यह कहानी एक काल्पनिक पत्र है, जो निर्भया (दामिनी) ने अपनी माँ को लिखा है। पत्र में दामिनी स्वर्ग लोक में अपनी स्थिति का वर्णन करती है, जहां वह खुश है लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित है। वह बताती है कि वहां कोई उसे छेड़ता नहीं और सभी बहुत आदर से पेश आते हैं, लेकिन उसे भारत वापस भेजने का समय नहीं आया है। दामिनी ने देखा कि उसकी सुरक्षा के लिए वहां के लोग कितने सतर्क हैं, लेकिन भारत में स्थिति पूर्व की तुलना में और बिगड़ गई है। वह समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते हिंसक व्यवहार और मानवता के संकट पर चिंता व्यक्त करती है। दामिनी अपनी माँ से कहती है कि जब तक मातृशक्ति जागृत नहीं होगी, कुछ भी नहीं बदलेगा, और अपने विचारों को व्यक्त करने की आवश्यकता पर बल देती है। वह अपनी माँ को समझाती है कि डरने के बजाय लड़ाई लड़ना बेहतर है। अंत में, दामिनी अपनी माँ को आश्वासन देती है कि वह खुश है और उनकी चिंता न करने के लिए कहती है। वह परिवार का ध्यान रखने के लिए भी कहती है और अंत में प्यार से विदा लेती है।
अपनी माँ के नाम पत्र
Savita Mishra द्वारा हिंदी पत्र
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विवरण
Selected in Matrubharti letter writing competition.
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