यह आलेख डॉ. मुसाफिर बैठा द्वारा लिखा गया है और यह प्रेमचंद के उपन्यासों में दलित विमर्श पर केंद्रित है। हिंदी साहित्य में संगठित दलित विमर्श का आरंभ 1960 के दशक में हुआ, जो अम्बेडकरवादी चेतना से प्रेरित मराठी दलित साहित्य आंदोलन का परिणाम है। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में हिंदी में दलित साहित्यकारों की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ी, जिसमें मोहनदास नैमिशराय की आत्मकथा 'अपने-अपने पिंजड़े' 1995 में प्रकाशित हुई। प्रेमचंद ने 1905 से 1936 के बीच दलितों से संबंधित प्रश्नों को अपने साहित्य में गंभीरता से उठाया। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर दलित चिंतन में दलित चेतना हो, जबकि दलित साहित्य को अम्बेडकरवादी और व्यवस्थाविरोधी होना चाहिए। प्रेमचंद की रचनाओं में दलित चेतना की निरंतरता और स्थिरता की कमी है। उन्होंने गांधीवाद के प्रभाव में दलित और स्त्री प्रश्नों को उठाया, लेकिन उनकी रचनाओं में सम्यक दलित चेतना का अभाव है। प्रेमचंद ने अपने साहित्य में सामंत वर्ग, मध्य वर्ग, और अंततः दबे-कुचले लोगों को केंद्रित किया है। उनके द्वारा दलित प्रश्नों पर लिखा गया साहित्य महत्वपूर्ण है, लेकिन यह दलित चेतना को पूरी तरह से व्यक्त नहीं करता। प्रेमचन्द के उपन्यासों में दलित विमर्श Dr Musafir Baitha द्वारा हिंदी पत्रिका 5.5k 7.4k Downloads 19.1k Views Writen by Dr Musafir Baitha Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण प्रेमचंद कितना खरा कितने खोटे दलित विमर्श के नजरिये से, इसका एक आकलन उनके उपन्यासों से। More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी