इस आलेख में डा. मुसाफ़िर बैठा ने महिलाओं के लिए 'स्पेशल छुट्टी' के प्रावधान पर विचार किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे समाज में बेईमानी और स्वार्थी प्रवृत्तियों ने इस विशेष छुट्टी का गलत फायदा उठाने की आदत बना ली है। यह छुट्टी मुख्य रूप से रजस्वला महिलाओं के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब इसे अनुचित लाभ उठाने का जरिया बना दिया गया है। लेखक का कहना है कि हालांकि सेनेटरी नैपकिन जैसे आधुनिक साधनों के कारण अब महिलाओं को माहवारी के दौरान असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता, फिर भी यह छुट्टी का प्रावधान अब अनावश्यक प्रतीत होता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पहले शौचालयों की कमी के कारण यह छुट्टी आवश्यक थी, लेकिन अब जब सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो यह छुट्टी काम के घंटों की बर्बादी बन गई है। अंत में, लेखक का तर्क है कि यदि महिलाएं सक्षम हैं, तो उन्हें इस 'विशेष छुट्टी' की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। नौकरीशुदा स्त्रियों की अलबेली स्पेशलछुट्टी Dr Musafir Baitha द्वारा हिंदी पत्रिका 3.3k 2.2k Downloads 7.9k Views Writen by Dr Musafir Baitha Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सरकारी नौकरी करती स्त्रियों की अलबेली स्पेशल छुट्टी की कथा More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी