कहानी "अनबोला" में मुख्य पात्र कामैया और जग्गैया हैं। कामैया अपने जाल में उलझी हुई सीपियों को सुलझाने के लिए जग्गैया से मदद मांगती है, लेकिन जग्गैया इस पर नाराज होता है। कहानी का अगला हिस्सा समुद्र के तट पर होता है, जहां कामैया अपने पिता के साथ मछलियाँ पकड़ने के लिए खड़ी होती है। जग्गैया, जो अपनी माँ के साथ काम कर रहा है, कामैया की ओर ध्यान नहीं देता। एक बड़े जाल में मछलियाँ पकड़ने के दौरान एक समुद्री बाघ भी फंस जाता है। कामैया का पिता उसे निकालता है, लेकिन बाघ अचानक जग्गैया की माँ पर हमला कर देता है, जिससे उसकी माँ की मौत हो जाती है। इस घटना से जग्गैया में कामैया के पिता के प्रति क्रोध और दर्शकों के लिए प्रतिशोध की भावना जागृत होती है। कहानी में समुद्र की पूजा और प्राकृतिक आपदाओं के संकेत भी हैं, जैसे कि मछलियों की कमी और व्यवसाय का डांवाडोल होना। अंत में, जग्गैया समुद्र की ओर देखते हुए अपनी विपरीत परिस्थितियों पर विचार करता है और सोचता है कि क्यों उसके पास एक नाव नहीं है। यह कहानी प्रकृति, जीवन, और मानवीय संघर्षों को दर्शाती है। अनबोला Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी लघुकथा 1.8k 2.8k Downloads 9.2k Views Writen by Jayshankar Prasad Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अनबोला जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. अनबोला उसके जाल में सीपियाँ उलझ गयी थी . जग्गैया से उसने कहा- ‘इसे फैलाती हूँ, तू सुलझा दे।’ जग्गैया ने कहा - ‘मैं क्या तेरा नौकर हूँ?’ कामैया ने तिनककर अपने खेलने का छोटा-सा जाल और भी बटोरलिया। समुद्र-तट के छोटे-से होटल के पास की Novels जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी