कहानी "प्रतिध्वनि" जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है, जो एक विधवा महिला तारा के दुखद अनुभवों को दर्शाती है। तारा की कहानी उस दिन शुरू होती है जब वह अपने पति की मृत्यु के बाद विधवा हो जाती है, और उसकी ननद व्यंग्य करती है। तारा धनवान थी, लेकिन विधवापन का अनुभव उसे नहीं था। उसकी ननद रामा, अपनी बेटी श्यामा के साथ दरिद्रता में जी रही थी। श्यामा, जो अब चौदह साल की हो गई थी, का विवाह नहीं हो पा रहा था और उसकी मां रामा की मृत्यु हो जाती है। श्यामा अब अकेली हो जाती है और गंगा के तट पर एक कच्चे घर में रहने लगती है। उसकी देखभाल करने वाली एक बुजुर्ग महिला, मन्नी, उसके पास रहती है और उसकी जरूरतों का ध्यान रखती है। कहानी में श्यामा की आम की बारी का वर्णन है, जो हरी-भरी है और वसंत की सुगंध से भरी हुई है। श्यामा अपने घर के दरवाजे पर खड़ी होकर स्नान करने वाले लोगों को देखती है। तारा, स्नान करने के बाद, श्यामा की आम की बारी के पास से गुजरती है और वहां एक औरत की आवाज सुनती है, जो श्यामा के दुखों का मजाक उड़ाती है। तारा को यह सब सुनकर क्रोध आता है और उसका दिल फिर से तड़पता है। कहानी में तारा की मानसिक स्थिति और श्यामा की असहायता का वर्णन है, जो समाज के प्रति उनकी भावनाओं को उजागर करता है। कहानी अंत में नीलामी की बोली के शब्दों के साथ समाप्त होती है, जो तारा की स्थिति और श्यामा के भविष्य को दर्शाता है। Pratidhwani Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी लघुकथा 5.4k 3.3k Downloads 17.7k Views Writen by Jayshankar Prasad Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण प्रतिध्वनि जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. प्रतिध्वनि मनुष्य की चिता जल जाती है और बुझ भी जाती है, परन्तु उसकीछाती की जलन, द्वेष की ज्वाला, सम्भव है, उसके बाद भी धक्-धक्करती हुई जला करे। तारा जिस दिन विधवा हुई, जिस समय सब लोग रो-पीट रहे थे,उसकी ननद ने, भाई के मरने पर Novels जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी