यह आलेख अरुंधति रॉय द्वारा लिखित है और इसमें गांधी और अम्बेडकर के विचारों और उनकी राजनीति के संदर्भ में चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि कई राजनीतिक दल जो अम्बेडकर के विचारों से दूर हैं, अब उनके प्रति समर्थन का दिखावा कर रहे हैं। इस संदर्भ में, लेखक ने यह भी कहा है कि हिंदूवादी शक्तियां गांधी और अम्बेडकर को अपने एजेंडे के तहत स्वीकारने का प्रयास कर रही हैं, जिससे उनकी मूल विचारधाराओं को विकृत किया जा रहा है। आलेख में अम्बेडकर की अंग्रेजी पुस्तक "जाति का विनाश" और उस पर अरुंधति रॉय की भूमिका पर भी चर्चा की गई है। रॉय की पुस्तक को लेकर बहस और विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसमें कुछ बौद्धिकों ने उनकी मंशा पर सवाल उठाए हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इस अध्ययन से अम्बेडकर की छवि को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा, जबकि अन्य इसे राजनीति और व्यवसाय की चाल समझते हैं, जिसमें गांधी के संदर्भ का उपयोग करके अम्बेडकर को बेचा जा रहा है। इस प्रकार, आलेख गांधी और अम्बेडकर के विचारों को समझने और उनकी राजनीतिक व्याख्या करने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रस्तुत करता है। अम्बेडकर vs गाँधी @ अरुंधति रॉय Dr Musafir Baitha द्वारा हिंदी पत्रिका 18 3.2k Downloads 13.7k Views Writen by Dr Musafir Baitha Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण बेहद पठनीय एवं बहसतलब आलेख। इसमें इतनी रोचकता है कि एक सांस में पढ़ जाएंगे आप। जाति के रोग की एक जरूरी पड़ताल है इस आलेख में। जाति के प्रश्न पर गाँधी और अम्बेडकर ने कैसे सोचा, कितना सोचा, अरुंधति का यह मूल्यांकन यहाँ है, साथ ही, इन दोनों महापुरुषों पर अरुंधति रॉय के नजरिये एवं राजनीति का आलेखकार का बहसतलब दृष्टिकोण भी गौर करने लायक है। डा भीमराव अम्बेडकर की प्रसिद्ध पुस्तक ANNIHILATION OF CASTE (जाति का विनाश) पर GOD OF SMALL THINGS फेम की वामपंथी मिज़ाज़ लेखिका अरुंधति राय की विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पणी राय के साथ अंग्रेज़ी में एक पुस्तक आई है। प्रस्तुत लेख इसी पुस्तक की एक आलोचना है। राय ने अपनी पुस्तक में अम्बेडकर की उक्त पुस्तक में भी बड़ी भूमिका लिखी है और इसमें अम्बेडकर से ज्यादा गाँधी के बयान में अपने शब्द खर्च किये हैं। बीते वर्ष में राय द्वारा सम्पादित यह अंग्रेजी पुस्तक जब हैदराबाद में लोकार्पित की जानी थी तो दलित बुद्धिजीवियों ने लोकारार्पण समारोह का विरोध किया था। आलेख में पुस्तक प्रकाशक की व्यवसायिक एजेंडे एवं राय द्वारा उसका साथ देने के विवादस्पद मुद्दे की पड़ताल की गयी है। More Likes This जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला लेखन - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी