Durgadas - Part - 1 book and story is written by Munshi Premchand in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Durgadas - Part - 1 is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. दुर्गादास अध्याय 1 Munshi Premchand द्वारा हिंदी लघुकथा 7 3.8k Downloads 9.7k Views Writen by Munshi Premchand Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण दुर्गादास एक उपन्यास है जो एक वीर व्यक्ति दुर्गादास राठौड़ के जीवन पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है। इसे एक वीर गाथा भी कह सकते हैं जिससे हमें कई सीख मिलती है। यह बाल साहित्य के अंतर्गत आता है तथा इसके मुख्य प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ है। जोधपुर के वीर सेनापति आशकरण के पुत्र दुर्गादास तथा जसकरण थे सन् 1605 में धोखे से आशकरण की मृत्यु के बाद महाराज यशवंत सिंह नें दुर्गादास तथा अपने पुत्र पृथ्वी सिंह को लाड से पाला। औरंगजेब के कहनें पर महाराज दक्खिन की सुबेदारी पर चले गए, दुर्गादास को साथ लिया और पृथ्वीसिंह को राज्य में छोड़ दिया। दक्खिन के राजा शिवाजी से यशवंतसिंह की दोस्ती के बाद मुगल वहां सुरक्षित हो गए। फिर औरंगज़ेब ने राजा को काबुल भेजा तथा वहाँ के मुसलमानों से लड़ते हुए दो राजकुमार मारे गए। वहाँ मारवाड़ से औरंगज़ेब ने पृथ्वी सिंह को भी दिल्ली बुलाकर मार डाला। और मारवाड़ पर कब्जा कर लिया। इधर बच्चों के मरने से जसवंतसिंह का भी देहावसान हो गया। राजा नें मरने से पहले कहा था कि उनकी दो पत्नी भाटी और हाड़ी गर्भ से थीं तथा वह उन्ही के संतान को राजा बनाना चाहते थे। राजा के साँथ इन दोनों रानियों को छोड़कर सब सती हो गए। रानी का बच्चा पैदा हुआ जिसका नाम अजीत रखा गया, दूसरे दिन हाड़ी का भी बच्चा पैदा हुआ जिसका नाम दलथम्भन रखा। दिल्ली जाते जाते दलथम्भन ठण्ड से मारा गया वहाँ औरंगज़ेब नें राजकुमार अजीत को दिल्ली में रखने की बात कही। दुर्गादास नें आनंददास खेची के साथ राजकुमार को डुगबा नामक गाँव में जयदेव ब्राह्मण के घर भेज दिया। औरंगजेब नें कोतवाल भेजे और दोनों रानियों नें आत्महत्या कर ली। लड़ाई में जो बचे थे वे दुर्गादास के साँथ रानियों का शव लेकर चले और आबू की पहाड़ियों में दाह क्रिया की। सब लोग ब्राह्मण के यहाँ गए और एक दिन बाद सब कल्याणगढ़ दुर्गादास के घर चले गए वहाँ दुर्गादास की बूढ़ी माँ तथा उसका भाई जसकरण और उसका बेटा तेजकरण था। बादशाह नें जसवंतसिह के भतीजे के कहने पर यह फरमान जारी किया कि सारे राजपूतों को जिंदा या मुर्दा पकड़ के लाओ। सब राजपूत भागे, इधर दुर्गादास सोनिंगी के साथ आवागढ़ चले गए वहाँ शोनिंगी नें एक संदुकची देते हुए बोला यह राजा का दिया हुआ है, इसे मैं सुरक्षित नही रख सकता इसे तुम ले लो तथा जोधपुर में जो युवक राजा बनें उसे दे देना, खोलना मत! Novels दुर्गादास दुर्गादास एक उपन्यास है जो एक वीर व्यक्ति दुर्गादास राठौड़ के जीवन पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है। इसे एक वीर गाथा भी कह सकते हैं जिससे हमें कई सीख... More Likes This True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS पाठशाला द्वारा Kishore Sharma Saraswat डिप्रेशन - भाग 1 द्वारा Neeta Batham मोहब्बत - पार्ट 1 द्वारा mohammad sadique सनातन - 2 द्वारा अशोक असफल वो यादगार लम्हे, वो सच्ची दोस्ती द्वारा R B Chavda अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी