कहानी "मदन-मृणालिनी" में एक छोटे बालक की कहानी है जो विजयादशमी के त्योहार के दौरान रामलीला में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहा है। खेलते-खेलते, उसे भूख लगती है और वह अपनी माँ के पास जाकर खाने की मांग करता है। उसकी माँ, जो विधवा है, पड़ोसिन के साथ बैठी होती है और उसे तुरंत खाना देने में असमर्थ है। बालक धीरे-धीरे नाराज हो जाता है और तीर-कमान लेकर पड़ोसिन को डराने की कोशिश करता है, लेकिन अनजाने में तीर पड़ोसिन के गर्दन में लग जाता है। घायल पड़ोसिन को देखकर बालक की माँ घबरा जाती है और उसे मदद करती है, लेकिन घायल स्त्री घर लौट जाती है और बालक वहाँ से भाग जाता है। बालक की माँ सोचती है कि वह डर के मारे छिपा होगा, लेकिन समय बीतने के साथ, बालक का कहीं पता नहीं चलता। उसकी माँ दुखी होकर बिस्तर पर लेट जाती है। कहानी का अंत उस बालक के शहर में पहुँचने के साथ होता है, जहाँ वह एक सभ्य बंगाली महाशय से मिलता है। यह कहानी बालक की मासूमियत, माँ की ममता, और समाज के जटिल रिश्तों को दर्शाती है। Madan-Mrunalini Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी लघुकथा 4.2k 3.5k Downloads 9.7k Views Writen by Jayshankar Prasad Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मदन-मृणालिनी जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. मदन-मृणालिनी विजयादशमी का त्योहार समीप है, बालक लोग नित्य रामलीला होनेसे आनन्द में मग्न हैं। हाथ में धनुष और तीर लिए एक छोटा-सा बालक रामचन्द्र बननेकी तैयारी में लगा हुआ है। चौदह वर्ष का बालक बहुत ही सरल औरसुन्दर है। खेलते-खेलते बालक को भोजन की याद Novels जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी