थी। हर साल 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर को विशेष कार्यक्रम होते थे, जिसमें बच्चे प्रभात फेरी करते थे और गाँव वालों का उत्साह बढ़ाते थे। एक स्वतंत्रता दिवस पर, जब ध्वजारोहण और राष्ट्रगान होना था, एक युवक अचानक स्कूल में आया और गुरुजी को बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज उल्टा लगा दिया है। गुरुजी ने तुरंत ध्वज को सही किया, और फिर सभी बच्चों ने राष्ट्रगान गाया। इसके बाद, गुरुजी ने आगंतुक युवक को सम्मानित किया और बच्चों को स्वतंत्रता दिवस का महत्व बताया। यह घटना बच्चों के लिए देशभक्ति का एक महत्वपूर्ण अनुभव बन गई। युवक दीन दयाल और राष्ट्रीय ध्वज Ved Prakash Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा 44 1.3k Downloads 7.2k Views Writen by Ved Prakash Tyagi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण पंडित दीन दयाल ने स्कूल मे बच्चों को राष्ट्रीय ध्वज के रंगो का महत्व बताया। More Likes This तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया द्वारा S Sinha आशरा की जादुई दुनिया - 1 द्वारा IMoni True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS पाठशाला द्वारा Kishore Sharma Saraswat डिप्रेशन - भाग 1 द्वारा Neeta Batham अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी