Kabhi Andhera Kabhi Savera book and story is written by Pawnesh Dixit in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kabhi Andhera Kabhi Savera is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. Kabhi Andhera Kabhi Savera Pawnesh Dixit द्वारा हिंदी कविता 5 3.5k Downloads 20k Views Writen by Pawnesh Dixit Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कभी अँधेरा कभी सवेरा’ दूसरा कविता संग्रह है जिसमें मानव मन स्पष्ट रूप से अंतर्द्वंद से कभी जीतता हुआ प्रतीत होता है कभी अपनों के बिछोह और अन्धकार में अत्यंत दुखी चेतन रूप से मनुष्य जान रहा है अन्धकार, पापचार,और बुराई का नाश साहस, धीरता और जागृति से संभव हो रहा है, सामाजिक जागृति या लहर इसका प्रमाण है फिर भी अन्धकार का प्रभाव, शोक ,एकाकीपन इस जागृति या प्रकाशपुंज पर अपनी छाप छोड़ते हैं , अँधेरे और सवेरे का पारस्परिक प्रभाव है संक्षेप में दोनों ही दृश्यों की अनुभति से मानव मन भावरहित शून्यता की स्थिति में हो गया है More Likes This मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave मेरे शब्दों का संगम द्वारा DINESH KUMAR KEER हाल ए दिल द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी