हिन्दी शिक्षा और शिक्षण की वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा करते हुए लेखक कौशलेंद्र प्रपन्न ने बताया कि हिन्दी शिक्षा की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कविता, कहानी और उपन्यास जैसे लेखन से शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करना संभव नहीं है, विशेषकर तब जब बच्चे पढ़ने-लिखने में कठिनाई का सामना कर रहे हों। व्याकरण और मानकीकृत वर्तनियों की कसौटी पर बच्चों की हिन्दी समझ को परखा जाता है। 2006 के बाद, सीबीएससी ने प्रश्न पत्रों के स्वरूप में बदलाव किया, जो पहले के भाषायी कौशल विकास पर केंद्रित था। इस बदलाव का तर्क था कि बच्चों पर परीक्षा का बोझ कम करना आवश्यक है, लेकिन शिक्षाविदों का मानना है कि यह हिन्दी और अन्य भाषाओं के साथ अन्याय है। पहले की पाठ्यपुस्तकों में बच्चों की भाषायी दक्षता बढ़ाने के लिए पाठ तैयार किए जाते थे, जिससे बच्चों को पढ़ने में आनंद आता था। अब बहुवैकल्पिक प्रश्न पत्रों के कारण बच्चों से उनके भाव प्रकट करने का अवसर छीन लिया गया है। लेखक ने प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण की समस्याओं और उन्हें हल करने के तरीकों पर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा है। हिन्दी शिक्षा और शिक्षण kaushlendra prapanna द्वारा हिंदी मानवीय विज्ञान 3.8k 3.1k Downloads 12.3k Views Writen by kaushlendra prapanna Category मानवीय विज्ञान पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण हिन्दी शिक्षा और शिक्षण की वर्तमान स्थिति को बिना समझे हम हिन्दी शिक्षा कैसी दे रहे है इसका इल्म नहीं होगा। हमें इस बात की भी तहकीकात करनी होगी कि हिन्दी के विकास और संवर्धन में हिन्दी शिक्षा और शिक्षण की क्या स्थिति है। अमूमन हम यह मान लेते हैं कि कविता,कहानी,उपन्यास आदि विधागत लेखन से हिन्दी शिक्षा-शिक्षण के उद्देश्यों को हासिल किया जा सकता है। यदि ऐसा है तो संभव है कि हम एक बड़ी भूल कर रहे हैं। क्योंकि उक्त विधाओं में गति और प्रसिद्धी लेखकीय क्षमता और अभ्यास से अख़्तीयार की जा सकती है किन्तु बच्चे को हिन्दी पढ़ने-लिखने में यदि परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वहां कविता,कहानी आदि उसकी मदद ज्याद नहीं करतीं। व्याकरण और मानकीकृत वर्तनियों की कसौटी पर बच्चे की हिन्दी की समझ जांची परखी जाती है। यहां समझने की आवश्यकता यह है कि कक्षा में हिन्दी की शिक्षा कैसी दी जा रही है। उदाहरण के तौर पर 2006 से पूर्व 10 वीं और 12 वीं की हिन्दी के प्रश्न पत्रों के सवालों की प्रकृति को समझने की कोशिश करें तो एक चीज मिलेगी कि तब हमारा ध्यान भाषायी कौशलों का विकास करना था। More Likes This मैं महत्वपूर्ण नहीं हूँ: बरगद की कहानी - 2 द्वारा Dr. Gyanendra Singh Why Did The Man Go - 1 द्वारा Sadik Pathan 01 जवान लड़का – भाग 1 द्वारा Katha kunal दा आर्ट ऑफ फ्लर्टिंग - भाग 1 द्वारा saif Ansari मंजिले - भाग 22 द्वारा Neeraj Sharma मौत और पुनः जिन्दा होने के बीच का अनुभव द्वारा S Sinha जाको राखे साइया द्वारा S Sinha अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी