<html> <body> <p>अठतल्ले से गिर गए रेवत बाबू</p> <p>जयनंदन</p> <p>रेवत बाबू एक नए फ्लैट में रहने आए हैं, जहां उन्हें सब कुछ अपरिचित और अजीब लग रहा है। उनके दो बेटे, रतन और जतन, उन्हें नए माहौल में ढलने के लिए कह रहे हैं। रतन का कहना है कि वे अब एक सुखी और संभ्रांत समाज में हैं।</p> <p>रेवत बाबू अपने बच्चों पर कोई नसीहत नहीं थोपना चाहते, क्योंकि इससे वे बुजुर्ग बन जाते हैं। उन्होंने अपनी छोटी नौकरी में अपने बच्चों की शिक्षा के लिए अपनी आवश्यकताओं को हमेशा टाला। पहले उन्हें दुख हुआ जब बेटों ने अपना घर बेचकर फ्लैट खरीदने का प्रस्ताव रखा, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने परिस्थितियों को स्वीकार कर लिया।</p> <p>उनका घर बनाने का सपना उनकी पत्नी आरती देवी के साथ जुड़ा था, जो अब उनके साथ नहीं हैं। घर में उनकी यादें बसी हैं और वे अक्सर उन यादों से संवाद करते हैं। जब उनके बेटे सफल हुए, आरती को गर्व होता था और वह घर को अपनी सफलता का श्रेय देती थी।</p> </body> </html>
अठतल्ले से गिर गए रैवत बाबू
Jaynandan द्वारा हिंदी लघुकथा
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विवरण
Athtalle Se Gir Gaye Raivat Babu - Jay Nanda
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