प. दीन दयाल उपाध्याय जी अपने मित्र की बहन की शादी में मदद करने के लिए एक हजार रुपये लाने निकले। नगर से पैसे निकालकर लौटते समय रात हो गई और रास्ते में एक लुटेरा बंदूक लेकर उनका सामना कर लेता है। लुटेरा पंडित जी से पैसे छीन लेता है, लेकिन पंडित जी इस डर से परेशान होते हैं कि अगर वह अपने मित्र को यह घटना बताएंगे, तो मित्र विश्वास नहीं करेगा। पंडित जी लुटेरे से विनती करते हैं कि उन्हें कुछ चोट लगे ताकि वह अपने मित्र को बता सकें कि पैसे लाने आए थे। लुटेरा बताता है कि उसकी बंदूक लकड़ी की है और गोली नहीं चलती। पंडित जी मौके का फायदा उठाते हैं, लुटेरे से बंदूक छीनकर उसे बेहोश कर देते हैं। इस प्रकार, पंडित जी ने साहस और बुद्धिमानी का परिचय दिया और मित्र की मदद की। pandit deendayal aur rah bhatka yuvak Ved Prakash Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा 24.3k 1.9k Downloads 6.5k Views Writen by Ved Prakash Tyagi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण pamditji helped a robber and brought him to a right path More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी